हमारा देश : भारत पर निबंध
प्राचीन भारत - भारत हमारा प्राचीन और प्रिय देश है। यह हमारी जन्मभूमि और कर्मभूमि है। भारत का अतीत महान और गौरवमय रहा है। कहते है , भारत संसार का आदिगुरु रहा। संसार का बड़ा हिस्सा जब अज्ञान के अंधकार में पड़ा था , तब भारत ने न केवल उस अंधकार को दूर किया , बल्कि शासन की एक ऐसी पद्धति को जन्म दिया , जिसे आज लोकतंत्र या जनतंत्र है। मतलब यह कि लोकतंत्र का जन्मदाता भारत है। यहाँ के राजा प्रजा के पालक और सेवक होते थे। सभ्यता और संस्कृति का नया प्रकाश सबसे पहले भारत ने ही दिया , सारी दुनिया को। बाल्मीकि , कालिदास , भारवि जैसे महाकवि , कपिल , कणाद , शंकर जैसे असाधारण दार्शनिक , महावीर और बुद्ध जैसे अहिंसा और सत्य के पुजारी इसी देश में पैदा हुए। मध्ययुग में नानक , कबीर , दादू , जायसी , तुलसी जैसे संत - महात्मा पैदा हुए। 19 वीं सदी में राजा राम मोहन रॉय , विवेकानंद , रामकृष्ण परमहंस , अरविन्द , दयानन्द जैसे समाजसेवी और चिंतक यही पैदा हुए। बीसवीं सदी में महात्मा गाँधी , नेहरू , सुभाषचंद्र बोस , शहीद भगत सिंह , राम मनोहर लोहिया , अंबेडकर , जयप्रकाश जैसे बलिदानी देशभक्त इसी भारत की गोद में जन्मे। अतएव , भारत ऋषियों , मुनियों , दार्शिनकों , महाकवियों , संत - महात्माओं और समाजसेवियों तथा देशभक्तों देश है। इसका कण - कण प्रिय और पवित्र है। ऐसी महान भूमि को हम भारतमाता कहते है और इसकी वंदना करते है।
👉 मेरी दिल्ली हरी - भरी पर निबंध
अन्नपूर्णा - भारत एक ऐसा देश है , जहाँ की प्रकृति ने अपनी छह ऋतुओं में नए - नए रूप धारण कर और फूलों , फलों तथा अनाजों को पैदा कर धन्य - धन्य कर दिया है। कहते है , इस देश में कभी दूध की नदी बहती थी। ऐसा कोई दूसरा देश नहीं। महाकवि इक़बाल ने ठीक ही कहा - 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा। '
आजाद भारत - सदियों की दासता की जंजीर काटकर भारत 15 अगस्त , 1947 को महात्मा गाँधी जैसे देशभक्तों के तप , त्याग और बलिदान से आजाद हुआ। हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान की लाली दौड़ आयी। एक नया विश्वास जगा , नया बल मिला। हम सभी लग गए भारत के नवनिर्माण में। किन्तु , जो आजादी हमें मिली , वह पूर्ण नहीं , खंडित थी। देश के दो टुकड़े हो गए - भारत और पाकिस्तान। 26 जनवरी , 1950 को भारत का नया संविधान घोषित हुआ। एक बड़े आस - विश्वास के साथ हम आजाद हुए।
👉 विज्ञान के लाभ - हानि पर निबंध
किन्तु , शीघ्र ही हमारा मोहभंग हो गया। बड़े - बड़े नेताओं के उठ जाने पर जो नये नेता हमारे सामने आये , उनमे वह शक्ति , वह उत्साह और वह त्याग नहीं रहा , जिसकी हमें आशा थी। सांप्रदायिक संघर्षों , भाषाई विवादों , क्षेत्रीय उन्माद और जातीय संकीर्णता से सारा देश काँप उठा और एक बार फिर मध्ययुग की ओर लौटता दिखाई पड़ा। कश्मीर , पंजाब , असम जैसे राज्यों में अशांति , कलह , हत्या और क्षेत्रीय उन्माद से देश की अखंडता और एकता पर प्रश्नचिन्ह लग गया। आज राजनीतिक पार्टियों का राष्ट्रबोध और राष्ट्रप्रेम टूटता नजर आता है। क्षुद्र स्वार्थ आज राष्ट्रप्रेम पर हावी हो गया है। आज कोई ऐसा त्यागी - बलिदानी नेता दिखाई नहीं देता , जो सारे देश की एकता को एक सूत्र में बाँधकर हमारे विश्वास को मजबूत कर सके। अब तो ईश्वर का भरोसा ठहरा। वही कोई चमत्कार कर हमारे सारे संकटों को दूर कर सकेगा।
👉 नई कक्षा में पहला दिन पर निबंध
एक विश्वास - हमें धीरता , दृढ़ता और विश्वास से काम लेना होगा। हमारे बीच अब भी ऐसे चिंतक और देशभक्त वर्तमान है , जो समय पाकर , प्रकट होकर , हमारा नेतृत्व करेंगे और तब भारत में फिर नया सवेरा होगा , पुनर्जागरण होगा। ऐसी शक्तियाँ अभी परदे के ओट में है। जैसे अंधकार के बाद प्रकाश आता है , उसी तरह भारत का वर्तमान अंधकार भी दूर होकर रहेगा। हमारे दिवंगत बलिदानी देशभक्तों का तप - त्याग और समर्पण बेकार नहीं जायेगा।