दीपावली - दीपों का त्योहार पर निबंध | Essay on Deepavali - Festival of Lights in Hindi

 दीपावली - दीपों का त्योहार पर निबंध | Essay on Diwali - Festival of Lights in Hindi | Class 6 | व्याकरण 

हमारा प्यारा भारत देश त्योहारों का देश है। यहाँ हर महीने कोई - न - कोई त्योहार आता ही रहता है। इन त्योहारों में भारत की विभिन्न परम्पराओं एवं संस्कृतियों की झांकी मिलती है। जीवन में हर्ष एवं उल्लास भरने वाले इन त्योहारों का अपना विशेष महत्त्व है। इन्ही त्योहारों के बीच एक विशेष त्योहार है, जिसे हम दीपावली कहते है। 
दीपावली शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - दीप + अवली। इसका अर्थ है दीपों की पंक्तियाँ। यह त्योहार भारतीय महीनो के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। लोग इस अमावस्या की कालिमा को दीपों के प्रकाश से दूर करते है। भारत के अनेक भागों में दीपावली पाँच दिनों तक मनाने की परंपरा है। इन पॉँच दिनों में धनतेरस, छोटी दीपावली, बड़ी दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैयादूज मनाये जाते है। 
दीपावली मनाने की परंपरा के विषय में कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम, लंका युद्ध में रावण को जीतकर चौदह वर्षों के उपरांत अयोध्या वापस आये थे। भगवान राम के अयोध्या आगमन पर अयोध्यावासी खुश हुए और अपने घरों तथा नगर में दीपकों का प्रकाश किया। तब से प्रतिवर्ष इस दिन दीप जलाकर दीपावली मनाई जाती है। इसी दिन जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी तथा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने निर्वाण प्राप्त किया था। 
दीपावली की त्योहार वर्षा ऋतु के बाद आता है। घर - घर में इसकी तैयारियॉँ बहुत पहले से ही शुरू हो जाती है। लोग अपने - अपने घरों की सफाई तथा पुताई कराते है। लोगों का ऐसा मानना है कि जिसके घर में प्रकाश और सजावट अधिक होगी, लक्ष्मी उसी घर में प्रवेश करती है। दीपावली की रात्रि में बाजारों में तथा गलियों की शोभा निराली होती है। चरों ओर दीपकों, मोमबत्तियों एवं बल्बों का प्रकाश फैला होता है। बच्चे तो इस अवसर पर बहुत खुश होते है। वे तरह - तरह की रंगीन आतिशबाजियाँ छोड़ते है। लोग नए कपडे पहनकर शाम को लक्ष्मी - गणेश का पूजन करते है। साहूकार लोग इस दिन पूजा करके नए खातों में हिसाब - किताब आरम्भ करते है। कहा जाता है कि कुछ नया सिखने के लिए इस शाम से अभ्यास करना चाहिए। लोग पूजन के बाद अपने मित्रों और सगे - सम्बन्धियों के घर मिठाई, उपहार आदि भेजकर दीपावली की शुभकामनाएँ देते है। 
दीपावली खुशियों का पर्व है। इस शुभ पर्व पर कुछ लोग जुआ खेलकर अपनी खुशियां बढ़ाने की आशा करते है, परन्तु अक्सर जुए में हारकर नुकसान उठाते है। जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई है। इस बुराई को समूल नष्ट करने का प्रयास करना चाहिए। पटाखों के धुएँ एवं शोर से पर्यावरण को विशेष नुकसान होता है। अतः हमें पटाखे नहीं जलाने चाहिए। बच्चों को पटाखे चलाने से होने वाली हानियों से अवगत कराना चाहिए। साथ ही पूरी सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे वे जलने से बच सकें। इस त्योहार पर हमारा परम कर्तव्य बनता है कि इसे उचित ढंग से मनाएँ ताकि इस त्योहार का सच्चा आनंद उठा सकें और दीपावली हमारे लिए सचमुच मंगलमय हो। 
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