नौकर पाठ का सार हिंदी वसंत कक्षा 6

 Summary for Class 6 Hindi Vasant Ch 15 - Naukar (नौकर)

पाठ का सार - गाँधी जी किसी काम को छोटा नहीं समझते थे। जिस काम को नौकर - चाकर करते थे , उसे भी वे छोटा नहीं समझते थे। जब वे वकालत में हज़ारों रूपए कमाते थे , तब भी हाथ की चक्की से रोटी के लिए आटा खुद पीस लेते थे। बाहरी लोगों के सामने भी वे शारीरिक मेहनत का काम करने में शर्म महसूस नहीं करते थे। कुछ समय तक वे आश्रम के भंडार में काम संभालते रहे। सुबह प्रार्थना के बाद वे सब्जियाँ छीलते। वे सफाई का भी विशेष ध्यान रखते थे। वे भोजन की पौष्टिकता का विशेष ध्यान रखते। आश्रमवासियों को अक्सर अपने ही हाथ से भोजन परोसते। दक्षिण अफ्रीका की जेल में भी कैदियों को भोजन परोसने का काम वे कर चुके थे। गाँधी जी बर्तनों को खुद ही माँजकर चमका दिया करते थे। 

👉 NCERT Solution for Class 6 Hindi Ch 15 - नौकर

आश्रम के निर्माण के समय वहाँ आने वाले मेहमानों को तम्बुओं में सोना पड़ता था। एक नवागत को बिस्तर रखने का स्थान न पता था। वह जब तक पता करके लौटा गाँधी जी ने उसका बिस्तर खुद उठाकर रख दिया। आश्रम के लिए कुँए से पानी खींचने का काम गाँधीजी स्वयं करते थे। उनमे हर प्रकार का काम करने की अद्भुत क्षमता और शक्ति थी। वह थकान का नाम भी नहीं जानते थे। उन्होंने  बोअर - युद्ध के दौरान घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर पच्चीस - पच्चीस मील तक ढोया था। वे अक्सर मीलों पैदल चला करते थे। एक बार तालाब की भराई का काम कर रहे अपने साथियों के लिए उन्होंने नाश्ता भी तैयार किया था। 

👉 MCQ for Class 6 Hindi Vasant Ch 15 - नौकर

वे एक बार भारतीयों के नेता रूप में लंदन गए। वहां भारतीयों छात्रों ने उन्हें भोज पर निमंत्रित किया और स्वयं भोजन तैयार करने लगे। कुछ समय बाद उन्हीं में एक युवक आकर शामिल हो गया और उनकी मदद करने लगा। बाद में पता चला कि वही तो उनके सम्मानित अतिथि गाँधी थे। गांधीजी अपना काम स्वयं करते थे। वे कमरे में साफ़ - सफाई भी स्वयं करते थे। अठहत्तर साल की उम्र में भी उन्होंने खाखरा बनाने की विधि रसोइए को बताई। 

👉 Extra Questions for Class 6 Hindi Vasant Ch 15 - नौकर

गाँधी जी बच्चों को भी बहुत प्यार करते थे। वे बच्चों के लिए दाई न रखने की बात कहते थे। उनके अनुसार बच्चों के विकास के लिए माँ - बाप का प्यार और देखभाल अनिवार्य है।  वे बच्चों की देखभाल माँ की तरह ही कर सकते थे , उन्हें खिला - पिला और बहला सकते थे। गाँधी जी अपने से बड़ो का बहुत आदर करते थे। दक्षिण अफ्रीका में वे गोखले जी के लिए भोजन परोसते और उनके पैर दबाने को भी तैयार रहते थे। दक्षिण अफ्रीका से आने के बाद उन्होंने कांग्रेस अधिवेशन में गंदे पखाने साफ़ किए और एक बड़े नेता के व्यक्तिगत काम भी किए। 

👉 गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - नौकर

गाँधी जी कभी किसी काम करने वाले को नौकर की भाँति नहीं रखते थे। वे नौकरों को भाई के समान मानते थे। इंग्लैंड में उन्होंने देखा कि वहाँ नौकरों को परिवार का सदस्य माना जाता है। ये देखकर उन्हें बहुत ख़ुशी हुई। वे कहते थे , "मैं किसी को अपना नौकर नहीं समझता , उसे अपना भाई या बहन ही मानता हूँ। "

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