चुनावी राजनीती : अध्याय 3 लोकतान्त्रिक राजनीति कक्षा 9 | NCERT Solution

 NCERT Solution for Class 9 Civics Hindi Medium Ch 3

NCERT Solution for Class 9 Civics Ch 3

प्रश्नावली , पृष्ठ संख्या - 56 

1. चुनाव क्यों होते है , इस बारे में इनमें से कौन - सा वाक्य ठीक नहीं है ?

क. चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फ़ैसला करने का अवसर देते है। 

ख. लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते है। 

ग. चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते है। 

घ. लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते है। 

उत्तर :

ग. चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते है।

2. भारत के चुनाव लोकतान्त्रिक है , यह बताने के लिए इनमे से कौन - सा वाक्य सही कारण नहीं देता ?

क. भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा मतदाता है। 

ख. भारत में चुनाव आयोग काफ़ी शक्तिशाली है। 

ग. भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है। 

घ. भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती है। 

उत्तर :

क. भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा मतदाता है। 

3. निम्नलिखित में मेल ढूंढें 

क. समय - समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि 1. समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
ख. कुछ निर्वाचन - क्षेत्र अनु. जाति और अनु. जनजाति के लिए आरक्षित है ताकि 2. हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले।
ग. प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का हक है ताकि 3. हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।
घ. सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि 4. संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।

उत्तर :

क. समय - समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि4. संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।
ख. कुछ निर्वाचन - क्षेत्र अनु. जाति और अनु. जनजाति के लिए आरक्षित है ताकि1. समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
ग. प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का हक है ताकि2. हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले।
घ. सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि3. हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।

4. इस अध्याय में वर्णित चुनाव सम्बन्धी सभी गतिविधियों की सूची बनाएँ और इन्हे  चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले है :

चुनाव घोषणा पत्र जारी करना , वोटों की गिनती , मतदाता सूची बनाना , चुनाव अभियान , चुनाव नतीजों की घोषणा , मतदान , पुनर्मतदान के आदेश , चुनाव प्रक्रिया की घोषणा , नामांकन दाखिल करना। 

उत्तर :

  1. मतदाता सूची बनाना 
  2. चुनाव प्रक्रिया की घोषणा 
  3.  नामांकन दाखिल करना 
  4. चुनाव अभियान 
  5. चुनाव घोषणा पत्र जारी करना 
  6. मतदान 
  7. पुनर्मतदान के आदेश 
  8. वोटों की गिनती 
  9. चुनाव नतीजों की घोषणा करना 
5. सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन - किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?

क. चुनाव प्रचार 

ख. मतदान के दिन 

ग. मतगणना के दिन 

उत्तर :

क. चुनाव प्रचार - चुनाव प्रचार के समय उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई उम्मीदवार चुनाव कानूनों का उल्लंघन न करें। जैसे :

  • मतदाता को प्रलोभन देना , घूस देना या धमकी देना 
  • जाति या धर्म के नाम पर वोट माँगना 
  • चुनाव अभियान में सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करना। 
ख. मतदाता के दिन - मतदाता के दिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चुनाव निष्पक्ष हो , कोई भी फर्जी मत न डाल पाए। 

ग. मतगणना के दिन - इसके लिए चुनावी मशीने शीलबन्द हो , एक चुनाव क्षेत्र की सभी मशीने एक साथ खोली जाए। सबसे अधिक मत पाने वाले उम्मीदवार को ही विजयी घोषित किया जाए। 

6. नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे ? अगर हाँ तो क्यों और किस समुदाय के लिए ? अगर नहीं तो क्यों ?

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उत्तर :

अश्वेतों और अमेरिकी लोगों को अमेरिकी जनसँख्या में उनके प्रतिशत के अनुसार अमेरिकी कांग्रेस में आरक्षण दिया जाना चाहिए। 

7. क्या हम इस अध्याय में दी गई सुचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते है ? इनमे से सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए। 

क. भारत के चुनाव आयोग  को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं है। 

ख. हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबरदस्त भागीदारी होती है। 

ग. सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है। 

घ. अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिए कई कदम उठाने ज़रूरी है। 

उत्तर :

क. भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की अनुमतिनहीं है, यह विचार ठीक नहीं हैं। भारत के चुनाव आयोग को स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए संविधान द्वारा पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं :

  • चुनाव आयोग को चुनाव से संबंधित सभी अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों पर पूरा नियंत्रण रखता है।
  • सभी चुनावों को अपने चुनाव पर किए गए खर्च की रिपोर्ट चुनाव आयोग को देनी पड़ती है।
  • चुनाव आयोग को चुनावों में सरकारी मशीनरी के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।

ख. हमारे देश में चुनावों में लोगों की भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है। सन् 1996 में हुए चुनावों में यह 8 प्रतिशत 1998 के चुनावों में 13 प्रतिशत, 1999 के चुनावों में 21 प्रतिशत तथा 2004 में हुए चुनावों में यह 32 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। सात में से एक व्यक्ति किसी– न– किसी राजनीतिक दल का सदस्य है। चुनाव के दौरान अमीर लोग कम और गरीब लोग वोट डालने ज्यादा जाते हैं।

ग. सत्ताधारी दल के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होता। सत्ता में रहते हुए कोई भी दल नागरिकों को सभी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता और जिन मतदाताओं की मांगे पूरी नहीं होती, वे सरकार के विरोधी बल जाते हैं। सन् 2004 में केंद्र में एन. डी. ए. की सरकार तथा हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला की सरकारों की पराजय इसके स्पष्ट उदाहरण है। भारत में चुनाव स्वतंत्र तथा निष्पक्ष है।

घ. हां, हम इस कथन से सहमत हैं चुनावों को स्वतंत्र तथा निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने जरूरी हैं :

  • चुनावों में धन की भूमिका को कम करने के लिए चुनावों का खर्च सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
  • मंत्रियों द्वारा सरकारी मशीनरी के प्रयोग पर सख्त पाबंदी लगानी चाहिए।
  • चुनाव केंद्रों पर कब्जा करने तथा फर्जी मतदान को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
  • चुनावों में धर्म तथा जाति का प्रयोग करने वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोक देना चाहिए।
  • अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकना चाहिए।

8. चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर :

नहीं! न्यायालय द्वारा लिया गया निर्णय लोकतांत्रिक चुनावों के सिद्धांतों के विरोध में नहीं है। दोनों को पालन न करने पर न्यायालय द्वारा दंडित किया जा चुका है और चूंकि कानून दंडित अपराधियों को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देता। न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय गलत नहीं, बिल्कुल सही है। किसी भी अपराधी को समाज का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए।

9. यहाँ दुनिया के अलग - अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्टें दी गई है। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों में सुधार के लिए भारत से  कुछ बातें सीख सकते है ? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे ?

क. नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान - बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे जीता हुआ घोषित कर दिया गया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज करा लिया गया था। 

ख. फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमे धमकी दी गई थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून - खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी। 

ग. अमेरिका के हर प्रान्त में मतदान , मतगणना और चुनाव सञ्चालन की अपनी - अपनी प्रणालियाँ है। सन 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रान्त के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका। 

उत्तर :

क. यदि चुनाव अधिकारी द्वारा की गई धांधली न्यायालय में साबित हो जाती है तो उसे चुनाव को अवैध घोषित कर देना चाहिए और उस चुनाव क्षेत्र में दोबारा चुनाव कराया जाए। ऐसी अवैध कार्यवाही करने वाले चुनाव अधिकारी को सख्त सजा दी जानी चाहिए।

भारत में ऐसा संभव है क्योंकि मतों की गिनती के दौरान सभी उम्मीदवार अथवा उनके प्रतिनिधि गिनती केंद्र पर मौजूद रहते हैं और गिनती उनके सामने होती है।

ख. ऐसा पोस्टर निकालना निश्चित रूप से चुनावी कदाचार है। ऐसे पोस्टर चुनाव आचार संहिता का निश्चित रूप से उल्लंघन है। इसे जारी करने वाले व्यक्ति अथवा राजनीतिक दल का पता लगाना चाहिए और उसे दंड देना चाहिए। क्योंकि यह लोकतंत्र के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। भारत में इस प्रकार की कोई भी धमकी नहीं दी जाती है, क्योंकि लोग अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाते हैं। वह धमकी के पर्ची को अपने आवाज के साथ उठाते हैं, उसे दबाते नहीं है।

ग. चूंकि, संयुक्त –राज्य अमेरिका के प्रत्येक राज्य को अपने चुनाव संबंधी कानून बनाने का अधिकार है, फ्लोरिडा राज्य द्वारा लिया गया निर्णय उस राज्य के चुनाव के कानूनों के अनुकूल होगा। यदि ऐसा है तो किसी को भी ऐसे निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं होता।

भारत चूंकि राज्यों को अपने अलग चुनाव– संबंधी कानून बनाने का अधिकारी नहीं है, यहां पर ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो सकती।

10. भारत में चुनावी गड़बड़ियों से सम्बंधित कुछ रिपोर्टें यहाँ दी गई है। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है ?

क. चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। 

ख. विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली। 

ग. चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फ़र्ज़ी मतदाताओं के नाम मिले। 

घ. एक राजनैतिक दल के गुंडे बंदूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओ पर हमले कर रहे थे। 

उत्तर :

क. चुनावों की घोषणा होते ही सहिंता लागू हो जाती है। आचार संहिता के अनुसार, जिसे सभी राजनीतिक दलों ने स्वीकार किया हुआ है, चुनावों की घोषणा होने के पश्चात कोई मंत्री किसी नई परियोजना को मंजूरी नहीं दे सकता और न ही कोई शिलान्यास कर सकता है। अत: मंत्री को ऐसा करने से रोकना चाहिए क्योंकि यह आचार संहिता का उल्लंघन है।

ख. सभी राजनीतिक दलों को रेडियो तथा दूरदर्शन पर अपने विचार रखने के लिए समय मिलना चाहिए। भारत चुनाव आयोग द्वारा सभी राजनीतिक दलों को समय दिया जाता है। और यह उचित कार्य है सब को यह अवसर मिलना चाहिए।

ग. उस राज्य की मतदाता सूचियां दोबारा ठीक कराई जाए और सभी फर्जी मतदाताओं के नाम सूचियों से निकाल दिए जाएं।

घ. यह भी चुनावों के दौरान कई उम्मीदवारों एवं राजनीतिक दल द्वारा व्यवहार है। बंदूक तथा अन्य हथियारों के साथ लोगों का घूमना फिरना बंद होना चाहिए। सभी उम्मीदवारों का सरकार द्वारा सुरक्षा प्लस कराई जानी चाहिए और ऐसे प्रबंध किये जाए कि किसी उम्मीदवार अथवा राजनैतिक दल की चुनावी सभा में गड़बड़ी न मचाई जाए।

11. जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश  कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते है कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है ?

क. औरतें उसी तरह वोट देती है जैसा पुरुष उनसे कहते है इसलिए उनको मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। 

ख. पार्टी - पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फैसला होना चाहिए , प्रतिद्वंदिता नहीं होनी चाहिए। 

ग. सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए। 

उत्तर :

क. यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है। हमारे देश में आज ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत अधिक है जो अपनी इच्छानुसार स्वतंत्रतापूर्वक मतदान करती है। महिलाओं को मताधिकार से वंचित करना लोकतांत्रिक होगा। इसलिए विश्व के लगभग सभी देशों में महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया है। महिलाएं अपने पसंद के उम्मीदवार को चुन सकती है।

ख. इसमें संदेह नहीं है दलीय राजनीति समाज में तनाव उत्पन्न करती है, परंतु इसके लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं है। वर्तमान राज्यों की जनसंख्या करोड़ों में है और इतने लोगों में किसी सहमति पर पहुंचना बहुत ही कठिन होगा। चुनाव को जीतना और चुनाव हारना लोगों के पक्ष में तय होता है।

ग. केवल स्नातकों को चुनाव लड़ने का अधिकार देना अलोकतांत्रिक होगा। इसका अर्थ होगा कि देश के अधिकतर लोगों को इस अधिकार से वंचित करना। यदि चुनाव लड़ने के लिए स्नातक होने की शर्त रख दी जाए तो शायद देश के लगभग 90 प्रतिशत लोग इस अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

कई पदों अथवा स्थानों के लिए केवल शिक्षा योग्यताएं कोई महत्व नहीं रखती। एक अच्छे क्रिकेट अथवा हॉकी खेलने वाले के लिए यह आवश्यक है कि उसे खेलना अच्छा आता हो न कि उसका स्नातक होना आवश्यक हो। उसे टीम में चुन लिया जाना चाहिए यदि वह खेल अच्छा खेलता है। एक स्नातक के कारण हमें उसके हुनर को दबाना नहीं चाहिए। 

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