भाई - बहन का पर्व - रक्षाबंधन पर निबंध | Essay on Festival of Brother and Sister - Rakshabandhan in Hindi

 भाई - बहन का पर्व - रक्षाबंधन पर निबंध | Essay on Festival of Brother and Sister - Rakshabandhan in Hindi | Class 6 | व्याकरण 

भारत विविधताओं का देश है। यहाँ की परम्पराओं, रीती - रिवाजों, त्योहारों आदि में भी विविधता पाई जाती है। यहाँ करीब - करीब हर माह कोई - न - कोई त्योहार मनाया जाता है। इन त्योहारों में रक्षाबंधन का अपना विशेष महत्त्व है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी कारण इसे श्रावणी भी कहा जाता है। यह त्योहार मुख्यतः हिन्दुओं का त्योहार है। यह त्योहार भाई को बहन के प्रति उसके कर्तव्यों की याद दिलाता है। 
कहा जाता है कि जब बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण किया तब चित्तौड़ की महारानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजी थी। हुमायूँ ने कर्मवती की रक्षा के लिए तत्काल चित्तौड़ प्रस्थान कर दिया था। 
इस त्योहार के दिन प्रातः से ही घर में चहल - पहल रहती है। घर की साफ़ - सफाई करके लोग नहा - धोकर साफ़ कपडे पहनकर तैयार हो जाते है। बहनें थाली में मिठाई तथा राखी रखकर अपने भाइयों के पास जाती है। भाइयों का तिलक करके वे उनके हाथ में राखी बांधती है। भाई भी राखी बंधवाकर बहन की रक्षा का वचन देते है और बहन को उपहार स्वरुप कपड़े, गहने या रूपए देते है। 
वास्तव में यह त्योहार भाई - बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है। इस त्योहार से भाई और बहन के संबंधों में और भी मधुरता आ जाती है। यह त्योहार पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। बहनों को तो इस त्योहार का इंतजार रहता है। 
प्राचीनकाल में पुरोहित या ब्राह्मण भी राखी बाँधने का कार्य किया करते थे। ये पुरोहित अपने यजमानों के हाथ में राखी बाँधते थे और आशीर्वाद देते थे। यजमान भी इन्हे यथासंभव दक्षिणा या दान दिया करते थे। मध्यकाल में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी का धागा बांधकर उन्हें सज्जित कर रणक्षेत्र में भेजती थी। इस त्योहार का मूल उद्देश्य भाई - बहन के संबंधों में मधुरता तथा प्रगाढ़ता लाना था। वहीं इसमें वीरता की भावना भी छिपी रहती थी। भाइयों को देशरक्षा के लिए प्रेरणा देना भी इसका उद्देश्य था। दुर्भाग्य से यह भावना आज समाप्त होती जा रही है। भाई अपनी बहन को उपहार स्वरुप कुछ राशि देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेता है। 
रक्षाबंधन का त्योहार हर्षोल्लास लाने वाला एक पवित्र त्योहार है। हमें इस त्योहार की मूल भावना को समझना चाहिए। वास्तव में राखी की कीमत बहन को उपहार स्वरुप कुछ पैसे देकर नहीं चुकायी जा सकती है। हमें इन धागों में छिपे प्यार को समझना चाहिए। इस दिन हमें वीर एवं उत्साही बनने का व्रत लेते हुए इस त्योहार की मर्यादा तथा मान बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे यह त्योहार आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सके।
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