रंगों का त्योहार - होली पर निबंध | Essay on Festival of Colours - Holi in Hindi

 रंगों का त्योहार - होली पर निबंध | Essay On Festival of Colours - Holi in Hindi | Class 6 | व्याकरण 

भारत त्योहारों का  देश है। इन त्योहारों में कुछ धर्म से जुड़े हैं तो कुछ ऋतुओं से और कुछ घटनाओं से। होली तो इन सबका संगम है। इस कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन लोग आपसी झगड़े भूलकर एक - दूसरे को गले लगाते है और गुलाल लगाते है। 
रंगों का त्योहार होली अपने - आप में अनुपम त्योहार है। इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके मनाने के विषय में लोक कथा प्रचलित है कि राक्षसों का राजा हिरण्यकश्यप ईश्वर का विरोधी था, जबकि उसका पुत्र प्रह्लाद परम ईश्वर भक्त था। इस कारण हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद के कार्यों को पसंद नहीं करता था। प्रह्लाद को ईश्वर की अराधना करने के कारण तरह - तरह के कष्ट उठाने पड़ते थे। उसके पिता ने कई बार उसे जान से मारने का प्रयास किया पर उसे हर बार विफल होना पड़ा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका थी, जिसे ईश्वर से यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती है। इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए, जिससे प्रह्लाद मर जाए। वह प्रह्लाद को गोद में लेकर  जलती चिता पर बैठ गयी। ईश्वर की कृपा से होलिका तो जल गई, परन्तु प्रह्लाद बच गया। उसी घटना को याद करते हुए आज भी लोग होलिका दहन करते है। 
होली का त्योहार युवा, वृद्ध, बच्चे, नर - नारी, अमीर - गरीब सभी लिए खुशियाँ लेकर आता है। सभी इस त्योहार को हर्ष और उल्लास से मनाते है। होली के दिन अर्थात फाल्गुन पूर्णिमा की शाम जब चाँद अपने यौवन पर होता है, तब पूजा करके लकड़ियों के ढेर में आग लगा दी जाती है। लोग अग्नि की परिक्रमा करते है और ख़ुशी मनाते है। 
होली के अगले दिन प्रातः काल से बच्चे, युवा, स्त्री - पुरुष एक - दूसरे पर रंग डालने लगते है। चारों ओर उल्लास और ख़ुशी का वातावरण होता है। पिचकारियों में अनेक रंग भरकर दूसरों पर डाले जाते है। लोगों को छोटे - बड़े, अमीर - गरीब का ख्याल नहीं रह जाता है। 
लेकिन इस दिन कुछ लोग शराब अथवा भाँग का सेवन भी करते है और नशे में गाली - गलौज भी करते है। ऐसे लोग रंग की जगह पेंट, काले जले तेल आदि का प्रयोग कर इस त्योहार को बदरंग बनाते है। कुछ लोग आपसी वैर के कारण भी ऐसा करते है। कुछ बच्चे रंग या पानी भरे गुब्बारे आने - जाने वालों पर फेंकते है। हमें ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए। 
होली खुशियों का त्योहार है। इस अवसर पर हमें आपसी द्वेष, बैर, झगडे आदि सब कुछ भूलकर परस्पर गले मिलना चाहिए और प्रेम, प्यार तथा सदभाव फैलाना चाहिए। हमें ऊँच - नीच का भेदभाव भूलाकर सबसे प्रेम करना चाहिए और राष्ट्रीय एकता को बढ़ाना चाहिए। तभी हमें इस त्योहार का सच्चा आनंद प्राप्त हो सकेगा। 
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