गद्यांशों पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
1. क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटा भर घूमे और फिर भी कोई विशेष चीज न देखे ? मुझे - जिसे कुछ भी नहीं दिखाई देता , को भी सैकड़ों रोचक चीजें मिल जाती है , जिन्हे मैं छूकर पहचान लेती हूँ। मैं भोज - पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती हूँ। वसंत के दौरान मैं टहनियों में नयी कलियाँ खोजती हूँ। मुझे फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है। कभी , जब मैं खुशनसीब होती हूँ , तो टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूँजने लगते है। अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर मैं आनंदित हो उठती हूँ। मुझे चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान किसी भी महँगे कालीन से अधिक प्रिय है। बदलते हुए मौसम का समां मेरे जीवन में नया रंग और खुशियाँ भर जाता है।
(i) लेखिका चीजों को किस प्रकार पहचान लेती है ?
- देखकर
- पकड़कर
- छूकर
- दबाकर
उत्तर : छूकर
(ii) वसंत के दौरान टहनियों पर क्या लग जाता है ?
- नई कलियाँ
- नए पत्ते
- नए फूल
- नए फल
उत्तर : नई कलियाँ
(iii) लेखिका को प्रकृति के जादू का अहसास कब होता है ?
- फूलों को छूकर
- फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूकर
- पेड़ों को छूकर
- जंगल में घूमकर
उत्तर : फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूकर
(iv) अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर लेखिका की क्या प्रतिक्रिया होती है ?
- दुखी होती है।
- रोमांचित होती है।
- आश्चर्यचकित होती है।
- आनंदित होती है।
उत्तर : आनंदित होती है।
(v) कौन लेखिका के जीवन में नया रंग तथा खुशियाँ भर देता है ?
- बदलता हुआ मौसम
- विभिन्न ऋतुएँ
- प्रकृति का जादू
- पेड़ - पौधे
उत्तर : बदलता हुआ मौसम।
2. कभी - कभी मेरा दिल इन सब चीजों को देखने के लिए मचल उठता है। अगर मुझे इन चीजों को सिर्फ छूने भर से इतनी ख़ुशी मिलती है , तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। परन्तु , जिन लोगों की आँखें है , वे सचमुच बहुत कम देखते है। इस दुनिया के अलग - अलग सुन्दर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज की आस लगाए रहता है जो उनके पास नहीं है।
यह कितने दुःख की बात है कि दृष्टि के आशीर्वाद को लोग एक साधारण - सी चीज़ समझते है , जबकि इस नियामत से ज़िंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा - भरा जा सकता है।
(i) लेखिका को प्रकृति के उपादानों से किस प्रकार ख़ुशी मिलती है ?
- छूने भर से
- देखने से
- विचरण करने से
- सुगंध से
उत्तर : छूने भर से
(ii) लेखिका के अनुसार कौन लोग बहुत कम देखते है ?
- जिनकी आँखें खराब है।
- जो देख नहीं पाते है।
- जिनकी आँखें है।
- जिनकी ऑंखें नहीं है।
उत्तर : जिनकी आँखें है
(iii) मनुष्य किसकी कदर नहीं करता है ?
- अपनी भावनाओं की
- अपनी क्षमताओं की
- अपने विचारों के
- अपने वातावरण की
उत्तर : अपनी क्षमताओं की
(iv) लोग किसे साधारण चीज समझते है ?
- प्रकृति के जादू को
- भगवान के आशीर्वाद को
- मौसम के परिवर्तनों को
- दृष्टि के आशीर्वाद को
उत्तर : दृष्टि के आशीर्वाद को
(v) जिंदगी को किन रंगों से हरा - भरा किया जा सकता है ?
- खुशियों के रंगों से
- पानी के रंगों से
- प्रकृति के रंगों से
- घास - फुस के रंगों से
उत्तर : खुशियों के रंगों से।