फ़्रांसिसी क्रांति अध्याय 1 कक्षा 9 इतिहास NCERT Solution

 NCERT Solution for Class 9 History Ch 1 Hindi Medium - फ़्रांसिसी क्रांति

Francici Kranti Adhyay 1 Itihas class 9

प्रश्न, पृष्ठ - 24 

1. फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई ?

उत्तर :

फ्रांस में क्रांति की शुरुआत निम्नलिखित कारणों से हुई :

  • सामाजिक असमानता - फ्रांस सामाजिक असमानता से पीड़ित था। पादरी और कुलीन लोगों ने शानदार जीवन व्यतीत किया और जन्म से कई विशेषाधिकारों का आनंद लिया। जबकि किसान और मजदूर बहुत कठिन जीवन जीते थे। उन्हें भारी कर चुकाना पड़ता था।
  • असाधारण राजा - लुइस XVI ने शानदार जीवन और बेकार उत्सवों पर बहुत पैसा खर्च किया। उच्च पदों को आम तौर पर नीलाम किया जाता था जो प्रशासन में अक्षमता का कारण बनता था। लोगों को इस तरह की व्यवस्था से चिढ़ थी।
  • बदतर आर्थिक स्थिति - युद्ध के लंबे वर्षों ने फ्रांस के वित्तीय संसाधनों को सूखा दिया था। इस तरह से अतिरिक्त अदालत को बनाए रखने की लागत को कम किया गया। इन खर्चों को पूरा करने के लिए, राज्य को उन करों को बढ़ाने के लिए मजबूर किया गया था जो फ्रांस के लोगों को परेशान करते थे।
  • तत्काल कारण -  5 मई, 1789 को, लुई सोलहवें ने असेंबली ऑफ एस्टेट्स जनरल को नए करों के प्रस्तावों को पारित करने के लिए एक साथ बुलाया। यह फ्रांसीसी क्रांति का तत्काल कारण साबित हुआ।

2. फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रांति का फायदा मिला ? कौन - से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए ? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी ?

उत्तर :

तीसरे एस्टेट के अमीर तबकों को फ्रांसीसी क्रांति का फायदा मिला। कुलीन और पादरी समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए। समाज के गरीब समूहों तथा महिलाओं को निराशा हुई होगी। 

3. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति कौन - सी विरासत छोड़ गई ?

उत्तर :

स्वतंत्रता और जनवादी अधिकारों के विचार फ्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्त्वपूर्ण विरासत थे। ये विचार उन्नीसवीं सदी में फ्रांस से निकलकर बाकी यूरोप में फैले और इनके कारण वहां सामंती व्यवस्था का नाश हुआ। औपनिवेशिक समाजों ने संप्रभु राष्ट्र - राज्य की स्थापना के अपने आन्दोलनों में दासता से मुक्ति के विचार को नई परिभाषा दी। टीपू सुल्तान और राजा राम मोहन रॉय क्रांतिकारी फ्रांस में उपजे विचारों से प्रेरणा लेने वाले ठोस उदाहरण थे। 

4. उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएँ जो आज हमें मिले हुए है और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में है। 

उत्तर :

जनवादी अधिकारों की सूची जो आज हमें मिले हुए है और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में है, निम्नलिखित है :

  • समानता का अधिकार 
  • स्वतंत्रता का अधिकार 
  • बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 
  • शोषण विरुद्ध अधिकार 
  • न्याय का अधिकार 
5. क्या आप इस तर्क से सहमत है कि सार्वभौमिक अधिकारों के सन्देश में नाना अंतर्विरोध थे ?

उत्तर :

हाँ, सार्वभौमिक अधिकारों के सन्देश में नाना अंतर्विरोध थे। 

  • 'पुरुष और  नागरिक अधिकार घोषणापत्र' के कई आदर्श अस्पष्ट अर्थों में भरे पड़े थे। जैसे - समाज के लिए किसी भी हानिकारक कृत्य पर पाबंदी लगाने का अधिकार कानून के पास है।' में किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक आरोप के बारे में कुछ नहीं कहा गया था। 
  • घोषणापत्र के अनुसार 'कानून' सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। सभी नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से इसके निर्माण में भाग लेने का अधिकार है। कानून के नज़र में सभी नागरिक समान है। लेकिन फ्रांस के संवैधानिक राजतन्त्र बनने के बाद, महिलाओं, पुरुष जो पर्याप्त कर देने में असमर्थ थे तथा जिनकी उम्र 25 वर्ष से छोटी थी जैसे करीब 30 लाख व्यक्तियों से वोट देने का अधिकार छीन लिया गया। 

अतः इन सार्वभौमिक अधिकारों से गरीबों को दबा दिया गया। संविधान केवल अमीरों के लिए उपलब्ध रह गया। महिलाओं को इनसे कुछ हासिल नहीं हुआ। 

6. नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है ?

उत्तर :

1792 में फ्रांस के गणतंत्र बनने के बाद, वहाँ के तत्कालीन शासक रोबेस्पेयर ने नियंत्रण तथा दंड की सख्त नीति अपनाई। वह खुद ही एक अनियंत्रित शासक बन चुका था। परिणामतः अगले कुछ सालों तक आतंक का राज स्थापित हो गया। रोबेस्पेयर के शासन के ख़त्म होने के बाद, सारी शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में जाने से बचाने के लिए पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका - डिरेक्ट्री को परिषद् द्वारा नियुक्त किया गया। लेकिन, डिरेक्टरों का झगड़ा अक्सर विधान परिषद् से होता और तब परिषद् उन्हें बर्खास्त करने की चेष्टा करती। डिरेक्ट्री की राजनितिक अस्थिरता ने नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 

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