NCERT Solution : हिंदी (वसंत) कक्षा 6 : पाठ 9 - जो देखकर भी नहीं देखते
प्रश्न - अभ्यास
निबंध से
1. 'जिन लोगों के पास आँखें है , वे सचमुच बहुत कम देखते है' - हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था ?
उत्तर :
हेलेन केलर को ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि जब प्रकृति की वस्तुओं को छूने से इतना आनंद मिलता है तो उन्हें देखकर तो मन मुग्ध हो जाना चाहिए , परन्तु दुनिया के सुन्दर रंग लोगों की संवेदना को छू नहीं पाते है।
2. 'प्रकृति का जादू' किसे कहा गया है ?
उत्तर :
ऋतुओं का परिवर्तन , वसंत में फूलों का खिलना , कलियों की पंखुड़ियों की मखमली सतह और घुमावदार बनावट , बागों में पेड़ों पर गाते पक्षी , कलकल करते बहते हुए झरने , कालीन के समान फैले हुए घास के मैदान आदि 'प्रकृति के जादू' हैं।
3. 'कुछ खास तो नहीं' - हेलन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ ?
उत्तर :
'कुछ ख़ास तो नहीं' - यह जवाब उसकी मित्र ने तब दिया जब वह जंगल की सैर करके लौटी थी। हेलेन को आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वह इस तरह के उत्तरों की आदि हो चुकी थी।
4. हेलेन केलर प्रकृति की किन चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थी ? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो।
उत्तर :
हेलेन केलर भोजपत्र की चिकनी छाल , चीड़ की खुरदरी छाल , कलियों व फूलों की पंखुड़ियों की बनावट को छूकर तथा चिड़ियों के गीतों को सुनकर पहचान लेती है।
5. 'जबकि इस नियामत से ज़िंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा - भरा किया जा सकता है।' -तुम्हारी नज़र में इसका क्या अर्थ हो सकता है ?
उत्तर :
'जबकि इस नियामत से ज़िंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा - भरा किया जा सकता है ' - का अर्थ है कि प्रकृति की इन अनेक सुन्दर वस्तुओं को देखकर आनंद उठाया जा सकता है और अपने सारे दुखों को भुलाया जा सकता है।
निबंध से आगे
1. आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या - क्या देखा - सुना ? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा करो।
उत्तर :
आज अपने घर से आते हुए मैंने अनेक चीजें देखी। घर से निकलते ही सबसे पहले पेड़ पर बैठे पक्षियों को चहचहाते देखा और सुना। वे इतने खुश दिखते थे , मानो उन्हें जीवन का कोई ख्वाज़ा मिल गया है। थोड़ा - सा आगे जाने पर खिले हुए फूल और कलियाँ देखकर मन प्रसन्न हो उठा। फूलों के आस - पास भौरें मँडरा रहे थे। कुछ पौधों पर लताएँ एक साथ लिपटी हुई मनमोहक लग रही थी , मानो वे मिल - जुलकर रहने का सन्देश दे रही हो। पार्क में हरी घास की दूर तक फैली चादर देखकर मन ईश्वर को धन्यवाद देने लगा , जिसने मुझे इतने उपहारों को देखने की क्षमता प्रदान की।
2. कान से न सुन पाने पर आस - पास की दुनिया कैसी लगती होगी ? इस पर टिपण्णी लिखो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।
उत्तर :
कान बंद करने पर हमें कुछ सुनाई नहीं देता है। प्रकृति की आनंददायी आवाज को न सुन पाने पर एक अजीब सी स्थिति होती है। मन तुरंत कहता है कि कान खोलकर इन ध्वनियों का आनंद लिया जाए। बंद कान में एक सायं - सायं की आवाज परेशान कर देती है। मनुष्य एवं प्रकृति के क्रियाकलापों को बंद कान से हम मूक फिल्मों की तरह देखते है।
3. तुम्हे किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उसे सुनकर , सूँघकर , चखकर , छूकर अनुभव की जाने वाली चीजों के संसार के विषय में क्या - क्या प्रश्न कर सकते हो ? लिखो।
उत्तर :
यदि हमें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो हम उससे सुनकर , सूँघकर , चखकर , छूकर अनुभव की जाने वाली चीज़ों के विषय में पूछेंगे -
स्वयं - आप पेड़ों को कैसे पहचानते है ?
व्यक्ति - मैं पेड़ की छाल को स्पर्श करता हूँ। उसकी छाल के चिकना होने या खुरदरा होने से पता चल जाता है कि पेड़ कौन - सा है।
स्वयं - किसी पेड़ का नाम बताइए , जिसे आप छूकर पहचान लेते है।
व्यक्ति - जी , भोजपत्र , जिसकी छाल चिकनी होती है और चीड़ जिसकी छाल खुरदरी होती है।
स्वयं - आप वृक्ष की टहनी पर हाथ रखते है तो कैसा लगता है ?
व्यक्ति - वृक्ष की टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़ियाँ का मधुर स्वर कानों में गूँजने लगता है जो बड़ा ही आनंददायक लगता है।
स्वयं - झरने का पानी छूने पर आपको कैसा लगता है ?
व्यक्ति - झरने के पानी को बहता हुआ महसूस करने पर मैं आनंदित हो जाता हूँ।
स्वयं - आपको प्रकृति के जादू का अहसास होता है ?
व्यक्ति - जी हाँ , मुझे प्रकृति बहुत अधिक प्रिय है।
स्वयं - कोई फल खाने या फूल की खुशबु से आपको कैसा लगता है ?
व्यक्ति - अत्यंत मनमोहक।
स्वयं - धन्यवाद।
4. हम अपनी पाँचों इन्द्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते है। ऐसी चीजों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इन्द्रियों से महसूस करते हो -
सुनकर | चखकर | सूँघकर | छूकर |
क्रियाएँ | इन्द्रियाँ | अहसास / अनुभव |
---|---|---|
सुनना | कान | आवाज - कर्कश /मधुर /ऊँची /धीमी आदि। |
चखना | जीभ | स्वाद - मीठा /तीखा /कड़वा /नमकीन /कसैला /खट्टा आदि। |
सूँघना | नाक | गंध - सुगन्धित /बदबूदार /सामान्य। |
छूना | त्वचा /हाथ | चिकना /खुरदरा /गोल /चौकोर /तिकोन /ठोस /मुलायम /गीला /सूखा आदि। |
भाषा की बात
1. पाठ में स्पर्श से सम्बंधित कई शब्द आए है। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीजों का स्पर्श ऐसा होता है -
चिकना ........... चिपचिपा ...........
मुलायम ........... खुरदरा ...........
सख्त ........... भुरभुरा ...........
उत्तर :
चिकना - कपड़ा
मुलायम - रुई
सख्त - मिट्टी
चिपचिपा - गोंद
खुरदरा - फर्श
भुरभुरा - आटा
2. अगर मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी ख़ुशी मिलती है , तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा।
• ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही है। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती है। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का सम्बन्ध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते है , देख या छू नहीं सकते। आगे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमे से कुछ शब्द संज्ञा और क्रिया से बने है। उन्हें भी पहचान लिखो -
मिठास भूख शांति भोलापन बुढ़ापा घबराहट बहाव फुर्ती ताज़गी
क्रोध मज़दूरी अहसास
उत्तर :
भाववाचक संज्ञा | किन मूल शब्दों से बने है | संज्ञा/विशेषण/क्रिया |
---|---|---|
मिठास | मीठा | विशेषण |
बुढ़ापा | बूढ़ा | विशेषण |
ताज़गी | ताज़ा | विशेषण |
भूख | भूखा | विशेषण |
घबराहट | घबराना | क्रिया |
क्रोध | क्रोधी | विशेषण |
शांति | शांत | विशेषण |
बहाव | बहना | क्रिया |
मज़दूरी | मज़दूर | संज्ञा |
भोलापन | भोला | विशेषण |
फुर्ती | फुर्तीला | विशेषण |
अहसास | अहसास | विशेषण |
3. • मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।
• उस बगीचे में आम , अमलतास , सेमल आदि तरह - तरह के पेड़ थे।
ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते - जुलते है , पर उनके अर्थ भिन्न है। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए है। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो -
अवधि - अवधी
ओर - और
में - मैं
दिन - दीन
मेल - मैल
सिल - शील
उत्तर :
अवधि - राम के वनवास की अवधि चौदह वर्ष थी।
अवधी - रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखा गया है।
ओर - चलो ! चाँद की ओर देखते है।
और - दुर्योधन और कर्ण बहुत अच्छे मित्र थे।
में - शिव और विष्णु में कोई भेद नहीं है।
मैं - मैं एक शिव भक्त हूँ।
दिन - सोमवार का दिन महादेव जी को समर्पित है।
दीन - ईश्वर दीन - दुखियों का कल्याण करे !
मेल - देवों में हनुमान जी का कोई मेल नहीं है।
मैल - भिखारी के कपड़ों पर मैल जमी थी।
सिल - इस बूटी को सिल पर पीस लो।
शील - शील स्वाभाव के लोग सबको अच्छे लगते है।
अनुमान और कल्पना
1. इस तस्वीर में तुम्हारी पहली नज़र कहाँ जाती है ?
इस तस्वीर में हमारी पहली नज़र गली में खड़े वाहनों तथा लोगो पर जा रही है।
2. गली में क्या - क्या चीजें है ?
उत्तर :
गली में दूकान , मकान , वाहन , साइकिलवाला , स्कूटरवाला , बोर्ड तथा बिजली के तार आदि है।
3. इस गली में हमें कौन - कौन सी आवाजें सुनाई देती होंगी ?
सुबह के वक्त दोपहर के वक्त
शाम के वक्त रात के वक्त
उत्तर :
सुबह के वक्त - वाहनों की आवाजें , मनुष्यों की आवाजें तथा फेरी वालों की आवाजें।
दोपहर के वक्त - दोपहर के वक्त लोगों की आपसी बातचीत की आवाजें तथा कभी - कभी वाहनों की आवाजें आती होंगी।
शाम के वक्त - बच्चों के खेलने की आवाजें , बाजार में घूमने वाले लोगों की आवाजें तथा वाहनों की आवाजें।
रात के वक्त - कुत्ते आदि जानवरों की आवाजें , चौकीदार तथा सुरक्षा गार्ड्स की आवाजें।
4. अलग - अलग समय में ये गली कैसे बदलती होगी ?
उत्तर :
अलग - अलग समय में इस गली में कभी भीड़भाड़ होती होगी , तो कभी गली सुनसान होती होगी। कभी इसमें वाहन आदि चलते होंगे , तो कभी गली बिलकुल खाली रह जाती होगी।
5. ये तारें गली को कहाँ - कहाँ से जोड़ती होंगी ?
उत्तर :
ये तारें एक खम्बे से दूसरे खम्बे पर जाती होंगी और इस गली को अन्य गलियों तथा सड़कों से जोड़ती होंगी। इनसे लोगों के घरों में बिजली जाती होगी।
6. साइकिलवाला कहाँ से आकर कहाँ जा रहा होगा ?
उत्तर :
साइकिलवाला अपने घर से आकर कुछ सामान खरीदने या दफ्तर आदि जा रहा होगा।
सुनना और देखना
1. एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा निर्मित श्रव्य कार्यक्रम 'हेलेन केलर'
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
2. सई परांपंजे द्वारा निर्देशित फ़ीचर फ़िल्म 'स्पर्श'
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।