NCERT Solution for Class 6 Hindi Chapter 6 वसंत - ऐसे - ऐसे

NCERT Solution : हिंदी (वसंत) कक्षा 6 - पाठ 6 : ऐसे - ऐसे 

प्रश्न - अभ्यास

एकांकी से 

1. 'सड़क के किनारे एक सुन्दर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है .........उस पर एक फोन रखा है। ' 
इस बैठक की पूरी तस्वीर बनाओ। 
उत्तर :
बैठक की तस्वीर छात्र स्वयं बनाये। 

2. माँ मोहन के 'ऐसे - ऐसे' कहने पर क्यों घबरा रही थी ? 
उत्तर :
माँ मोहन के 'ऐसे - ऐसे' कहने पर इसलिए घबरा रही थी क्योंकि वह बीमारी का नाम नहीं बता रहा था। बस पेट पर हाथ रखकर ज़ोर - ज़ोर से कराहता जा रहा था। वह 'ऐसे - ऐसे' को कोई नई बीमारी समझ रही थी। 

3. ऐसे कौन - कौन से बहाने होते है जिन्हे मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते है ? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो। 
उत्तर :
पेट दर्द , सिर दर्द , बुखार , माता - पिता के साथ कहीं जाना , माता - पिता द्वारा किसी काम के लिए कहा जाना , शादी में जाना आदि ऐसे बहाने है , जिन्हे मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते है। 

अनुमान और कल्पना 

1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में 'ऐसे -ऐसे ' होने के बहाने बनाये। मान लो , एक बार उसे सचमुच पेट दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया , तब मोहन पर क्या बीती होगी ?
उत्तर :
मोहन ने कई बार पेट दर्द का बहाना बनाया , लेकिन जब एक बार सचमुच उसके पेट में दर्द होगा , तो लोगों ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया होगा। जिससे उसे अपने झूठ बोलने का पछतावा हुआ होगा। साथ ही उसे बहुत दुःख भी हुआ होगा। 

2. पाठ में आये वाक्य - 'लोचा -लोचा फिरे है ' के बदले 'ढीला - ढाला हो गया है या बहुत कमज़ोर हो गया है ' - लिखा जा सकता है। लेकिन , लेखक ने संवाद में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग - ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी है , जैसे -
- इत्ती नयी - नयी बीमारियां निकली है ,
- राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया ,
- तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है। 
⏺ अनुमान लगाओ , इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है ?
उत्तर :
इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से इस प्रकार लिखा जा सकता है - 
  • 'इत्ती नयी - नयी बीमारियाँ निकली है' के बदले 'इतनी नयी - नयी बीमारियां हो रही है ' या 'आजकल कई बीमारियां हो रही है ' - लिखा जा सकता है। 
  • 'राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया ' के बदले 'कष्ट देने वाली बीमारियों ने परेशान कर दिया है या बहुत - सी बीमारियों ने दुःखी कर दिया है ' - लिखा जा सकता है। 
  • 'तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है ' के बदले 'तू तो बहुत झूठ बोलता है या तो तू बड़ा कपटी है ' - लिखा जा सकता है। 
3. मान लो कि तुम मोहन की तबियत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो। 
उत्तर :
मोहन के घर उसकी तबीयत पूछने जाने पर - 
मैं - मोहन ! क्या बात है ? तुम लेटे क्यों हो ?
मोहन - मेरे पेट में कुछ 'ऐसे -ऐसे ' हो रहा है। 
मैं - ये 'ऐसे -ऐसे ' क्या होता है ?
मोहन - (कराहकर) यहाँ पेट में बहुत दर्द हो रहा है। उठकर बैठा नहीं जा रहा है। 
मैं - यह 'ऐसे -ऐसे ' कब से हो रहा है ?
मोहन - आज दोपहर से अचानक शुरू हो गया था। 
मैं - तुमने कोई दवा ली या नहीं ?
मोहन - वैद्य जी कब्ज़ की दवाएं दे गए थे। माँ ने हींग , फिटकरी , काला नमक दिया था , पर कुछ आराम नहीं हुआ। मैं - घबराओ मत मोहन। थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा। मैं शाम तक फोन करके तुम्हारी तबीयत के  बारे में फिर पूछूंगा। अब मैं घर चलता हूँ। कल स्कूल भी जाना है। स्कूल का गृहकार्य भी करना है। अच्छा मोहन ! नमस्ते !
मोहन - नमस्ते !

4. संकट के समय के लिए कौन - कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए ? ऐसे वक्त में पुलिस , फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे ? कक्षा में करके बताओ। 
उत्तर :
संकट के समय के लिए मित्रों , सगे - सम्बन्धियों , पुलिस , फायर ब्रिगेड तथा डॉक्टर के नंबर याद रखने चाहिए। 
पुलिस से बातचीत -
स्वयं - हेलो !
इंस्पेक्टर - हेलो !
स्वयं - हेलो ! सर , ये पुलिस स्टेशन ..... . 
इंस्पेक्टर - हेलो , हाँ , मैं इंस्पेक्टर .........बोल रहा हूँ। कहिये , आपने कैसे फोन किया है। 
स्वयं - नमस्ते सर। मैं .......... बोल रहा हूँ। मेरे पडोसी के मकान में चोरी हो गयी है। यहाँ का पता ........... है। कृपया शीघ्र पहुँचने का कष्ट करें। 
 इंस्पेक्टर - मैं जल्द ही आपके बताये पते पर पहुँच रहा हूँ। आप परेशान न हो। 
स्वयं - जी , धन्यवाद !

डॉक्टर से बातचीत -
स्वयं - हेलो , डॉक्टर साहब। 
डॉक्टर - हेलो , हाँ , मैं डॉक्टर ............ बोल रहा हूँ। 
 स्वयं - सर , मैं ....... बोल रहा हूँ। 
घर पर पापा की तबियत बहुत ख़राब हो गयी है। आप जल्दी आएँ। 
डॉक्टर - आप घबराओ मत , उन्हें ....... की एक गोली दे दो। मैं जल्दी पहुँचता हूँ। 
स्वयं - ठीक है सर , मैं गोली दे देता हूँ। आप जल्दी आइए। धन्यवाद। 

फायर ब्रिगेड से बातचीत -
स्वयं -  हेलो फायर ब्रिगेड सेंटर .......... 
 कर्मचारी - हेलो , हाँ यह फायर ब्रिगेड सेंटर ...... ही है। कहिये , आपने कैसे फोन किया। 
स्वयं - जी मेरा नाम ......... है। मेरी दुकान ....... में है। यहीं पास की दुकान में आग लग गई है। कृपया शीघ्र पहुँचने की कृपा करें। 
कर्मचारी - आप घबराएं नहीं। हम शीघ्र ही पहुँच रहे है। 
स्वयं - जी धन्यवाद !

ऐसा होता तो क्या होता ...

मास्टर : ... स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है ?
              (मोहन हाँ में सिर  हिलाता है। )
मोहन : जी , सब काम पूरा कर लिया है। 
● इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता ? लिखो। 
उत्तर :
मोहन यदि स्कूल का काम पूरा कर लेने की बात कहता तो उसके नाटक से पर्दा नहीं हटता। उसके माँ - बाप उसके लिए दवा आदि का प्रबंध करते रहते और उन्हें लगता कि हमारा बेटा सचमुच में बीमार है। वह अपने नाटक से सबको मुर्ख बनाने में सफल हो जाता। 

भाषा की बात 

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया। 
    (ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया। 
    (ग) मोहन ने क्या खाया ?
    (घ) मोहन केला और संतरा खाओ। 

उपयुर्क्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते - जुलते है , पर उनके अर्थ अलग - अलग है। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते है। दूसरे वाक्य का सम्बन्ध उस कार्य के न होने से है , इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है। ) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते है। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते है। आगे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो -

बताना : रुथ ने कपडे अलमारी में रखे। 

नहीं /मना करना : रुथ ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।

पूछना : रुथ ! क्या तुमने कपड़े अलमारी में रखे ?

आदेश देना : रुथ ! कपडे अलमारी में रख दो।



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