झाँसी की रानी वसंत हिंदी कक्षा 6 पाठ 10

 काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या तथा अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

1. सिंहासन हिल ............ रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. भृकुटी - भौंहें। 
  2. भृकुटी तानना - क्रोध करना। 
  3. गुमी हुई - खोई हुई। 
  4. फ़िरंगी - अंग्रेज। 
  5. मर्दानी - मर्दों के समान योद्धा। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है। 

व्याख्या - स्वतंत्रता की पहली लड़ाई जब शुरू हुई , तो भारत के राजाओं में हलचल हुई , उनके सिंहासन हिल गए। राजवंश अंग्रेजों पर क्रुद्ध हो गए। गुलामी के कारण जर्जर बूढ़े भारत में भी नया जोश पैदा हो गया था। सब लोग अपनी खोई आजादी का मूल्य समझने लगे थे। वे जान गए थे कि स्वतंत्रता अमूल्य है। इसलिए उन्होंने अंग्रेज शासकों को भारत से भगाने का निश्चय कर लिया था। भारत की पुरानी तलवार सन 1857 में चमक उठी। झाँसी की रानी उस युद्ध में वीर पुरुषों की भाँति लड़ी। उसकी यह कहानी हमने बुंदेलखंड के हरबोलों से सुनी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. कविता और कवयित्री का नाम लिखिए। 

उत्तर :

कविता - झाँसी की रानी , कवयित्री - सुभद्रा कुमारी चौहान। 

प्रश्न 2. प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री किस घटना का वर्णन कर रही है ?

उत्तर :

प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री सन 1857 के स्वाधीनता संग्राम में लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है। 

प्रश्न 3. स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के प्रारम्भ में क्या हुआ ?

उत्तर :

स्वतंत्रता की पहली लड़ाई में भारत  के राजाओं में हलचल उत्पन्न हो गई ,  उनके  सिंहासन हिल उठे। राजवंश अंग्रेजों पर क्रुद्ध हो गए। गुलामी के कारण बूढ़े भारत में भी जोश आ गया। 

प्रश्न 4. भारतवासियों ने क्या निश्चय किया ?

उत्तर :

भारतवासियों ने अंग्रेज शासकों को भारत से  भगाने का निश्चय किया। 

2. कानपूर के नाना ................. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. छबीली - सुंदरी , चंचल। 
  2. गाथाएँ - कहानियाँ। 
  3. कृपाण - तलवार। 
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - लक्ष्मीबाई कानपूर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थी , जिसका बचपन का नाम छबीली था। लक्ष्मीबाई अपने पिता की अकेली संतान थी। वह बचपन से ही नाना के साथ ही पढ़ती थी और उन्ही के साथ खेलती थी। उसे हथियार प्रिय थे , इसलिए बरछी , ढाल , कृपाण या कटार को वह अपनी सहेली मानती थी। उसे बचपन में शिवाजी की वीरता की कहानियाँ याद थी। हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से सुना है कि रानी लक्ष्मीबाई वीर पुरुषों की भाँति बहादुरी से लड़ी थी। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. लक्ष्मीबाई कौन थी ? उसके बचपन का क्या नाम था ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई कानपूर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थी , जिसका बचपन का नाम छबीली था। 

प्रश्न 2. लक्ष्मीबाई को कौन - कौन से हथियार चलाने आते थे ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई को बचपन से ही बरछी , ढाल , कृपाण तथा कटार चलानी आती थी। 

प्रश्न 3. बुंदेलों के मुख से क्या सुना जाता था ?

उत्तर :

बुंदेलों के मुख से यही सुना जाता था कि रानी लक्ष्मीबाई वीर पुरुषों की भाँति बहादुरी से लड़ी। 

प्रश्न 4. छबीली तथा कृपाण शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

छबीली - सुन्दर , कृपाण - तलवार। 

3. लक्ष्मी थी .............. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. पुलकित होना - प्रसन्न होना। 
  2. वार - हमले। 
  3. व्यूह - घेराबंदी। 
  4. दुर्ग - किला। 
  5. खिलवाड़ - खेल। 
  6. सैन्य - सेना। 
  7. आराध्य - आराधना के योग्य। 
  8. भवानी - पार्वती। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - लक्ष्मीबाई ऐसी साक्षात वीरता की अवतार थी कि लगता था या तो लक्ष्मी है या दुर्गा। उसकी तलवारों की चोटें देखकर मराठे प्रसन्न होते थे।  उसके प्रिय खेल थे नकली युद्ध करना , व्यूह बनाना , शत्रु के किले तोड़ना और खूब शिकार खेलना। महाराष्ट्र की कुलदेवी भवानी ही लक्ष्मीबाई की आराध्य थी। हमने उसकी कहानी बुंदेलखंड  के हरबोलों से सुनी है कि वह लक्ष्मीबाई मर्दों के समान खूब लड़ी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. लक्ष्मीबाई किसका अवतार थी ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई माँ दुर्गा अर्थात वीरता का अवतार थी। 

प्रश्न 2. मराठे क्यों प्रसन्न होते थे ?

उत्तर :

मराठे लक्ष्मीबाई की  तलवारों की चोटे देखकर प्रसन्न होते थे। 

प्रश्न 3. लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल कौन से थे ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल थे - नकली युद्ध करना , व्यूह बनाना ,  शत्रु की सेना को घेरना , शत्रु के किले तोड़ना और शिकार खेलना। 

प्रश्न 4. लक्ष्मीबाई की आराध्य  कौन थी ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई की आराध्य महाराष्ट्र की कुलदेवी माँ भवानी थी। 

4. हुई वीरता ...................... रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. वैभव - धन संपत्ति। 
  2. सुभट - अच्छे वीर। 
  3. विरुदावलि - यश की कहानी। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - वीरता की मूर्ति लक्ष्मीबाई की धनसंपत्ति से भरी झाँसी में सगाई हुई। वह विवाह के बाद झाँसी के राजा गंगाधर राव की रानी बनकर झाँसी में आई। उनके विवाह के अवसर पर झाँसी के राजमहल में बधाइयाँ बजीं और खुशियाँ छा गई। रानी बुंदेलखंड के वीरों की यशोगाथा के समान झाँसी आई। लगा जैसे चित्रा को वीर अर्जुन मिल गया या शिव से भवानी मिली हो। अर्थात गंगाधर राव और लक्ष्मीबाई की जोड़ी अर्जुन और चित्रा या शिव और भवानी की जोड़ी जैसी थी। हमने बुंदेलखंड के वीरों के मुँह से यह कहानी सुनी है कि वह लक्ष्मीबाई वीर योद्धाओं के समान खूब वीरता से लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 'हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में' पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर :

वीरता की प्रतिमूर्ति लक्ष्मीबाई की धन - संपत्ति से संपन्न झाँसी में सगाई हुई थी। 

प्रश्न 2. लक्ष्मीबाई का विवाह किससे हुआ ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हुआ। 

प्रश्न 3. लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव की जोड़ी की तुलना किससे की गई है ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई और गंगाधर राव की जोड़ी की तुलना चित्रा व अर्जुन एवं शिव व भवानी से की गई है। 

प्रश्न 4. लक्ष्मीबाई के विवाह के अवसर पर क्या - क्या हुआ ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई के विवाह के अवसर पर झाँसी के राजमहल में बधाइयाँ बजीं और खुशियाँ छा गई। 

5. उदित हुआ ..................... रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. उदित हुआ - जगा। 
  2. मुदित - प्रसन्न। 
  3. कालगति - मृत्यु की चाल। 
  4. काली घटा घेर लाना - मुसीबतें आना। 
  5. कर - हाथ। 
  6. कब भाई - कब अच्छी लगी। 
  7. विधि - ईश्वर। 
  8. निःसंतान - संतान रहित। 
  9. शोक समानी - शोक में डूबी। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - रानी के विवाह के बाद झाँसी का सौभाग्य जाग गया। महलों में प्रसन्नता का प्रकाश हो गया। किन्तु धीरे - धीरे समय के साथ दुर्भाग्य के बादल भी घिर आए। दुर्भाग्य को तीर चलाने वाले हाथों का चूड़ियाँ पहनना अच्छा नहीं लगा और हाय ! रानी लक्ष्मीबाई विधवा हो गई। भाग्य को भी उन पर दया नहीं आई। राजा गंगाधर राव निःसंतान मर गए। रानी शोक में डूब गई। हमने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी बुंदेले हरबोलों के मुँह से सुनी है कि वह पुरुषों से भी अधिक बहादुरी से लड़ी। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर 

पश्न 1. रानी के विवाह के झाँसी की क्या दशा हुई ?

उत्तर :

रानी के विवाह के बाद झाँसी का सौभाग्य जाग गया। महलों में प्रसन्नता का प्रकाश फ़ैल गया। 

प्रश्न 2. झाँसी पर दुर्भाग्य के बादल कैसे घिर आए ?

उत्तर :

झाँसी के राजा गंगाधर राव का असमय निधन होने से झाँसी पर दुर्भाग्य के बादल घिर आए। 

प्रश्न 3. कालगति तथा काली घटा घेर लेना का अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

कालगति - मृत्यु की चाल , काली घटा घेर लेना - मुसीबतें आना। 

प्रश्न 4. 'विधि को भी दया नहीं आई' पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर :

'विधि को भी दया नहीं आई' का अर्थ है कि भाग्य को भी रानी पर दया नहीं आई और वह विधवा हो गई जिससे वह शोक में डूब गई। 

6. बुझा दीप ............. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. दीप बुझना - मर जाना , दुर्भाग्य। 
  2. हरषाया - प्रसन्न हो गया। 
  3. हड़पना - खा जाना , अधिकार करना। 
  4. लावारिस - जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो। 
  5. बिरानी - सुनसान , उजाड़। 
  6. अश्रुपूर्ण - आँसू भरी हुई। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - जब राजा गंगाधर राव के मर जाने पर झाँसी का दीपक बुझ गया , तो अंग्रेज शासक लॉर्ड डलहौज़ी मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ। उसे लगा कि झाँसी को हड़प कर अंग्रेजी राज से मिलाने का यही अच्छा अवसर है। उसने तुरंत अपनी फ़ौजें भेजकर झाँसी के किले पर अपना झंडा फहरा दिया। रानी ने आँसू भर कर देखा कि झाँसी उजड़ रही थी। हमने यह कहानी बुंदेले हरबोलों से सुनी है कि रानी मर्दों के समान वीराँगना थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. झाँसी का दीपक कब बुझ गया ?

उत्तर :

राजा गंगाधर राव की मृत्यु से झाँसी का दीपक बुझ गया। 

प्रश्न 2. लॉर्ड डलहौजी क्यों प्रसन्न हो गया ?

उत्तर :

लॉर्ड डलहौजी इसलिए प्रसन्न हो गया क्योंकि उसने सोचा कि झाँसी के राजा के मरने के बाद झाँसी को हड़पकर अंग्रेजी राज्य में मिलाने का यह अच्छा अवसर है। 

प्रश्न 3. गंगाधर राव के मरने के बाद लॉर्ड डलहौजी ने क्या किया ?

उत्तर :

गंगाधर राव के मरने के बाद लॉर्ड डलहौजी ने अपनी फौजें भेजकर झाँसी के किले पर अपना झंडा फहरा लिया। 

प्रश्न 4. रानी ने दुखित हृदय से क्या देखा ?

उत्तर :

रानी ने दुखित हृदय से देखा कि झाँसी उजड़ रही थी। 

7. अनुनय विनय .................. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. अनुनय - विनय - प्रार्थना , निवेदन। 
  2. विकट - कठिन। 
  3. पैर पसारना - विस्तार करना। 
  4. काया पलटना - बदलाव आ जाना। 
  5. दासी - नौकरानी। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - कवयित्री कहती है कि जब अंग्रेजों ने झाँसी को अपने राज्य में मिलाया , तब रानी ने उनसे अनेक तरह से विनय व प्रार्थना की , परन्तु सब बेकार था। यह अंग्रेजों की माया ही थी कि जब व्यापारी बनकर भारत आए थे। तब यहाँ के राजाओं की दया चाहते थे। डलहौजी ने धीरे - धीरे अंग्रेजी शासन का विस्तार किया और अब तो सारी परिस्थितियाँ उनके ही पक्ष में है। जिन राजाओं और नवाबों से वे तब दया माँगते थे , आज उन्हीं को अंग्रेजों ने पैरों से ठुकराया है। 

भारत आने पर जो अंग्रेज व्यापारी यहाँ के राजाओं , शासकों का हुक्म मानते थे , आज वही अंग्रेज यहाँ के शासक बन बैठे है। जिन्हे यहाँ का शासक होना था , वही आज उनके गुलाम है। यह कहानी  हमने बुंदेलखंड के हरबोलों से सुनी है कि झाँसी की रानी वीर पुरुषों के समान ही वीराँगना थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. अंग्रेज भारत  में कैसे आए थे ?

उत्तर :

अंग्रेज भारत में व्यापार करने व्यापारी  आए थे। 

प्रश्न 2. अंग्रेज यहाँ आकर क्या चाहते थे ?

उत्तर :

अंग्रेज भारत में आकर अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे। वे यहाँ के राजाओं की दया चाहते थे। 

प्रश्न 3. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात अंग्रेजों ने अपना रूप किस प्रकार बदला ?

उत्तर :

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने भारतीय शासकों को अपना गुलाम बना लिया और वे यहाँ के शासक बन बैठे। 

प्रश्न 4. अनुनय विनय , विकट, काया पलटना शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

अनुनय विनय - प्रार्थना , विकट - कठिन , काया पलटना - बदलाव आ जाना। 

8. छिनी राजधानी ................ रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. बातों - बात - आसानी से। 
  2. घात - प्रहार, आक्रमण। 
  3. कौन बिसात - क्या औकात। 
  4. वज्र - निपात - करारी चोट। 
  5. ब्रह्मा - बर्मा , म्यांमार। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - सन 1857 के स्वाधीनता संग्राम में भारत के राज्यों के पतन के बारे में बताते हुए कवयित्री कह रही है कि अंग्रेजों ने दिल्ली छीन ली और उस पर अधिकार कर लिया। उन्होंने लखनऊ को आसानी से जीत लिया। बिठूर के पेशवा को कैद कर लिया। नागपुर पर भी आक्रमण कर दिया। उदयपुर , तंजौर , सतारा , कर्नाटक आदि की क्या औकात थी। उन्हें भी अंग्रेजों ने जीत लिया। उधर सिंध , पंजाब और म्यांमार (बर्मा) आदि का भी पतन हो गया। बंगाल , मद्रास आदि राज्यों की कहानी भी ऐसी ही थी , वे जीते जा चुके थे। हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से सुना है कि झाँसी की रानी सबसे अलग वीरांगना थी। वह पुरुषों से भी अधिक वीरता से लड़ी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री क्या बताती है ?

उत्तर :

प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारत के राज्यों के पतन के बारे में बताती है। 

प्रश्न 2. अंग्रेजों ने सन 1857 के संग्राम में किस - किस राज्य पर अपना अधिकार जमाया ?

उत्तर :

अंग्रेजों ने सन 1857 के संग्राम में दिल्ली , लखनऊ , नागपुर , उदयपुर , तंजौर , सतारा , कर्नाटक , सिंध , पंजाब , बर्मा आदि पर अपना अधिकार जमा लिया। 

प्रश्न 3. बुंदेलों के मुँह से क्या सुना गया था ?

उत्तर :

बुंदेलों के मुँह से सुना गया था कि झाँसी की रानी सबसे अलग वीरांगना थी। वह पुरुषों से भी अधिक वीरता से लड़ी थी। 

प्रश्न 4. घात , कौन बिसात , वज्र निपात शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

घात - प्रहार , कौन बिसात - क्या औकात , वज्र निपात - करारी चोट। 

9. रानी रोई रनिवासों ................. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. रनिवास - रानियों के रहने का कमरा। 
  2. बेजार - पीड़ित , परेशान। 
  3. सरे - आम - सबके सामने। 
  4. नीलाम - बोली लगाकर सामान बेचना। 
  5. नौलख - बहुमूल्य। 
  6. बिकानी - बिक्री होना , बिकना। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - झाँसी के राजा की मृत्यु तथा अंग्रेजों के झाँसी पर कब्ज़ा कर लेने के कारण रानी अपने रनिवास में दुखी थी और दूसरी रानियाँ तथा अन्य स्त्रियाँ भी दुःख से परेशान थी। उनके बहुमूल्य कपडे और गहने कलकत्ता के बाज़ारों में बिक रहे थे। अंग्रेजी अखबार नीलामी की ख़बरें सबके बीच पहुँचा रहे थे। 'नागपुर के जेवर गहने', 'लखनऊ के नौलखा हार' सबकी नीलामी हो रही थी। 

वे गहने जो औरतों तथा रानियाँ की शोभा थे , परदे की इज़्ज़त थे , वे दूसरों के हाथों से (अंग्रेजों द्वारा) बिक रहे थे। यह कहानी हमने बुंदेलखंड के हरबोलों से सुनी थी कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई मर्दों के समान युद्ध में लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. रानी लक्ष्मीबाई क्यों दुखी थी ?

उत्तर :

झाँसी के राजा की मृत्यु तथा अंग्रेजों द्वारा झाँसी पर कब्ज़ा कर लेने के कारण रानी दुखी थी। 

प्रश्न 2. दूसरी रानियाँ तथा अन्य स्त्रियां क्यों दुखी थी ?

उत्तर :

दूसरी रानियाँ तथा अन्य स्त्रियां इसलिए दुखी थी क्योंकि उनके बहुमूल्य कपडे तथा गहने कलकत्ता के बाज़ारों में बिक रहे थे। 

प्रश्न 3. क्या - क्या नीलाम हो रहा था ?

उत्तर :

'नागपुर के जेवर गहने' , 'लखनऊ के नौलखा हार' आदि नीलाम हो रहे थे। 

प्रश्न 4. बेजार , सरे आम , नौलख , बिकानी शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

बेजार - पीड़ित , सरेआम - सबके सामने , नौलख - बहुमूल्य , बिकानी - बिक्री होना। 

10. कुटियों में ........... रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. विषम - कठिन। 
  2. वेदना - पीड़ा , तकलीफ। 
  3. आहत - घायल। 
  4. अपमान - बेइज्जती। 
  5. पुरखे - पूर्वज। 
  6. अभिमान - गौरव , बड़प्पन। 
  7. रणचंडी - माँ दुर्गा का एक रूप। 
  8. आह्वान - बुलाना , पुकारना। 
  9. ज्योति - प्रकाश पुंज। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - अंग्रेजों के शासन में एक ओर जहाँ गरीब कठिन मुसीबतों में दिन बिता रहे थे , वहीँ दूसरी ओर महलों की इज्जत धूल में मिल रही थी। वीर सैनिक अंग्रेजों के सामने कमजोर भले ही थे , पर उनके मन में अपने पूर्वजों का गर्व कूट - कूट कर भरा था। नाना धुंधूपंत और पेशवा अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए आवश्यक सामान जुटा रहे थे। इधर छबीली (लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम) महल तथा राज्य की स्त्रियों में देवी दुर्गा के रण - चंडी रूप के जागृत कर रही थी , अर्थात युद्ध का प्रशिक्षण देकर अपनी सेना में शामिल कर रही थी। 

देवी - दुर्गा के आह्वन के लिए यज्ञ शुरू हुआ , पर यज्ञ तो बहाना था। उन्हें तो अपनी खोई स्वतंत्रता को पुनः याद दिलाने की ज्योति जगानी थी। यह कहानी हमने बुंदेलखंड के हरबोलों के मुँह से सुनी थी कि झाँसी वाली रानी अंग्रेजों के खिलाफ मर्दों के समान लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. अंग्रेजी शासन में गरीब तथा महलों में रहने वाले कैसे दिन बिता रहे थे ?

उत्तर :

अंग्रेजी शासन में गरीब कठिन मुसीबतों में दिन बिता रहे थे, वही महलों की इज्जत धूल में मिल रही थी। 

प्रश्न 2. पेशवा बाजीराव क्या कर रहे थे ?

उत्तर :

पेशवा बाजीराव अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए आवश्यक सामान जुटा रहे थे। 

प्रश्न 3. रानी लक्ष्मीबाई युद्ध के लिए क्या कर रही थी ?

उत्तर :

रानी लक्ष्मीबाई युद्ध के लिए स्त्रियों में देवी दुर्गा के रणचंडी रूप को जागृत कर रही थी अर्थात युद्ध का प्रशिक्षण देकर अपनी सेना में शामिल कर रही थी। 

प्रश्न 4. 'हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो 

            सोई ज्योति जगानी थी' 

- पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर :

देवी दुर्गा के आह्वान के लिए यज्ञ शुरू हुआ , पर यज्ञ तो बहाना था। उन्हें तो अपनी खोई स्वतंत्रता को पुनः याद दिलाने की ज्योति जगानी थी। 

11. महलों ने दी .............. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. अंतरतम - हृदय। 
  2. चेती - जागृत हो गई। 
  3. लपटें छाना - प्रचंड रूप से फ़ैल जाना। 
  4. उकसाना - प्रेरित करना। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - अंग्रेजों से अपनी आज़ादी छीन लेने के बाद महलों में आग की तरह फैल रही थी तो समाज के अन्य वर्ग भी अंग्रेजों के प्रति गुस्से से भरे थे। आजादी प्राप्त करने का यह जोश , जूनून उनके हृदय से निकल रहा था। झाँसी और दिल्ली जाग चुकी थी तो लखनऊ में यह जोश आग की लपटों के समान फैला था। मेरठ , पटना , कानपूर में आज़ादी प्राप्त करने के बाद सबके दिलों में थी। 

जबलपुर और कोल्हापुर के लोगों में यह बात भरनी थी , अर्थात उनको प्रेरित करना था। यह कहानी हमने हरबोलों के मुँह से सुनी थी कि झाँसी वाली रानी अंग्रेजों के खिलाफ मर्दों के समान लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. समाज के अन्य वर्ग अंग्रेजों के प्रति गुस्से से क्यों भड़क गए ?

उत्तर :

अंग्रेजों ने हमारी आजादी छीन लेने की बात महलों में आग की तरह फैला दी थी। इसलिए समाज के अन्य वर्ग भी अंग्रेजों के प्रति गुस्से से भर गए। 

प्रश्न 2. आजादी प्राप्त करने का जोश कहाँ - कहाँ तक फैला हुआ था ?

उत्तर :

आजादी को प्राप्त करने का जोश मेरठ , पटना , कानपूर , झाँसी , दिल्ली , सभी के दिलों में फैला हुआ था। 

प्रश्न 3. आजादी के लिए किसे प्रेरित करना शेष था ?

उत्तर :

आजादी के लिए जबलपुर तथा कोल्हापुर के लोगों को प्रेरित करना शेष था। 

प्रश्न 4. अंतरतम , चेती , लपटें छाना शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

अंतरतम - हृदय। चेती - जागृत हो गई। लपटें छाना - प्रचंड रूप से फ़ैल जाना। 

12. इस स्वतंत्रता - महायज्ञ ............ रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. काम आना - कुर्बानी देना। 
  2. अभिराम - सुन्दर , मनमोहक। 
  3. गगन - आकाश। 
  4. जुर्म - अपराध। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - आज़ादी के इस महायज्ञ में कई वीरों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ी। इनमे नाना धुंधूपंत , तान्तियाँ , अज़ीमुल्ला - अहमद शाह मौलवी , ठाकुर कुंवर सिंह जैसे वीर सैनिक थे। भारत की स्वतंत्रता के इतिहास रूपी आकाश में इनका नाम सूरज चाँद की तरह हमेशा अमर रहेगा। 

उनकी इस कुर्बानी , त्याग और बलिदान को अंग्रेज जुर्म अर्थात अपराध कहते थे। यह कहानी हमने हरबोलों के मुँह से सुनी थी कि झाँसी वाली रानी ने अंग्रेज से मर्दों की भांति लोहा लिया। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. आज़ादी के इस महायज्ञ में किन - किन वीरों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ी ?

उत्तर :

आज़ादी के इस महायज्ञ में धुंधूपंत , तान्तियाँ , अज़ीमुल्ला , अहमद शाह मौलवी , ठाकुर कुंवर सिंह जैसे वीरों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ी। 

प्रश्न 2. इन वीर सैनिकों के नाम किस प्रकार अमर रहेंगे ?

उत्तर :

इन वीर सैनिकों के नाम भारत के इतिहास रूपी आकाश में सूरज - चाँद की भाँति हमेशा अमर रहेंगे। 

प्रश्न 3. अंग्रेज इस कुर्बानी व त्याग को क्या कहते थे ?

उत्तर :

अंग्रेज इस कुर्बानी व त्याग को जुर्म अर्थात अपराध कहते थे। 

प्रश्न 4. काम आना , अभिराम , गगन शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

काम आना - कुर्बानी देना , अभिराम - सुन्दर , गगन - आकाश। 

13. इनकी गाथा ............... रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. गाथा - कहानी। 
  2. द्वंद - दो वीरों में युद्ध। 
  3. असमान - जो बराबर न हो। 
  4. अजब - अजीब , विचित्र। 
  5. हैरानी - आश्चर्य। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान कहती है कि भारत के इन राज्यों की बात छोड़ दें जिन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने तक दिए। आओ अब झाँसी के मैदानों में चलें जहाँ लक्ष्मीबाई मर्दों में मर्द बनी खड़ी है , अर्थात मर्दों से बढ़कर वीर योद्धा के रूप में है। जब जवानों को साथ लेकर लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा तो रानी ने उससे युद्ध करने को अपनी तलवार खींच ली। उसके बाद दो असमान योद्धाओं के बीच युद्ध हुआ। लेफ्टिनेंट वॉकर घायल होकर भागा। वह हैरान थी कि रानी ने उसे परास्त कर दिया। रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुंदेले हरबोलों से सुनी थी कि वह वीर योद्धा पुरुषों की भाँति लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. रानी ने युद्ध करने के लिए किसके सामने अपनी तलवार खींची ?

उत्तर :

रानी ने युद्ध  करने के लिए वॉकर के सामने अपनी तलवार खींची। 

प्रश्न 2. रानी ने किसे घायल किया ?

उत्तर :

रानी ने लेफ्टिनेंट वॉकर को घायल कर दिया था। 

प्रश्न 3. वॉकर क्यों हैरान था ?

उत्तर :

वॉकर इसलिए हैरान था क्योंकि रानी ने उसे परास्त कर दिया था। 

प्रश्न 4. गाथा , द्वंद्व , अजब शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

गाथा - कहानी , द्वंद्व - दो वीरों में युद्ध , अजब - विचित्र। 

14. रानी बढ़ी ..................... रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. निरंतर - लगातार। 
  2. स्वर्ग सिधारा - मर गया। 
  3. अधिकार करना - कब्जे में करना। 
  4. तत्काल - तुरंत। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - रानी आगे बढ़ती रही और 100 मील का रास्ता पार कर कालपी आ पहुँची। उसका घोड़ा थककर धरती पर गिर पड़ा और तुरंत मर गया। उधर यमुना के तट पर युद्ध में अंग्रेज रानी के हाथों पराजित हो गए। रानी विजयी होकर आगे बढ़ी और ग्वालियर को भी जीत लिया। ग्वालियर का राजा सिंधिया अंग्रेजों का मित्र था। उसने रानी से डरकर अपनी राजधानी ही छोड़ दी और भाग खड़ा हुआ। रानी झाँसी की वीरता की यह कहानी हमने हरबोलों से सुनी थी कि वह मर्दों की भाँति लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. रानी सौ मील पार करके कहाँ पहुंची ?

उत्तर :

रानी सौ मील पर करके कालपी पहुँच गई। 

प्रश्न 2. कालपी में रानी के साथ क्या दुर्घटना घटी ?

उत्तर :

कालपी में रानी का घोडा थककर धरती पर गिर पड़ा और तुरंत मर गया। 

प्रश्न 3. रानी ने यमुना तट के पश्चात किस स्थान को जीता ?

उत्तर :

रानी ने यमुना तट के पश्चात ग्वालियर को जीता। 

प्रश्न 4. ग्वालियर का राजा कौन था ?

उत्तर :

ग्वालियर का राजा सिंधिया था। 

15. विजय मिली .................... रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. सम्मुख - सामने। 
  2. मुँह की खाना - हारना। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - रानी को जीत तो हुई पर दुबारा अंग्रेजों की सेना रानी को घेरती हुई आ पहुँची। इस बार सामने से आ रही टुकड़ी का नेतृत्व जनरल स्मिथ कर रहा था। वह एक बार रानी से हार चुका था। उधर रानी के साथ उसकी सहेलियाँ काना और मंदरा भी आई थी और उन दोनों ने लड़ाई के मैदान में भारी मारकाट मचाई थी। पर दूसरी ओर से ह्यूरोज़ अपनी सेना के साथ आ पहुँचा। हाय , रानी लक्ष्मीबाई स्मिथ और ह्यूरोज़ के बीच घिर गई। हमने हरबोलों से सुना है कि युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई मर्दों के समान ही लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. ग्वालियर में जीतने के बाद रानी को किसका सामना करना पड़ा ?

उत्तर :

ग्वालियर में जीतने के बाद रानी को जनरल स्मिथ का सामना करना पड़ा। 

प्रश्न 2. रानी की दो सहेलियों के नाम बताओ। 

उत्तर :

रानी की दो सहेलियाँ काना तथा मंदरा थी। 

प्रश्न 3. रानी किन दो अंग्रेजों से घिर गई ?

उत्तर :

रानी लक्ष्मीबाई स्मिथ और ह्यूरोज़ के बीच घिर गई थी। 

प्रश्न 4. सम्मुख तथा मुँह की खाना के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

सम्मुख - सामने , मुँह की खाना - हारना। 

16. तो भी रानी ................ रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. सैन्य - सेना। 
  2. विषम - डरावना। 
  3. अपार - जिससे पार पाना कठिन हो। 
  4. वीरगति पाना - युद्ध में शहीद होना। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - यद्यपि रानी ह्यूरोज़ और स्मिथ की सेनाओं से घिर गई थी , फिर भी वह सामने की सेना को चीरती हुई मारकाट मचाकर सेना के पार पहुँच गई। किन्तु सामने एक नाला आ गया। रानी का नया घोड़ा इसे पार न करने के लिए अड़ गया। इतने में पीछा करते हुए अंग्रेज सैनिक आ गए और दोनों ओर से वार पर वार होते चले गए। शेरनी - सी रानी घायल होकर गिर गई और उसने वीरगति प्राप्त की। मर्दों की जैसी उस वीराँगना की कहानी हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से सुनी थी। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. रानी का नया घोड़ा क्यों अड़ गया ?

उत्तर :

रानी का नया घोड़ा नाले को पार न करने के लिए अड़ गया। 

प्रश्न 2. रानी घायल कैसे हो गई ?

उत्तर :

जब रानी का घोड़ा नाला पार न कर पाया तो पीछा करते हुए अंग्रेज सैनिक वहाँ आ गए। उन्होंने रानी पर वार पर वार किए जिससे शेरनी - सी महारानी घायल हो गई। 

प्रश्न 3. प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने क्या वर्णन किया है ?

उत्तर :

प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के अंतिम समय का वर्णन किया है। 

प्रश्न 4. विषम , वीरगति को पाना शब्दों के अर्थ लिखिए। 

उत्तर :

विषम - डरावना , वीरगति पाना - युद्ध में शहीद होना। 

17. रानी गई सिधार .................. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. सिधार गई - चली गई , मर गई। 
  2. दिव्य - अलौकिक , देवताओं जैसी। 
  3. अवतारी - अवतार। 
  4. मनुज - मनुष्य। 
  5. पथ - रास्ता। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - रानी का स्वर्गवास हो गया , वह वीरगति को प्राप्त हो गई। अब चिता ही उनकी दिव्य सवारी थी , अर्थात उन्हें चिता पर रख दिया गया। उनका तेज आग के तेज से मिल गया क्योंकि वह तेज की सच्ची अधिकारी थी। अभी उनकी अवस्था कुल तेइस वर्ष की थी और तेईस वर्षों में उन्होंने जो वीरता दिखाई , उससे लगता है कि वह मनुष्य नहीं , कोई अवतार थी। वह स्वतंत्रता की देवी बनकर हमें जीवित करने आई थी। वह हमें बलिदान का मार्ग दिखा गई और जो सीख देनी थी , दे गई। बुंदेले हरबोलों के मुख से हमने यह कहानी सुनी है कि वह मर्दों जैसी रानी बड़ी बहादुरी से लड़ी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. रानी की दिव्य सवारी क्या थी ?

उत्तर :

वीरगति को प्राप्त करने के पश्चात रानी की दिव्य सवारी चिता थी। 

प्रश्न 2. रानी का तेज आग के तेज से क्यों मिल गया ?

उत्तर :

रानी का तेज आग के तेज से मिल गया क्योंकि वह तेज की सच्ची अधिकारी थी। 

प्रश्न 3. मरते समय रानी की आयु कितनी थी ?

उत्तर :

मरते समय रानी की आयु कुल तेईस वर्ष की थी। 

प्रश्न 4. रानी हमें क्या शिक्षा देकर गई ?

उत्तर :

रानी हमें स्वतंत्रता की देवी बनकर बलिदान का मार्ग दिखा गई , अर्थात वह हमें बहादुरी की सीख दे गई। 

18. जाओ रानी .................. रानी थी। 

शब्दार्थ :

  1. कृतज्ञ - उपकार को याद रखने वाली। 
  2. अविनाशी - कभी न नष्ट होने वाली। 
  3. मदमाती - मस्त करने वाली। 
  4. स्मारक - याद दिलाने वाला निर्माण। 
  5. अमिट - न मिटने वाला। 

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग - 1 में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्द कविता 'झाँसी की रानी' से ली गई है। इनमे कवयित्री 1857 के स्वाधीनता संग्राम  लक्ष्मीबाई के योगदान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या - अंत में कवयित्री कहती है कि हे रानी ! तुम तो स्वर्ग को जाओ , मगर हम सब कृतज्ञ भारतवासी तुम्हारा यह बलिदान याद रखेंगे। तुम्हारा यह बलिदान हमें कभी न नष्ट होने वाली आज़ादी के प्रति सचेत करता रहेगा। इतिहास चाहे कुछ भी न कहे और सच्चाई का गला घोंट दिया जाए अंग्रेजों द्वारा चाहे विजय प्राप्त कर ली जाए या वे झाँसी को गोलों से नष्ट कर दें , पर भारतवासी यह बलिदान नहीं भूल सकेंगे। 

हे रानी , तू अपना स्मारक स्वयं होगी , अर्थात तुम्हे याद रखने वाले स्मारकों की आवश्यकता नहीं है। तुम स्वयं अपनी कभी न मिटने वाली निशानी हो। यह कहानी हमने बुंदेलखंड के हरबोलों के मुँह से सुनी थी कि झाँसी की रानी युद्ध में मर्दों के समान अत्यंत वीरता से लड़ी थी। 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. रानी का बलिदान क्या जगाएगा ?

उत्तर :

रानी का बलिदान स्वतंत्रता का भाव जगाएगा। 

प्रश्न 2. काव्यांश में किसे फाँसी लगने की बात कही गई है ?

उत्तर :

काव्यांश में सच्चाई को फाँसी लगने की बात कही गई है। 

प्रश्न 3. लक्ष्मीबाई किस प्रकार की निशानी है ?

उत्तर :

लक्ष्मीबाई एक अमिट निशानी है। 

प्रश्न 4. झाँसी वाली रानी ने क्या काम किया था ?

उत्तर :

झाँसी वाली महारानी अंग्रेजों के विरुद्ध खूब लड़ी थी। 

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