ईद पर निबंध - Essay on Eid in Hindi

 ईद पर निबंध

ईद पर निबंध Essay on Eid in Hindi

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ईद क्या है ? - हिन्दुओं के दशहरा और ईसाईयों के क्रिसमस की तरह ईद मुसलमानों का सबसे पवित्र और महान त्योहार है। यह त्योहार रमजान के महीने में मनाया जाता है। 'रमजान' एक अरबी महीना है , जिसमें मुसलमान भाई तीस दिनों तक रोजा (व्रत , उपवास ) रखते है। इसके बाद जब दूज का चाँद दिखाई पड़ता है तब दूसरे दिन ईद का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कभी - कभी दूज का चाँद दिखाई पड़ने में कठिनाई भी होती है। इसीलिए हिंदी - उर्दू में एक मुहावरा प्रचलित है - ईद का चाँद होना - बहुत कम दिखाई देनेवाली वस्तु या व्यक्ति।

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ईद कैसे मनायी जाती है ? - रमजान के महीने में मुसलमान भाई दिन में रोजा (उपवास ) रखते है, कुछ नहीं खाते , पानी भी नहीं पीते। तीस दिनों तक व्रत रखकर प्रतिदिन सूर्यास्त के बाद वे रोजा खोलते है और सब मिलकर एक दस्तरखान पर खाना खाते है। रोजा में ये लोग सारा दिन खुदा (ईश्वर ) की इबादत (प्रार्थना) करते हुए दैनिक कार्य करते है। ऐसा कर वे तन - मन को शुद्ध - पवित्र करते हुए निराकार ईश्वर को याद करते है। इसके साथ ही झूठ , फरेब , चोरी आदि नहीं करने की प्रतिज्ञा करते है। हर दिन पाँच बार नमाज पढ़ते है। इस तरह वे अपने नैतिक और धार्मिक जीवन को विकसित करते है।

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इदुलफितर की चहल - पहल - रमजान के बाद , ईद का चाँद दिख जाने पर , दूसरे दिन इदुलफितर का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर मुसलमान भाई - बहन , स्त्री - पुरुष , बूढ़े - जवान और बच्चे नये - नये कपडे पहनते , लोगों को ईद मुबारक देते , गले - मिलते , सेवइयाँ खाते , कपड़ों पर इत्र छिड़कते और अच्छे पकवान खाते - खिलाते देखे जाते है। हर के चेहरे पर मुस्कराहट होती है। इस अवसर पर सगे - संबंधियों को मिठाइयाँ , सेवइयाँ आदि की 'ईदी' (खाद्य वस्तु) भेजते है। जहाँ - तहाँ ईद - मिलन होता है। कहीं - कहीं 'जकात' (दान - पुण्य) की भी व्यवस्था की जाती है। 

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ईदगाह - ईदगाह मुसलमानों का इबादतगाह (उपासना की जगह) है। ईद के मौके पर हर मुस्लिम परिवार ईदगाह जाना नहीं भूलता। वहाँ का वातावरण बड़ा आकर्षक होता है। मेला लगता है , दुकानों में तरह - तरह के सामान बेचे और ख़रीदे जाते है। वहाँ की चहल - पहल देखते ही बनती है। गाँव हो या शहर , बच्चे - बच्चियाँ , बूढ़े - जवान सभी रंग - बिरंगे कपड़ों में सजे परिवार की टोलियाँ वहाँ जाती है और घूम - घूमकर मनपसंद चीज़े खरीदती है। लोग कतारों में बैठते, नमाज पढ़ते , एकसाथ उठते , बैठते और झुकते , फिर गले - गले मिलते और मुबारकबाद देते है। हर के सिर पर एक विशेष प्रकार की उजली टोपी होती है।

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उपसंहार - ईद न केवल एक धार्मिक पर्व है , बल्कि इसमें पारिवारिक , सामाजिक , सांप्रदायिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रदर्शन होता है। इसमें दूसरे धर्मों और सम्प्रदायों के लोग भी सम्मिलित होकर अपने मुस्लिम भाइयों को बधाइयाँ देते है और गले - गले मिलते है। ऐसा कर वे सांप्रदायिक एकता और राष्ट्रीय अखंडता तथा भाईचारे की भावना को शक्ति प्रदान करते है। इस प्रकार , ईद का त्योहार अब राष्ट्रीय पर्व का रूप ग्रहण करता जा रहा है।

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