निर्धनता : एक चुनौती अध्याय 3 अर्थशास्त्र कक्षा 9

 NCERT Solution for Class 9 Economics Ch 3

NCERT Solution for Nirdhanta : Ek Chunauti Class 9 Economics

अभ्यास , पृष्ठ संख्या - 40 

1. भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है ?

उत्तर :

भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन- निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकताओं, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा-संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है। इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है।

भारत में तय की गई न्यूनतम कैलोरी की मात्रा के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि कोई व्यक्ति निर्धन है या नहीं। इनके अनुसार वह व्यक्ति जिसके पास इतनी भी राशि उपलब्ध नहीं है जिससे वह उतनी खाद्य वस्तुएं खरीद सके जिसका उपभोग करने पर उसका निर्धारित न्यूनतम कैलोरी की मात्रा प्राप्त हो जाए, निर्धन कहलाता है अर्थात निर्धनता रेखा के अंतर्गत आता है। भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की मात्रा स्वीकृत की गई है।

2. क्या आप समझते है कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है ?

उत्तर :

गरीबी आकलन की वर्तमान पद्धति उचित नहीं लगती है। यह केवल एक कारक को ध्यान में रखता है और वह है आर्थिक कारक। इसके अलावा यह जीवन जीने के "उचित" स्तर के बजाय "न्यूनतम" निर्वाह स्तर के बारे में विचार करता है। गरीबी के कई आयाम है। यह अब केवल आर्थिक कारकों तक सीमित नहीं है। विकास के साथ , गरीबी का गठन करने वाली परिभाषाएँ भी बदलती है। बहुत - से अर्थशास्त्री मानते है कि मानव निर्धनता के विषय को बढ़ा देना चाहिए। इसमें अन्य पक्षों जैसे शिक्षा , स्वास्थ्य , नौकरी , आत्मविश्वास , समानता इत्यादि को भी निर्धनता आकलन के समय ध्यान में रखा जाना चाहिए। 

3. भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृतियों की चर्चा करें। 

उत्तर :

भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1973 में लगभग 55% से वर्ष 1933 में 36% तक महत्त्वपूर्ण गिरावट आई है। वर्ष 2000 में निर्धनता रेखा के नीचे के निर्धनों का अनुपात और भी गिरकर 26% पर आ गया। यदि यही प्रवृत्ति रही तो अगले कुछ वर्षों में निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों की संख्या 20% से भी नीचे आ जाएगी। यद्यपि निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत पूर्व के दशकों (1973 : 93) में गिरा है , निर्धन लोगों की संख्या 32 करोड़ के लगभग काफी समय तक स्थिर रही। नवीनतम अनुमान , निर्धनों की संख्या में कमी , लगभग 26 करोड़ उल्लेखनीय गिरावट का संकेत देते है। 

4. भारत में निर्धनता में अंतर - राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें। 

उत्तर :

भारत में निर्धनता में अंतर - राज्य असमानताओं का विवरण निम्नलिखित है :

  • भारत के प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है। यद्यपि 1970 के दशक के प्रारम्भ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक कमी हुई है। 
  • भारत के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। 
  • निर्धनता अब भी उड़ीसा , बिहार , असम , त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में एक गंभीर समस्या है। उड़ीसा और बिहार क्रमशः 47 और 43 प्रतिशत निर्धनता औसत के साथ दो सर्वाधिक निर्धन राज्य बने हुए है। 
  • उड़ीसा , मध्य प्रदेश , बिहार और उत्तर प्रदेश में ग्रामीण निर्धनता के साथ नगरीय निर्धनता भी अधिक है। 
  • इसकी तुलना में केरल , जम्मू - कश्मीर , आंध्र प्रदेश , तमिल नाडु , गुजरात और पश्चिम बंगाल में निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है। 
  • पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता कम करने में पारंपरिक रूप से सफल रहे रहे है। पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार उपायों से निर्धनता कम करने में सहायता मिली है। 
  • आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अनाज का सार्वजानिक वितरण इसमें सुधार का कारण हो सकता है। 
5. उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय है। 

उत्तर :

भारत में सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान जो निर्धनता के समक्ष निरुपाय है , निम्नलिखित है :

  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियाँ 
  • ग्रामीण इलाकों के श्रमिक परिवार 
  • नगरीय अनियमित मजदूर परिवार 
6. भारत में अंतर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए। 

उत्तर :

भारत में अंतर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण निम्नलिखित है :

  • यह असामनता ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन काल से ही आर्थिक विकास निम्न स्तर की रही है। 
  • राज्य सरकारों द्वारा हस्तशिल्प , कृषि , घरेलु उद्योग और वस्त्र उद्योगों की उपेक्षा। 
  • सिंचाई और हरित क्रांति के प्रसार से कृषि क्षेत्रक में रोजगार के अनेक अवसर सृजित हुए। लेकिन इनका प्रभाव भारत के कुछ भागों तक ही सीमित रहा। 
  • सार्वजनिक और निजी , दोनों क्षेत्रकों ने कुछ रोजगार उपलब्ध कराए। लेकिन ये रोजगार तलाश करने वाले सभी  लोगों के लिए पर्याप्त नहीं हो सके। 
  • भारत में अधिक जनसँख्या घनत्त्व वाले राज्यों जैसे - असम , उड़ीसा , बिहार , मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भूमि - संसाधन की कमी निर्धनता का एक प्रमुख कारण रही है। 
7. वैश्विक निर्धनता की प्रवृतियों की चर्चा करें। 

उत्तर :

वैश्विक निर्धनता का निर्धारण विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार की जाती है। इसके अनुसार विकासशील देशों में अत्यंत आर्थिक निर्धनता प्रतिदिन $1 से कम आय पर जीवन निर्वाह करना है। इसे निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है :

  • वैश्विक रूप से यह अनुपात 1990 के 28 % से गिरकर 2001 में 21 % हो गया है। 
  • चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 60.6 करोड़ से घटकर 2001 में 21.2 करोड़ हो गई है। 
  • दक्षिण एशिया के देशों में निर्धनों की संख्या में गिरावट इतनी तीव्र नहीं है। निर्धनों के प्रतिशत में गिरावट के बावजूद निर्धनों की संख्या में थोड़ी ही कमी आई जो 1981 में 47.5 करोड़ से घट कर 2001 में 42.8 करोड़ रह गई है। 
  • भिन्न निर्धनता रेखा परिभाषा के कारण भारत में भी निर्धनता राष्ट्रीय अनुमान से अधिक है। लैटिन अमेरिका में निर्धनता का अनुपात वही रहा है। रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में भी निर्धनता पुनः व्याप्त हो गई , जहाँ पहले आधिकारिक रूप से कोई निर्धनता थी ही नहीं। 

8. निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें। 

उत्तर :

निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति निम्नलिखित है :

  • महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम। 
  • प्रधानमंत्री रोजगार योजना। 
  • स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना। 
  • प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना। 
  • राष्ट्रीय काम के बदले अनाज योजना। 
  • अन्तोदय अनाज योजना। 
9. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दें :

(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते है ?

उत्तर :

किसी व्यक्ति को निर्धन माना जाता है , यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी ऐसे 'न्यूनतम स्तर' से नीचे गिर जाए जो मूल आवश्यकताओं जैसे भोजन , कपड़ा और आवास को पूरा करने के लिए आवश्यक है। अर्थात वह व्यक्ति निर्धन है जो इन जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक मुलभुत जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। 

(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन है ?

उत्तर :

महिला , बच्चे , विशेषकर लड़कियाँ और वृध्द लोग निर्धनों में भी सबसे निर्धन है क्योंकि इनके पास अपना आय कुछ भी नहीं होता। ये परिवार के अन्य लोगों पर आश्रित होते है। 

(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम , 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या है ?

उत्तर :

राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम , 2005 की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है :

  • 200 जिलों में प्रत्येक परिवार को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी है। 
  • यह योजना एक तिहाई रोजगारी महिलाओं के लिए आरक्षित है। 
  • केंद्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष भी स्थापित करेगी। 
  • अगर 15 दिन के अंदर रोजगार मुहैया नहीं कराई गई तो बेरोजगारी भत्ता भी मिलेगा। 

Previous Post Next Post