गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
कठिन शब्दार्थ :
- सुरंगनुमा - सुरंग की तरह
- मनाही - अनुमति न होना।
- सिक्योरिटी - सुरक्षा।
- वार्तालाप - बातचीत।
- चंद - कुछ।
- चुनिंदा - चुने हुए।
- हथिया लेना - प्राप्त कर लेना।
- दीये - दीपक।
- हाथ लगना - मिल जाना।
- फिसल जाना - हाथ से निकल जाना।
- संदेहस्पाद - संदेह की दशा में।
- हरकत - क्रिया - कलाप
- ख़ैरियत - कुशलता।
- लाज़िमी - ज़रूरी।
- स्पेस - सूट - अंतरिक्ष में जाने के लिए पहना जाने वाला कपडा।
- मुमकिन - संभव।
- प्रशिक्षण - किसी काम को करने का ज्ञान।
- परिवर्तन - बदलाव।
- उष्णता - गर्मी।
- अक्षम - नाकाम।
- सामना - मुकाबला।
- सुचारु - अच्छी तरह से।
- मंशा - इच्छा।
- ज़ाहिर - प्रकट।
- अडिग - स्थिर।
- दौरान - समय।
- अवलोकन - देखना।
- गिर्द - पास , निकट।
- ज़िम्मेदारी - भार , उत्तरदायित्त्व।
- खाक - राख।
- सक्षम - योग्य।
- ग़लतफ़हमी - गलत सोच।
- दरख़्वास्त - प्रार्थना।
- यांत्रिक - यंत्रों से बना।
- उकेरना - खुरचना , पत्थर , लकड़ी पर नक्काशी करना।
- रसीद करना - मार देना।
- दुरुस्त - ठीक।
- निर्धारित - पहले से तय।
- तकनीशियन - तकनीकी कार्य करने वाले।
- आरम्भ - शुरू।
- उत्सुक - अधीर।
- जीव सृष्टि - प्राणियों के जीने योग्य दशाएँ।
- रहस्य - गुप्त या छिपी हुई बातें।
गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
1. रोजाना वही वार्तालाप ............... सूचना दी गई।
प्रश्न 1. पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :
पाठ - पार नज़र के , लेखक - जयंत विष्णु नार्लीकर।
प्रश्न 2. आम आदमी के लिए सुरंगनुमा रास्ते से जाने की मनाही होते हुए भी छोटू उस रास्ते में कैसे पहुंचा ?
उत्तर :
आम आदमी के लिए उस सुरंगनुमा रास्ते से जाने की मनाही थी। छोटू के पापा उन चुनिंदा लोगों में से थे जो वहाँ जा सकते थे। छोटू अपने पापा का सिक्योरिटी पास लेकर नज़र बचाकर उस रास्ते पर चला गया।
प्रश्न 3. छोटू ने सुरंगनुमा रास्ते का दरवाजा कैसे खोला ?
उत्तर :
सुरंगनुमा रास्ते में प्रवेश करने से पहले एक दरवाजा था। उसमे एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में एक कार्ड डाला जिससे दरवाजा खुल गया।
प्रश्न 4. उस रास्ते पर छोटू की तस्वीर किसने खींच ली ?
उत्तर :
उस रास्ते पर लगे निरीक्षक यंत्रों में से एक ने छोटू की तसवीर खींच ली।
2. दूसरे दिन छोटू ................... सवार नहीं है।
प्रश्न 1. पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :
पाठ - पार नज़र के , लेखक - जयंत विष्णु नार्लीकर।
प्रश्न 2. टी.वी. स्क्रीन पर झलकने वाला बिंदु वास्तव में क्या था ? वह किस ओर बढ़ रहा था ?
उत्तर :
टी.वी. स्क्रीन पर झलकने वाला बिंदु वास्तव में एक अंतरिक्ष यान था जो कि धरती की तरफ बढ़ता चला आ रहा था।
प्रश्न 3. अंतरिक्ष यान से बाहर क्या निकला ? उसकी क्या स्थिति थी ?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। उसकी लम्बाई हर पल बढ़ती जा रही थी।
प्रश्न 4. अंतरिक्ष यान में क्या रखे हुए थे ?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान में सिर्फ यंत्र ही रखे हुए थे। उसमे कोई जीव सवार नहीं था।