संविधान निर्माण : अध्याय 2 कक्षा 9 लोकतांत्रिक राजनीति

 NCERT Solution for Class 9 Ch 2 : संविधान निर्माण

प्रश्नावली , पृष्ठ संख्या  - 33 

1. नीचे कुछ गलत वाक्य दिए गए है। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें। 

क. स्वतंत्रता के बाद देश लोकतान्त्रिक हो या न नहीं , इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था। 

ख. भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे। 

ग. जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था ही होगी। 

घ. संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। 

उत्तर :

क. यह कथन गलत है क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं में आम सहमति थी कि देश को स्वतंत्रता के बाद एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र होना चाहिए। 

ख. यह कथन गलत है क्योंकि भारत की संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान के मूल सिद्धांतों पर समान विचार रखे। 

ग. यह कथन गलत है एक देश जो लोकतंत्र है उसका संविधान होना चाहिए। 

घ. यह कथन गलत है क्योंकि समाज की आकांक्षाओं में बदलाव लाने के लिए संविधान में संशोधन किया जा सकता है। 

2. दक्षिण अफ्रीका का लोकतान्त्रिक संविधान बनाने में , इनमे से कौन - सा टकराव सबसे महत्वपूर्ण था :

क. दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का 

ख. स्त्रियों और पुरुषों का 

ग. गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का 

घ. रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का 

उत्तर :

घ. रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का 

3. लोकतान्त्रिक संविधान में इनमे से कौन - सा प्रावधान नहीं रहता ?

क. शासन प्रमुख के आधार 

ख. शासन प्रमुख का नाम 

ग. विधायिका के अधिकार 

घ. देश का नाम 

उत्तर :

ख. शासन प्रमुख का नाम 

4. संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ :

क. मोतीलाल नेहरू 1. संविधान सभा के अध्यक्ष
ख. बी. आर. अंबेडकर 2. संविधान सभा की सदस्य
ग. राजेंद्र प्रसाद 3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष
घ. सरोजिनी नायडू 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया

उत्तर :

क. मोतीलाल नेहरू 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया
ख. बी. आर. अंबेडकर 1. संविधान सभा के अध्यक्ष
ग. राजेंद्र प्रसाद 3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष
घ. सरोजिनी नायडू 2. संविधान सभा की सदस्य

5. जवाहरलाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें :

क. नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है ?

ख. नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े है ?

ग. वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे ?

घ. "हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख से आंसू पोंछने की है। " वे इस कथन में किसका जिक्र कर रहे थे ?

उत्तर :

क. उन्होंने कहा था कि भारत का भविष्य , जब भारत स्वतंत्र हो रहा है , आराम करने या सुस्ताने का समय नहीं है बल्कि उन वायदों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने का है जिन्हे हमने अक्सर किया है। भारत की सेवा करने का अर्थ है , दुःख और परेशानियों में पड़े लाखों करोड़ों लोगों की सेवा करना। इसका अर्थ है दरिद्रता, अज्ञानता और बीमारियों की असमानता का अंत। हमारे युग के महानतम आदमी की कामना हर आँख के आंसू पोंछने की है। 

ख. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि ऐसे पवित्र क्षण में (जब भारत स्वतंत्र हो रही है ) हम अपने आपको भारत और उसके लोगों तथा उससे भी अधिक मानवता की सेवा में समर्पित करें। यही हमारे लिए उचित है। 

ग. वे संविधान निर्माताओं से यह शपथ चाहते थे कि हम अपने आपको भारत और उसके लोगों तथा मानवता की सेवा के लिए समर्पित करे। 

घ. वे इस कथन में महात्मा गाँधी का जिक्र कर रहे थे। 

6. हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ है। इन्हे आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए। 

. संप्रभु 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।
. गणतंत्र 2. फ़ैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
ग. बंधुत्त्व 3. शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
घ. धर्मनिरपेक्ष 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।

उत्तर :

क. संप्रभु2. फ़ैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
ख. गणतंत्र 3. शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
ग. बंधुत्त्व4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
घ. धर्मनिरपेक्ष1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।

7. कुछ दिन पहले नेपाल से आपके मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थी। उनमे से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज़्यादा अधिकार दिए जा सकते है। अन्य पार्टियां नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की मांग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें। 

उत्तर :

प्रिय मित्र,

नेपाल की राजनीतिक स्थिति के बारे में आपने मुझे जो लिखा था उस संबंध में मेरा विचार यह है कि लोगों को एक नई संविधान सभा की स्थापना की माँग करनी चाहिए जो नेपाल के लिए गणतंत्रीय संविधान का निर्माण करे और वहाँ पर राजतंत्र को समाप्त कर दे।

सन् 2005 में नेपाल के सम्राट ने जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया था और लोगों से सारे अधिकार तथा स्वतंत्रता वापस छीन लिए थे, जो उन्हें एक दशक पहले प्राप्त हुए थे।

8. भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण कारण मानते हैं?

क. अंग्रेज शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतान्त्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के ज़रिए  लोकतान्त्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया। 

ख. हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण  और भारतीय लोगों को तरह - तरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतान्त्रिक होना ही था। 

ग. हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। 

उत्तर :

क. ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया परंतु भारत को लोकतंत्रीय व्यवस्था अंग्रेजी शासकों से उपहार के रूप में नहीं मिली है। अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारतीयों को इसके साथ एक लंबा संघर्ष करना पड़ा और अनेक कुरबानियाँ देनी पड़ी थी।

ख. चूंकि अंग्रेजों के अलोकतंत्रीय शासन काल के दौरान भारत के सभी लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया था और इकट्ठे मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य का मुकाबला किया था इसलिए भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था लाना आवश्यक बन गया था।

ग.  यह बात सच है कि भाग्यवान भारतीयों को ऐसे नेता मिले जिनकी सोच लोकतंत्रीय थी। इसलिए स्वतंत्रता के पश्चात लोकतांत्रिक व्यवस्था का लाया जाना स्वाभाविक ही था।

9. 1912 में प्रकाशित ‘विवाहित महिलाओं के लिए आचरण' पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें:

“ईश्वर ने औरत पति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा नाजुक बनाया है, उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरुषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।” क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?

उत्तर :

 इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान में दिए गए मूल्यों से मेल नहीं खाते। इन मूल्यों का वर्णन संविधान की प्रस्तावना में किया गया है। प्रस्तावना के आरंभिक शब्द हैं- “हम भारत के लोग” जिसका अर्थ है पुरुष तथा महिलाएँ दोनों। यह सभी नागरिकों (दोनों महिलाएँ एवं पुरुषों) को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक न्याय दिलाने की बात करती है, इसमें कहा गया है कि नागरिकों के साथ जाति, धर्म तथा लिग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा। सामाजिक असमानताओं को कम किया जाएगा और सरकार सभी की भलाई के लिए कार्य करेगी, कानून की दृष्टि में सभी समान होंगे। ऊपर दिए गए पहरे में महिलाओं की जिस स्थिति का वर्णन किया गया है वह संविधान में दिए गए मूल्यों के अनुसार नहीं है।

10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत है? अपने कारण भी बताइए।

क. संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।

ख. संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।

ग. नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है। 

घ. संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।

उत्तर :

क. यह कथन गलत है। संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। यदि संसद या राज्य विधानमंडल का कानून संविधान का उल्लंघन करता है तो सर्वोच्च न्यायालय उस कानून को अवैध घोषित करके रद्द कर सकता है। 

ख. यह कथन सत्य है। संविधान में उन नियमों का वर्णन किया गया है जिनके अनुसार संसद , कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की स्थापना की जाएगी। राष्ट्रपति के चुनाव के विधि , अवधि व शक्तियों का वर्णन संविधान में किया गया है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति व शक्तियों का वर्णन संविधान में किया गया है। संसद की रचना व शक्तियों का वर्णन संविधान में किया गया है। 

ग. यह कथन सत्य है। संविधान के तीसरे भाग में छह मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। सरकार मौलिक अधिकारों के विरुद्ध कानून नहीं बना सकती। यदि बनाती है तो सर्वोच्च न्यायालय उसे रद्द कर सकता है। 

घ. यह कथन गलत है। संविधान में वे सभी मूल्य शामिल है जिन्हे संस्थानों को बढ़ावा देना है। संविधान की प्रस्तावना इसका एक चमकदार उदाहरण है। प्रस्तावना में भारत को प्रभुत्त्व संपन्न , समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य घोषित किया गया है। प्रस्तावना में न्याय , स्वतंत्रता , समानता , बंधुता , व्यक्ति के गौरव , राष्ट्र की एकता तथा अखंडता आदि मूल्यों पर जोर दिया गया है। 

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