जो देखकर भी नहीं देखते पाठ का सार हिंदी वसंत कक्षा 6 पाठ 11

 Summary for Hindi Class 6 Vasant Ch 11

पाठ का सार (Summary)

इस पाठ की लेखिका हेलेन केलर है , जो दृष्टिहीन थी। लेखिका में कुछ जानने के लिए जब अपनी मित्र से पूछा , "आपने क्या देखा ?" यह सहेली जंगल की सैर करके आई थी , फिर भी उसने जवाब दिया , "कुछ ख़ास नहीं। " उसे ऐसे जवाब अक्सर ही सुनने को मिलते है। वह सोचती है कि जिनकी आँखें होती है। वे बहुत कम देखते है। लेखिका , आँखें न होने के बाद भी सैकड़ों चीजें देख सकती है। वह उन्हें छूकर पहचान लेती है। चिकनी और खुरदरी छाल को छूकर जान लेती है। फूलों और पंखुड़ियों को छूने में उसे अपार आनंद मिलता है। पेड़ों की शाखाओं को छूते ही वह पक्षियों के गीत सुनती है , झरने के बहते पानी को छूकर वह आनंदित होती है। घास का मैदान उसे कालीन से भी प्रिय लगता है। 

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प्रकृति की इन सुन्दर चीजों को छूने में इतना आनंद मिलता है , तो उन्हें देखने से तो मन मुग्ध हो जाएगा। वे मनुष्य जिनके पास आँखें है , वे दुनिया के रंगों की संवेदना को नहीं महसूस करते। अपने पास जो है , उसकी कद्र नहीं करते। दृष्टि के इस ईश्वरीय उपहार से लोग अपने जीवन को इंद्रधनुषी रंगों से रंगीन कर सकते है। 

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