NCERT Solution : हिंदी (वसंत), पाठ - 5 चिठ्ठियों की अनूठी दुनिया - कक्षा 8
प्रश्न - अभ्यास
पाठ से
1. पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का सन्देश क्यों नहीं दे सकता ?
उत्तर :
पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश नहीं दे सकता है। उसके अग्रलिखित कारण है -
- फोन या एसएमएस संदेशों को संभालकर भविष्य के लिए नहीं रखा जा सकता।
- पत्र यादों को सहेज कर रखते है , जबकि फोन या एसएमएस नहीं।
- संभालकर रखे गए पत्रों को भविष्य में कभी भी पढ़ा जा सकता है और उनसे प्रेरणा प्राप्त की जा सकती है , जबकि फोन या एसएमएस को लम्बे समय बाद न सुना जा सकता है और न ही पढ़ा जा सकता है।
- बड़े - बड़े लेखकों , पत्रकारों , उदयमी , कवि प्रशासक आदि के पत्रों को अनुसन्धान का विषय बनाया जा सकता है , जबकि फोन या एसएमएस को नहीं।
उत्तर :
विभिन्न भाषाओ में पत्र के नाम निम्नलिखित है -
भाषा | पत्र का नाम |
---|---|
संस्कृत | पत्र |
उर्दू | खत |
कन्नड़ | कागद |
तेलुगु | उत्तरम , जाबू और लेख |
तमिल | कडिद |
3. पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या - क्या प्रयास हुए ? लिखिए।
उत्तर :
पत्र लेखन की कला और संस्कृति विकसित करने के लिए निम्नलिखित प्रयास हुए -
- स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया।
- भारत के साथ - साथ दुनिया के अन्य देशों ने भी विश्व डाक संघ की ओर से पत्र लेखन को बढ़ावा दिया।
- विश्व डाक संघ ने 1972 से 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिता आयोजित करने का कार्यक्रम शुरू किया है।
4. पत्र धरोहर हो सकते है लेकिन एसएमएस क्यों नहीं ? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
उत्तर :
पत्र धरोहर हो सकते है , पर एसएमएस नहीं - उसका कारण यह है कि पत्रों को हम भविष्य के लिए संभालकर रख सकते है , पर एसएमएस संदेशों को हम जल्दी से भूल जाते है। हम थोड़े - से ही एसएमएस संदेशों को याद रख सकते है। अनेक महान हस्तियों द्वारा लिखे गए पत्र ही उनकी धरोहर है। दुनिया के अनेक संग्रहालयों में जानी - मानी हस्तियों के पत्रों का संकलन सहेजकर रखा गया है। अनेक पत्र देश , काल और समाज को जानने - समझने का असली पैमाना है। आज़ादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में जो कुछ अंग्रेज अफसरों ने अपने परिजनों को पत्र में लिखा , वे आगे चलकर अत्यंत महत्त्व की वस्तु बन गए। पंडित जवाहरलाल नेहरू , महात्मा गाँधी , भगत सिंह जैसी महान हस्तियों द्वारा लिखे पत्र धरोहर बन चुके है।
5. क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स , ई - मेल , टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते है ?
उत्तर :
फैक्स , ई - मेल , टेलीफोन तथा मोबाइल पत्रों या चिट्ठियों की जगह नहीं ले सकते है। उसका कारण यह है कि पत्रों को लम्बे समय तक सहेजकर रखा जा सकता है। पत्र के आलावा अन्य संचार - साधनों को इतना महत्त्वपूर्ण स्थान नहीं दिया जाता है।
पाठ से आगे
1. किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफ़ाफ़े पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन - सी कठिनाई आ सकती है ? पता कीजिये।
उत्तर :
बिना टिकट सादे लिफाफे पर सही पता लिखकर पत्र भेजने से निम्नलिखित कठिनाइयां आ सकती है -
- पत्र पाने वाले व्यक्ति को बिना टिकट वाला पत्र प्राप्त करने के लिए टिकट के मूल्य से अधिक पैसे भुगतान करने पड़ेंगे।
- पत्र पाने वाला व्यक्ति यदि बताये गए पैसों का भुगतान नहीं करता है तो पत्र भेजने वाले के पास आ जायेगा।
- पैसे न होने की दशा में पत्र पाने वाले व्यक्ति को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
2. पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है , कैसे ?
उत्तर :
पिन कोड या पिन शब्द का विस्तृत रूप से पोस्टल इंडेक्स नंबर (Postal Index Number) है। किसी भी जगह का पिन कोड 6 अंकों का होता है। इसके हर अंक का एक ख़ास स्थानीय अर्थ होता है। पिन कोड का पहला अंक राज्य का , अगले दो अंक उपक्षेत्र के तथा अंतिम तीन अंक सम्बंधित डाकघर के कोड होते है , जहाँ से डाक बाँटी जाती है।
उदाहरणार्थ , हम पिन कोड 110003 को लेते है। इसका पहला अंक दिल्ली , हरियाणा , हिमाचल प्रदेश , पंजाब या जम्मू के लिए है। अगले दो अंक राष्ट्रीय राजधानी के उपक्षेत्र दिल्ली के लिए है। इसके अंतिम तीन अंक डाकघर सब्जी मंडी , आजादपुर के लिए है, जहां से डाक वितरित होती है।
पत्र पाने वाला यदि सुप्रसिद्ध व्यक्ति है तो पिन कोड लिखने से ही पत्र उस तक पहुँच सकता है। इस प्रकार कह सकते है कि पिन कोड संख्याओं में लिखा गया एक पता ही है।
3. ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गाँधी को दुनिया भर से पत्र 'महात्मा गाँधी -इंडिया' पता लिखकर आते थे ?
उत्तर :
महात्मा गाँधी विश्व प्रसिद्द एवं लोकप्रिय व्यक्ति थे। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके दिए योगदानों ने उन्हें भारतवासियों के बीच मसीहा बना दिया था। गांधीजी देश के किस भाग में रहकर क्या कर रहे है , यह लोगों को पता रहता था।
महात्मा गाँधी को दुनिया भर से भेजे गए पत्रों में 'महात्मा गाँधी - इंडिया' लिखकर इसलिए आता था कि वे भारत में जहाँ भी होंगे , पत्र उनको अवश्य मिल जाएगा।
अनुमान और कल्पना
1. रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता 'भगवान के डाकिये' आपकी पाठ्यपुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बदल को डाकिये की भांति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य और पत्र का आदिकाल से रिश्ता रहा है। मनुष्य को अपनों का हाल - चाल जानने की लालसा ने पत्रों की दुनिया को विस्तार प्रदान किया। प्राचीन काल में कबूतरों के माध्यम से पत्र का आदान - प्रदान करने का प्रमाण मिलता है। उस समय हरकारे हुआ करते थे, जिनका काम ही संदेशों को लेकर आना - जाना होता था। समय अपनी अबाध गति से बढ़ता रहा। पहिये का अविष्कार इस दिशा में भी क्रांतिकारी बदलाव लाया। रेलवे और तार ने संदेशों के आदान - प्रदान में लगने वाले समय में कटौती की और दुनिया को प्रभावित किया है।
शहरी जीवन में भले ही संचार के बढ़ते साधनों ने पत्रों की दुनिया में दखल दिया हो , पर ग्रामीण अंचल की दुनिया में आज भी इसकी गहरी पैठ है।हर घर तक इसकी पहुँच है। यहाँ आज भी चिट्ठी - पत्री की महत्ता ज्यों की त्यों बनी हुई है। वास्तविकता तो यह है कि शहर की आलीशान कोठियों में रहने वाले लोग हों या झोपड़पट्टियों में रहने वाले लोग हों , पहाड़ पर रहने वाले लोग हों या समुद्र के किनारे रहने वाले लोग हों , रेगिस्तान में रहने वाले लोग या मुंबई में रहने वाले लोग हों , आज भी पत्रों की दुनिया से करोड़ों लोग किसी न किसी तरह जुड़े हुए है। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनी आर्डर लेकर आने वाले डाकिये को देवदूत के रूप में देखा जाता है।
जिस तरह लोगों को सुख - दुःख के समाचार देने वाले सरकारी डाकिये होते है , उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान के डाकिए होते है। ये डाकिये किसी गाँव , मोहल्ले , राज्य या देश तक सीमित नहीं रहते है। ये देश या राज्य की सीमा झुठलाते हुए एक राज्य से अन्य राज्य से आते - जाते है। इनके द्वारा लाई गई चिट्ठियों को मनुष्य नहीं पढ़ पाता है। इनको पेड़ - पौधों , पानी और पर्वत पढ़ते है। जिस प्रकार डाकिये मनुष्य के लिए कभी सुखद तो कभी दुखद समाचार लाते है , ठीक वैसा ही कार्य ये भगवान के डाकिये भी करते है।
2. संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास ने बादल को संदेशवाहक बनाकर 'मेघदूत' नाम का काव्य लिखा है। 'मेघदूत' के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिये।
उत्तर :
'मेघदूत' महाकवि कालिदास द्वारा रचित काव्य है , जिसकी रचना कवि ने संस्कृत में की है। मेघदूत का वर्ण्य विषय इस प्रकार है -
अलकापुरी नरेश कुबेर के दरबार में अनेक यक्ष रहते थे। उनमे एक यक्ष की हाल ही में शादी हुई थी। वह अपनी नवविवाहिता पत्नी को बहुत प्यार करता था। पत्नी के प्यार में डूबने के कारण यक्ष अपने कार्य में प्रमाद या आलस्य करने लगता है। उसकी प्रमादता के कारण कुबेर उसे पत्नी से अलग होकर रामगिरि पर्वत पर रहने का शाप दे देते है। यक्ष बहुत दुखी होता है। वह रामगिरि पर्वत पर रहने लगता है। वर्षा ऋतू आने पर आकाश में उमड़े काले बादलों को देखकर विरहाकुल यक्ष अत्यंत विकल हो जाता है। वह जड़ - चेतन का भेद भूलकर अपनी प्रिय यक्षिणी को मेघ द्वारा यह सन्देश भेजता है कि वह शीघ्र ही कुबेर के शाप से विमुक्त होकर , उससे मिलने आ जायेगा। यक्ष मेघ के रास्ते में पड़ने वाले महत्त्वपूर्ण स्थानों एवं मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के विषय में समझाता है। यक्ष की प्रेम - विकलता देख कुबेर उसे शापमुक्त कर देते है। यक्ष पुनः अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ आनंदपूर्वक रहने लगता है।
3. पक्षी को संदेशवाहक बनाकर अनेक कवितायेँ एवं गीत लिखे गए है। एक गीत है - 'जा -जा रे कागा विदेशवा , मेरे पिया से कहियो सन्देशवा' इस तरह के तीन गीतों का संग्रह कीजिये। प्रशिक्षित पक्षी के गले में पत्र बांधकर निर्धारित स्थान तक पत्र भेजने का उल्लेख मिलता है। मान लीजिये आपको एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना हो तो आप वह पत्र किसे भेजना चाहेंगे और उसमे क्या लिखना चाहेंगे।
उत्तर :
इस प्रकार के तीन गीतों का संग्रह छात्र स्वयं करें।
मुझे एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना हो तो मैं वह पत्र अपने गाँव में रहने वाले मित्र को भेजना चाहूंगा। उस पत्र में मैं अपने नए विद्यालय , नए साथियों तथा परीक्षा में प्रथम आने की बात लिखना चाहूंगा।
4. केवल पढ़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता 'चिट्ठियां' को ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिये कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों के बारे में है ? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्ही चिट्ठियों की तरह है जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है। पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बॉक्स की भांति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते है ? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार - विमर्श कीजिये।
उत्तर :
इस विषय में छात्र स्वयं विचार - विमर्श करें।
अन्य पाठों के प्रश्नोत्तर :-
- पाठ 1 - ध्वनि
- पाठ 2 - लाख की चूड़ियाँ
- पाठ 3 - बस की यात्रा
- पाठ 4 - दीवानों की हस्ती
- पाठ 6 - भगवान के डाकिए
- पाठ 7 - क्या निराश हुआ जाए
- पाठ 8 - यह सबसे कठिन समय नहीं
- पाठ 9 - कबीर की साखियाँ
- पाठ 10 - कामचोर
- पाठ 11 - जब सिनेमा ने बोलना सीखा
- पाठ 12 - सुदामा चरित
- पाठ 13 - जहाँ पहिया है
- पाठ 14 - अकबरी लोटा
- पाठ 15 - सूरदास के पद
- पाठ 16 - पानी की कहानी
- पाठ 17 - बाज और साँप
- पाठ 18 - टोपी