गद्यांशों पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
1. एक जादूगर थे चंगकीचंगलनबा। अपने जीवन में उन्होंने कई बड़े - बड़े करतब दिखाए। जब मरने को हुए तो लोगों से बोले , "मुझे दफनाए जाने के छठे दिन मेरी कब्र खोदकर देखोगे तो कुछ नया - सा पाओगे। "
कहा जाता है कि मौत के छठे दिन उनकी कब्र खोदी गई और उसमें से निकले बाँस की टोकरियों के कई सारे डिज़ाइन। लोगों ने उन्हें देखा , पहले उनकी नक़ल की और फिर नए डिज़ाइन भी बनाए।
(i) चंगकीचंगलनबा ने अपने जीवन में क्या किया ?
- बड़े - बड़े करतब
- महत्त्वपूर्ण कार्य
- कब्रें बनाई
- जादू के खेल
उत्तर : बड़े - बड़े करतब
(ii) जादूगर ने कब अपनी कब्र खोदने की बात कही ?
- पाँचवे दिन
- चौथे दिन
- छठे दिन
- तीसरे दिन
उत्तर : छठे दिन
(iii) जादूगर की कब्र से क्या निकला ?
- बाँस की टोकरियाँ
- बाँस की टोकरियों के कई डिज़ाइन
- फूलों का ढेर
- अलग किस्म की मिट्टी
उत्तर : बाँस की टोकरियों के कई डिज़ाइन
(iv) लोगों ने कब्र से निकले डिजाइनों का क्या किया ?
- चुरा लिया
- परिवर्तित किया
- देखा भी नहीं
- नक़ल की
उत्तर : नक़ल की
(v) 'डिज़ाइन' किस श्रेणी का शब्द है ?
- विदेशी
- देशज
- तद्भव
- तत्सम
उत्तर : विदेशी
2. बाँस भारत के विभिन्न हिस्सों में बहुतायत में होता है। भारत के उत्तर - पूर्वी क्षेत्र के सातों राज्यों में बाँस बहुत उगता है। इसलिए वहाँ बाँस की चीजें बनाने का चलन भी खूब है। सभी समुदायों के भरण - पोषण में इसका बहुत हाथ है। यहाँ हम खासतौर पर देश के उत्तरी - पूर्वी राज्य नागालैंड का ज़िक्र करेंगे। अन्यों की तरह हरेक नागा (नागालैंड में रहने वाला) भी बाँस की चीजें बनाने में उस्ताद होता है।
कहा जाता है कि इंसान ने जब हाथ से कलात्मक चीजें बनानी शुरू की बाँस की चीजें तभी से बन रही है। जरुरत के अनुसार इसमें बदलाव हुए है और अब भी हो रहे है।
(i) भारत के किस क्षेत्र में बाँस बहुत उगता है ?
- उत्तर - पश्चिम क्षेत्र के राज्यों में
- पूर्व - पश्चिम के राज्यों में
- उत्तर - पूर्वी क्षेत्र के सातों राज्यों में
- उत्तर - दक्षिण के सातों राज्यों में
उत्तर : उत्तर - पूर्वी क्षेत्र के सातों राज्यों में
(ii) समुदायों के भरण - पोषण में किसका बहुत हाथ है ?
- लोगों का
- बाँस का
- व्यापार का
- कृषि का
उत्तर : बाँस का
(iii) कहाँ के निवासियों में बाँस की चीजें बनाने का खूब प्रचलन है ?
- नागालैंड का
- उत्तरी राज्यों के
- पूर्वी राज्यों के
- असम के
उत्तर : नागालैंड के
(iv) इंसान ने जब हाथ से कलात्मक चीजें बनानी शुरू की , तभी से किसकी चीजें बन रही है ?
- लकड़ी की
- मिट्टी की
- पत्थर की
- बाँस की
उत्तर : बाँस की
(v) बाँस की चीजों में किस कारण बदलाव हुए ?
- आवश्यकता के कारण
- समय के कारण
- धन के कारण
- मनुष्य के कारण
उत्तर : आवश्यकता के कारण
3. जुलाई से अक्टूबर , घमासान बारिश के महीने ! यानी लोगों के पास बहुत सारा खाली वक्त या कहो आसपास के जंगलों में बाँस इकठ्ठा करने का सही वक्त। आमतौर पर वे एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस काटते है। बूढ़े बाँस सख्त होते है और टूट भी जाते है। बाँस से शाखाएँ और पत्तियाँ अलग कर दी जाती है। इसके बाद ऐसे बांसों को चुना जाता है जिसमे गठाने दूर - दूर होती है। दाओ यानी चौड़े , चाँद जैसी फाल वाले चाकू से छीलकर खप्पचियाँ तैयार की जाती है। खप्पिचयों की लम्बाई पहले से तय कर ली जाती है। मसलन , आसन जैसी छोटी चीजें बनाने के लिए बाँस का हरेक गठान से काटा जाता है। लेकिन टोकरी बनाने के लिए हो सकता है कि दो या तीन या चार गठानों वाली लंबी खपच्चियाँ काटी जाएँ। यानी कहाँ से काटा जाएगा यह टोकरी की लम्बाई पर निर्भर करता है।
(i) लेखक ने किसे बाँस इकठ्ठा करने का सही वक्त कहा है ?
- जुलाई से अक्टूबर (घनघोर गर्मी के महीने)
- अगस्त से अक्टूबर
- जुलाई से अक्टूबर (घनघोर बारिश के महीने)
- जून से अक्टूबर
उत्तर : जुलाई से अक्टूबर (घनघोर गर्मी के महीने)
(ii) बूढ़े बाँसों की क्या विशेषता होती है ?
- सख्त और टूट जाने वाले
- मजबूत
- सख्त और न टूटने वाले
- मुलायम और कमज़ोर
उत्तर : सख्त और टूट जाने वाले
(iii) बाँस को किससे छीला जाता है ?
- चाकू से
- दाओ से
- कुल्हाड़ी से
- तलवार से
उत्तर : दाओ से
(iv) आसन बनाने के लिए बाँस को किस प्रकार काटा जाता है ?
- लंबा - लंबा
- दो चार गठान छोड़कर
- पतला - पतला
- हरेक गठान से
उत्तर : हरेक गठान से
(v) टोकरी बनाने के लिए बाँस को काटना किस पर निर्भर करता है ?
- टोकरी की लम्बाई पर
- टोकरी की ऊँचाई पर
- टोकरी की चौड़ाई पर
- टोकरी पर
उत्तर : टोकरी की लंबाई पर।
4. टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना बनाना बहुत जरुरी है। यहाँ फिर दाओ काम आता है। खपच्ची बाएँ हाथ में होती है और दाओ दाएँ हाथ में। दाओ का धारदार सिरा खपच्ची को दबाए रहता है जबकि तर्जनी दाओ के एकदम नीचे होती है। इस स्थिति में बाएँ हाथ से खपच्ची को बाहर की ओर खीचा जाता है। इस दौरान दायाँ अँगूठा दाओ को अंदर की ओर दबाता है और दाओ खपच्ची पर दबाव बनाते हुए घिसाई करता है। जब तक खपच्ची एकदम चिकनी नहीं हो जाती , यह प्रक्रिया दोहराई जाती है। इसके बाद होती है खपच्चियों की रंगाई। इसके लिए ज़्यादातर गुड़हल , इमली की पत्तियों आदि का उपयोग किया जाता है। काले रंग के लिए उन्हें आम की छाल में लपेटकर कुछ दिनों के लिए मिट्टी में दबाकर रखा जाता है।
(i) टोकरी बनाने से पहले क्या करना ज़रूरी है ?
- खपच्चियों को चिकना करना
- खपच्चियों को छीलना
- खपच्चियों को रंगना
- खपच्चियों को पतला करना
उत्तर : खपच्चियों को चिकना करना
(ii) दाओ खपच्ची की घिसाई किस प्रकार करता है ?
- काटते हुए
- घिसते हुए
- दबाव बनाते हुए
- रगड़ते हुए
उत्तर : दबाव बनाते हुए
(iii) गुड़हल तथा ईमली की पत्तियों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
- टोकरियों की रंगाई के लिए
- खाने के लिए
- मिट्टी रंगने के लिए
- खपच्चियों की रंगाई के लिए
उत्तर : खपच्चियों की रंगाई के लिए
(iv) मिट्टी में किसे दबाकर रखा जाता है ?
- लकड़ियों को
- खपच्चियों को
- इमली को
- आम की छाल को
उत्तर : खपच्चियों को
(v) 'रंगाई' शब्द का अर्थ बताइए।
- रंगने का काम
- रंगा हुआ
- रंगत लाना
- ख़ुशी का माहौल
उत्तर : रंगने का काम