काव्यांशों पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
झलकीं भरि भाल कनी जल की , पुट सूखि गए मधुराधर वै। ।
फिरि बूझति हैं , "चलनो अब केतिक , पर्न कुटी करिहौ कित ह्वै ?"।
तिय की लखि आतुरता पिय की , अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै। ।
(i) सीताजी अभी कितने कदम चली थी ?
- दो कदम
- चार कदम
- सात कदम
- पाँच कदम
उत्तर : दो कदम
(ii) 'धीर' शब्द का अर्थ लिखिए।
- वीरता
- धैर्य
- रखना
- तेज
उत्तर : धैर्य।
(iii) किसके माथे पर पसीने की बूँदें छलक आई ?
- श्रीराम जी के माथे पर
- लक्ष्मण जी के माथे पर
- सीता जी के माथे पर
- राम - लक्ष्मण के माथे पर
उत्तर : सीता जी के माथे पर
(iv) पर्णकुटी बनाने संबंधी प्रश्न किसने किया ?
- राम जी ने
- लक्ष्मण जी ने
- भरत जी ने
- सीता जी ने
उत्तर : सीता जी ने
(v) श्रीराम की आँखों से आँसू क्यों बहने लगे ?
- सीता जी की व्याकुलता देखकर
- काँटों पर चलने के कारण
- मार्ग के कष्टों के कारण
- लक्ष्मण जी की पीड़ा देखकर
उत्तर : सीता जी की व्याकुलता देखकर
2. "जल को गए लखन है लरिका , परिखौ , प्रिय !
छाँह घरीक ह्वै ठाढ़े। ।
पोंछी पसेउ बयारि करौं ,
अरु पायँ पखारिहौं भूभुरि - डाढ़े। । "
तुलसी रघुबीर प्रिया स्रम जानि कै बैठि विलंब
लौ कंटक काढ़े।
जानकी नाह को नेह लख्यौ , पुलको तनु ,
बारि बिलोचन बाढ़े। ।
(i) सीताजी कहाँ खड़े होकर लक्ष्मण जी की प्रतीक्षा करने को कहती है ?
- कुटिया में
- धूप में
- छाया में
- रास्ते में
(ii) श्रीराम के पाँवों की क्या स्थिति है ?
- पसीने से भीग गए है
- मिट्टी से सन गए है।
- गंदे हो गए है।
- गर्म रेत से जल गए है।
(iii) श्रीराम जी देर तक क्या करते रहे ?
- पैरों से काँटे निकालते रहे।
- आराम करते रहे।
- सोते रहे।
- छाया में बैठे रहे।
उत्तर : पैरों से काँटे निकालते रहे।
(iv) सीता जी क्या देखकर पुलकित हो उठीं ?
- श्रीराम का क्रोध
- श्रीराम का प्रेम
- श्रीराम का दया
- श्रीराम का कार्य
उत्तर : श्रीराम का प्रेम
(v) 'लरिका' का अर्थ बताइए।
- लड़का
- लता
- लड़की
- लाली
उत्तर : लड़का।