NCERT Solution : पाठ - 4 चाँद से थोड़ी - सी गप्पें , हिंदी (वसंत) कक्षा 6
उत्तर :
प्रश्न - अभ्यास
कविता से
1. 'आप पहने हुए हैं कुल आकाश' के माध्यम से लड़की कहना चाहती है कि -
(क) चाँद तारों से जड़ी हुई चादर ओढ़कर बैठा है।
(ख) चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है।
तुम किसे सही मानते हो ?
उत्तर :
'आप पहने हुए है कुल आकाश' कहकर लड़की यह कहना चाहती है कि चाँद तारों से जड़ी हुई चादर ओढ़कर बैठा है।
हम भी इसे ही सही मानते है।
2. कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी ? इस कविता में आई बातों की मदद से अनुमान लगाओ और उसका कारण भी बताओ।
दिन कारण
पूर्णिमा ...................................................
अष्टमी से पूर्णिमा के बीच ..........................
प्रथमा से अष्टमी के बीच ...........................
उत्तर :
पूर्णिमा - इस दिन चाँद पूरा गोल दिखता है।
अष्टमी से पूर्णिमा के बीच - चाँद का आकार धीरे - धीरे बढ़ता जाता है और अंत में वह एकदम गोल हो जाता है।
प्रथमा से अष्टमी के बीच - गोल चाँद का आकार धीरे - धीरे घटने लगता है और वह आधा रह जाता है।
3. नयी कविता में तुक या छंद के बदले बिंब का प्रयोग अधिक होता है। बिंब वह तस्वीर होती है जो शब्दों को पढ़ते समय हमारे मन में उभरती है। कई बार कुछ कवि शब्दों की ध्वनि की मदद से ऐसी तस्वीर बनाते है और कुछ कवि अक्षरों या शब्दों को इस तरह छापने पर बल देते है कि उनसे कई चित्र हमारे मन में बनें। इस कविता के अंतिम हिस्से में चाँद को एकदम गोल बताने के लिए कवि ने बि ल कु ल शब्द के अक्षरों को अलग - अलग करके लिखा है। तुम इस कविता के और किन शब्दों को चित्र की आकृति देना चाहोगे ? ऐसे शब्दों को अपने ढंग से लिखकर दिखाओ।
उत्तर :
गोल - मटोल शब्द को गो -ल - म -टो -ल।
घटते शब्द को घ ट ते।
बढ़ते शब्द को ब ढ ते।
अनुमान और कल्पना
1. कुछ लोग बड़ी जल्दी चिढ जाते है। यदि चाँद का स्वाभाव भी आसानी से चिढ जाने का हो तो वह किन बातों से सबसे ज्यादा चिढ़ेगा ? चिढ़कर वह उन बातों का क्या जवाब देगा ? अपनी कल्पना से चाँद की ओर से दिए गए जवाब लिखो।
उत्तर :
चाँद के घटते - बढ़ते आकार को कभी न ठीक होने वाला रोग कहने की बात पर वह सबसे ज्यादा चिढ़ेगा।
चाँद जवाब देगा , मुझे कोई बीमारी नहीं है। मैं तो एकदम ठीक हूँ। बीमारी तुमको होगी , तुम्हारे परिवार वालों को होगी। मैं तो अपनी इच्छानुसार छोटा - बड़ा हो सकता हूँ , तुम तो नहीं।
2. यदि कोई सूरज से गप्पें लगाए तो वह क्या लिखेगा ? अपनी कल्पना से गद्य या पद्य में लिखो। इसी तरह की कुछ और गप्पें निम्नलिखित में से किसी एक या दो से करके लिखो -
पेड़ | बिजली का खम्भा | सड़क | पेट्रोल पंप |
सूरज से गप्पें लगाने पर - सूरज , तुम तो हमेशा ही गुस्से में रहते हो। सुबह - शाम तो कम , दोपहर में तो आग बरसाते हो। भागकर घर में शरण लेनी पड़ती है। रात को जब अँधेरा होता है , तब तुम पता नहीं कहाँ छिप जाते हो। रात के अंधकार पर तुम्हारा कोई जोर नहीं। तुम्हारी ओर तो आँख उठाकर देखना भी ठीक नहीं।
पेड़ से गप्पें - पेड़ , तुम कितने अच्छे हो। तुम मीठे फल देते हो। चिड़िया तुम्हारी डालों पर बैठकर मीठा गीत सुनाती है। तुम्हारे नीचे लोग अपनी थकान उतारते है। तुम हमेशा सर्दी , गर्मी , बरसात सहते रहते हो। तुम अपने लिए घर क्यों नहीं बनाते ? हाँ , मगर तुम घर कितना बड़ा बनाओगे ! तुम तो घर में आ ही नहीं सकोगे।
सड़क से गप्पें - सड़क , तुम सहनशील हो। सब तुम्हे पैरों से कुचलते है , पर तुम तब भी बुरा नहीं मानती हो। तुम लोगों को उनकी मंजिल तक पहुँचाती हो , परन्तु तुम कभी कही नहीं जाती हो। लोग कहते है कि यह सड़क शहर को जाती है , परन्तु तुम तो हमेशा यहीं रहती हो।
भाषा की बात
1. चाँद संज्ञा है। चाँदनी रात में चाँदनी विशेषण है।
नीचे दिए गए विशेषणों को ध्यान से देखो और बताओ कि -
(क) कौन - सा प्रत्यय जुड़ने पर विशेषण बन रहे है।
(ख) इन विशेषणों के लिए एक - एक उपयुक्त संज्ञा भी लिखो -
गुलाबी पगड़ी मखमली घास कीमती गहने
ठंडी रात जंगली फूल कश्मीरी भाषा
उत्तर :
शब्द | प्रत्यय | विशेषण | संज्ञा शब्द के साथ |
---|---|---|---|
गुलाब | ई | गुलाबी | गुलाबी नगर |
मखमल | ई | मखमली | मखमली चादर |
कीमत | ई | कीमती | कीमती छड़ी |
ठण्ड | ई | ठंडी | ठंडी आइसक्रीम |
जंगल | ई | जंगली | जंगली जानवर |
कश्मीर | ई | कश्मीरी | कश्मीरी शाल |
2. • गोल - मटोल • गोरा - चिट्टा
कविता में आए शब्दों के इन जोड़ो में अंतर यह है कि चिट्टा का अर्थ सफ़ेद है और गोरा से मिलता - जुलता है , जबकि मटोल अपने - आप में कोई शब्द नहीं है। यह शब्द 'मोटा' से बना है।
ऐसे चार - चार शब्द युग्म सोचकर लिखो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर :
मिलते - जुलते अर्थ वाले शब्द | वाक्य प्रयोग |
---|---|
दुःख - दर्द | हमें मजदूरों का दुःख - दर्द समझना चाहिए। |
जादू - टोना | जादू - टोने का का भरोसा छोड़कर अब कुछ काम करना शुरू कर दो। |
सड़ा - गला | अच्छे फलों के साथ यह सड़ा - गला फल मत तोलो। |
सीधा - सादा | वह इतना सीधा - सादा नहीं है, जितना तुम समझ रहे हो। |
न मिलते - जुलते अर्थ वाले शब्द | वाक्य प्रयोग |
---|---|
तर - बतर | मज़दूर पसीने से तर - बतर है। |
बची - खुची | भिखारी ने शाम की बची - खुची रोटियाँ माँगी। |
हक्का - बक्का | मालिक को अचानक सामने पाकर नौकर हक्का - बक्का रह गया। |
रहन - सहन | विज्ञान के अविष्कारों ने लोगों का रहन - सहन बदल दिया है। |
3. 'बिलकुल गोल' - कविता में इसके दो अर्थ हैं -
(क) गोल आकार का
(ख) गायब होना !
ऐसे तीन और शब्द सोचकर , उनसे ऐसे वाक्य बनाओ जिनके दो - दो अर्थ निकलते हों।
उत्तर :
शब्द | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
---|---|---|
अम्बर | (क) वस्त्र | भगवान श्री हरि पीतांबर धारण करते है। |
(ख) आकाश | चाँदनी रात में अम्बर की शोभा निराली होती है। | |
आराम | (क) विश्राम | थोड़ी देर आराम के बाद हम पढ़ने लगे। |
(ख) बगीचा | इस आराम में अनेक प्रकार के फूल है। | |
तीर | (क) बाण | अपने मनोरंजन के लिए पक्षी पर तीर मत चलाओ। |
(ख) किनारा | नदी के तीर पर पक्षी कलरव कर रहे थे। |
4. ताकि , जबकि , चूँकि , हालाँकि - कविता की जिन पंक्तियों में ये शब्द आए है , उन्हें ध्यान से पढ़ो। ये शब्द दो वाक्यों को जोड़ने का का काम करते है। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए दो - दो वाक्य बनाओ।
उत्तर :
शब्द | वाक्य प्रयोग |
---|---|
ताकि | (i) चोर को दंड दो ताकि वह फिर से ऐसा न करें। |
(ii) यह रास्ता बंद है ताकि कोई इधर न आ सके। | |
जबकि | (i) तुम सो रहे हो जबकि मैं पढ़ रहा हूँ। |
(ii) तुमने खाना नहीं खाया जबकि मैं खा चुका हूँ। | |
चूँकि | (i) चूँकि मैं बीमार हूँ इसलिए स्कूल नहीं आऊँगा। |
(ii) चूँकि बस ख़राब हो गई थी , इसलिए वह समय पर न आ सका। | |
हालाँकि | (i) हालाँकि इस साल वर्षा कम हुई परन्तु फसल अच्छी है। |
(ii) हालाँकि चोर भाग गया परन्तु अपने सुराग छोड़ गया। |
5. गप्प , गप - शप , गप्पबाज़ी - क्या इन शब्दों के अर्थों में अंतर है ? तुम्हे क्या लगता है? लिखो।
उत्तर :
गप्प : काल्पनिक तथा अविश्वसनीय बातें
गप - शप : निरुद्देश्य बातें
गप्पबाज़ी : काल्पनिक तथा अविश्वसनीय बातें करते जाना
कुछ करने को
• पृथ्वी के चारों ओर परिभ्रमण करते हुए चन्द्रमा भी पृथ्वी के साथ - साथ सूर्य का परिभ्रमण करता है। इन्हीं दोनों परिभ्रमणों से वर्ष और मास की गणनाएँ होती है। सामान्यतः तीस दिनों के महीने होते है जिन्हे चन्द्रमा की वार्षिक गति को बारह महीनों में विभाजित करके निर्धारित किया जाता है। तीस दिनों में पंद्रह - पंद्रह दिनों के दो पक्ष होते है। जिन पंद्रह दिनों में चन्द्रमा बढ़ते - बढ़ते पूर्णिमा तक पहुँचता है, उसे शुक्लपक्ष और जिन पंद्रह दिनों में चन्द्रमा घटते - घटते अमावस्या तक जाता है , उसे कृष्णपक्ष कहते है। इसी तरह एक वर्ष बारह महीनों में छह - छह माह के दो अयन होते है। जिन छह महीनों में मौसम का तापमान बढ़ता है , उसे उत्तरायण और जिन छह महीनों में मौसम का तापमान घटता है , उसे दक्षिणायन कहते है। संवत के बारह महीनों के नाम इस प्रकार है - चैत्र , वैशाख , ज्येष्ठ , आषाढ़ , श्रावण , भाद्रपद , आश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फाल्गुन।
• अंग्रेजी कैलेंडर की वार्षिक गणना सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिभ्रमण की अवधि के अनुसार तीन सौ पैंसठ दिनों की होती है। इसके महीनों की गणना पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा के परिभ्रमण पर आधारित नहीं है। इसमें वर्ष के तीन सौ पैंसठ दिनों को ही बारह महीनों में विभाजित किया गया है। इस कैलेंडर के सभी महीने तीस - तीस दिन के नहीं होते। अप्रैल , नवंबर , जून , सितम्बर - इनके है दिन तीस। फरवरी है अट्ठाईस दिन की , बाकि सब इकत्तीस।
• नीचे दो प्रकार के कैलेंडर दिए गए है। इन्हे देखो और प्रश्नों के उत्तर दो।
(क) ऊपर दिए गए कैलेंडरों में से किस कैलेंडर में चन्द्रमा के अनुसार महीने के दिन दिए गए है ?
(ख) दिए गए दोनों कैलेंडरों के अंतर स्पष्ट करो।
(ग) कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष का क्या अर्थ होता है ?
उत्तर :
(क) संवत 2063 चन्द्रमा के अनुसार है।
(ख) इनमें एक कैलेंडर चन्द्रमा के अनुसार तथा दूसरा पृथ्वी के भ्रमण के अनुसार है। एक को हिंदी कैलेंडर तथा दूसरे को अंग्रेजी कैलेंडर के नाम से जाना जाता है। चन्द्रमा के अनुसार वाले कैलेंडर का प्रयोग शादी - ब्याह तथा धार्मिक कार्यों के लिए होता है। दूसरे कैलेंडर का प्रयोग राष्ट्रीय पर्वों को मनाने , सरकारी छुट्टियों तथा दैनिक कार्यों को पूरा करने में होता है।
(ग) शुक्ल पक्ष - जब चन्द्रमा प्रतिदिन शाम के समय निकलता है और शुरू के दिनों में बिलकुल पतला होता है तथा बाद में मोटा होता जाता है , तब इस पंद्रह दिन की अवधि को शुक्ल पक्ष कहते है।
कृष्ण पक्ष - जब चन्द्रमा शाम को नहीं निकलता बल्कि देर रात में निकलता है , तथा इसके दिखने की अवधि घटती जाती है , और अंत में यह पूरी रात नहीं दिखता है , तब इस पंद्रह दिन की अवधि को कृष्ण पक्ष कहते है।