Radio Par Nibandh
रेडियो का परिचय - रेडियो आधुनिक विज्ञान का एक आश्चर्यजनक उपयोगी अविष्कार है। इसने सारे संसार को एक कर दिया है। इससे हम सारी दुनिया के समाचार सुना करते है , संगीत और नाटक का आनंद लेते हैं और हर तरह के ज्ञान - विज्ञान की बातें सीखते है। रेडियो को 'आकाशवाणी' भी कहते है, क्योंकि प्राचीन ग्रंथो में 'आकशवाणी' का उल्लेख हुआ है।
रेडियो का प्रचार - रेडियो का प्रचार हर घर में है। अगर हम चाहें , तो सारी रात और सारे दिन रेडियो खोले रह सकते है और संसार की विविध बातें घर बैठे बिस्तर पर लेटे सुन सकते है। सुबह होते ही सुनने को मिलता है , 'यह आकाशवाणी पटना है', 'यह दिल्ली है', 'यह आकाशवाणी का लखनऊ केंद्र है', 'अब थोड़ी देर में समाचार होंगे , पहले हिंदी में , फिर अँग्रेजी में'। शाम को बाहर टहलने जाइए , तो पानवाले की दुकान से आवाज आती है - 'अभी आपने लता मंगेशकर को सुना ; अब सुनिए, मन्ना डे को'। ऐसा कोई स्थान नहीं है , कम - से - कम 150 ₹ में एक 'रेडियो सेट' मिल जाता है।
रेडियो का अविष्कार - जब आँधी और तूफ़ान में टेलीफोन के तार टूटने लगे या कभी - कभी उपद्रवी तार काटने लगे, तब लोगों की असुविधा बढ़ने लगी। समाचार भेजने में कठिनाई होने लगी। इस कठिनाई को दूर करने के लिए भारतीय वैज्ञानिक श्री जगदीशचंद्र बसु ने सबसे पहले अनेक परिक्षण किये , किन्तु सफलता मिली इटली के वैज्ञानिक मार्कोनी को। मार्कोनी ने यह सिद्ध किया कि मनुष्य जो कुछ बोलता है , वह ध्वनि - तरंग बनकर हवा में घूमता रहता है ; हमारी आवाज कभी मरती नहीं। आकाशवाणी हवा की तरंगों में फैली ध्वनि को बिजली की शक्ति से ग्रहण कर उन्हें सुना देती है। जिस स्थान से ध्वनि का प्रसारण होता है , उसे 'आकाशवाणी केंद्र' अथवा 'ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन' कहते है। इस प्रकार , मार्कोनी ने सन 1919 में रेडियो का अविष्कार कर संसार की बड़ी सेवा की।
रेडियो का महत्त्व - रेडियो ने सिनेमा , ग्रामोफ़ोन और समाचारपत्र - तीनों को मिलाकर एक कर दिया। रेडियो से हम संगीत , नृत्य और नाटक का आनंद प्राप्त करते है। अतः , इनके लिए अब सिनेमा देखना बहुत जरुरी नहीं रहा। पहले गीतों के लिए हमें ग्रामोफ़ोन का सहारा लेना पड़ता था या काफी खर्च पर गवैये बुलाने पड़ते थे। अब हम घर बैठे ही सभी प्रकार के गीत और संगीत का आनंद उठाते है। बड़े - बड़े गायक हमारे सामने आते है और हम उनका गाना सुनते है। अब तो समाचारपत्र भी खरीदने की जरुरत नहीं रही। रेडियो से हम हर दिन देश - विदेश के ताजा - से - ताजा समाचार 10 - 15 मिनटों में सुन लेते है। इतना ही नहीं , रेडियो ने अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध मजबूत कर विश्वबन्धुत्त्व को बढ़ावा दिया है। आधुनिक युद्धों में भी रेडियो का उपयोग होता है। रेडियो ने ज्ञान - विज्ञान की शिक्षा के विस्तार में काफी योग दिया है। यह हर दिन सभी तरह के लोगों की रूचि और आवश्यकता के अनुसार नयी - नयी बातों का प्रसारण करता है। गाँव वालों के लिए 'पंचायत' या 'चौपाल' , महिलाओं के लिए 'आँगन' , बच्चों के लिए 'बाल मंडली' इत्यादि कार्यक्रमों का प्रसारण हर दिन होता रहता है। इसी तरह , स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए भी कार्यक्रमों की अलग - अलग व्यवस्था रहती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि रेडियो आधुनिक जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी और आवश्यक है।
➤ Essay on Science and Religion
रेडियो का उपसंहार - रेडियो का उपयोग अनंत है। यह दुनिया को एक करने में , शिक्षाप्रसार में , विविध मनोरंजनों के प्रसार में और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक जीवन को मजबूत बनाने में बड़ी सहायता कर रहा है। वस्तुतः , यह आधुनिक विज्ञान का एक बड़ा उपयोगी वरदान है।