NCERT Solution for Class 9 Geography Ch 4 : जलवायु
अभ्यास , पृष्ठ संख्या - 39
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें।
(i) नीचे दिए गए स्थानों में किस स्थान पर विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है ?
(क) सिलचर
(ख) चेरापूंजी
(ग) मासिनराम
(घ) गुवाहाटी
उत्तर : (ग) मासिनराम
(ii) ग्रीष्म ऋतू में उत्तरी मैदानों में बहने वाली पवन को निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है ?
(क) काल वैशाखी
(ख) व्यापारिक पवनें
(ग) लू
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर : (ग) लू
(iii) निम्नलिखित में से कौन - सा कारण भारत के उत्तर - पश्चिम भाग में शीत ऋतू में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी है -
(क) चक्रवातीय अवदाब
(ख) पश्चिमी विक्षोभ
(ग) मानसून की वापसी
(घ) दक्षिण - पश्चिम मानसून
उत्तर : (क) चक्रवातीय अवदाब
(iv) भारत में मानसून का आगमन निम्नलिखित में से कब होता है -
(क) मई के प्रारम्भ में
(ख) जून के प्रारम्भ में
(ग) जुलाई के प्रारम्भ में
(घ) अगस्त के प्रारम्भ में
उत्तर : (ख) जून के प्रारम्भ में
(v) निम्नलिखित में से कौन - सी भारत में शीत ऋतू के विशेषता है ?
(क ) गर्म दिन एवं गर्म रातें
(ख) गर्म दिन एवं ठंडी रातें
(ग) ठंडा दिन एवं ठंडी रातें
(घ) ठंडा दिन एवं गर्म रातें
उत्तर : (ख) गर्म दिन एवं ठंडी रातें
2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।
(i) भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन - कौन से कारक है ?
उत्तर :
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक है :
- अक्षांश
- ऊँचाई
- समुद्र से दूरी
- उच्चावच लक्षण
- महासागरीय धाराएँ
- वायुदाब एवं पवन तंत्र
उत्तर :
भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु इसलिए है क्योंकि भारत की जलवायु मानसून पवनों के प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो 20° दक्षिण तक सीमित है।
(iii) भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों ?
उत्तर :
भारतीय मरुस्थल जो भारत के उत्तर - पश्चिम भाग में अवस्थित है में दैनिक तापमान अधिक होता है क्योंकि वहाँ रेत पायी जाती है जो दिन के समय सूरज की रोशनी में बहुत जल्दी गर्म हो जाती है।
(iv) किन पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है ?
उत्तर :
दक्षिणी - पश्चिमी पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है।
(v) जेट धाराएँ क्या है तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को प्रभावित करती है ?
उत्तर :
जेट धाराएँ पश्चिमी तेज गति की पवनें है जो संकरी क्षेत्र में स्थित क्षोभमंडल में बहती है। ये लगभग 27° से 30° उत्तर अक्षांशों के स्थित होती है , इसलिए इन्हे उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ कहा जाता है।
भारत में , ये जेट धाराएं ग्रीष्म ऋतू को छोड़कर पूरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में प्रवाहित होती है। यह पश्चिमी प्रवाह पश्चिमी विक्षोभ के लिए जिम्मेदार है जो देश के उत्तर और उत्तर - पश्चिमी भागों में अनुभव की जाती है।
(vi) मानसून को परिभाषित करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
वायु की दिशा के मौसमी परिवर्तन को मानसून कहा जाता है। मानसून में विराम में एक परिघटना है जिसमे मानसूनी वर्षा एक समय में कुछ दिनों तक ही होती है। इनमे वर्षा रहित अंतराल भी होते है। ये विराम मानसूनी गर्त की गति से संबंधित होते है।
(vii) मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला क्यों समझा जाता है ?
उत्तर :
मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला इसलिए समझा जाता है क्योंकि
- सम्पूर्ण भारतीय भूदृश्य , इसके वनस्पति और जीव आदि मानसून से प्रभावित है।
- ये मानसूनी हवाएँ कृषि गतिविधियों के लिए पानी उपलब्ध कराकर पूरे देश को एक सूत्र में बाँधती है।
- कृषि चक्र से सम्बंधित त्योहार विभिन्न हिस्सों में अलग - अलग नामों से जाने जाते है लेकिन उनके उत्सव का समय मानसून तय करता है।
- साल दर साल , उत्तर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के भारत के लोग बेसब्री से मानसून के आने का इंतजार करते है।
- नदी घाटियाँ जो मानसून वर्षा का पानी ले जाती है वो भी एक ही नदी घाटी इकाई के रूप में एकजुट हो जाती है।
3. उत्तर - भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा क्यों घटती जाती है ?
उत्तर :
बंगाल की खाड़ी से उठाने वाली मानसून पवने भारत में सबसे पहले उत्तर पूर्वी में ही प्रवेश करती है। भारत के उत्तर में स्थित विशाल हिमालय पर्वत इन्हें आगे नहीं जाने देता। वाष्प से भारी होने के कारण ये पवने इस भाग में ख़ूब जमकर वर्षा करती है। इसके पश्चात् यह हिमालय के साथ- साथ पूर्व से पश्चिम की ओर बढती है, इनमे वाष्प की मात्रा कम होती है। परिणाम स्वरूप उत्तर भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
4. कारण बताएँ।
(i) भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन क्यों होता है ?
उत्तर :
भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन इसलिए होता है क्योंकि स्थल तथा जल पर विपरीत वायुदाब क्षेत्रों का विकास होना, जो वायु के तापमान के कारण होता है। स्थल और जल असमान रूप में गर्म होते है। ग्रीष्म ऋतु में समुद्र की अपेक्षा स्थलीय भाग अधिक गर्म हो जाता है। परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में निम्न वायुदबीय क्षेत्र विकसित हो जाता है।
जबकि समुद्री क्षेत्रों में उच्च वायुदाब का क्षेत्र होता है। अत: समुद्री क्षेत्रों से स्थल की ओर पवने चलने लगती है। शीत ऋतु में स्थिति इसके विपरीत होती है। परिणामस्वरुप पवनो की दिशा बदल जाती है अर्थात अब पवने स्थल भाग से समुद्री क्षेत्रों की ओर चलने लगती है।
(ii) भारत में अधिकतर वर्षा कुछ ही महीनों में होती है।
उत्तर :
भारत में अधिकतर वर्षा जून से सितम्बर तक होती है। मई महीनो में भारत के उत्तरी भागो में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है। जिससे वायु हल्की होकर ऊपर की ओर उठ जाती है। फलस्वरूप यहाँ वायुदाब कम हो जाता है। इसके विपरीत हिंद महासागर पर वायु का दबाव अधिक होता है। पवनो का यह नियम है कि वे अधिक दबाव से कम दबाव वाले प्रदेशों की ओर चलती है। अत: पवने हिंद महासागर से भारत के उत्तरी भाग की ओर चलने लगती है।
ये पवने जलवाष्प से लदी होती है। ये अपनी पूरी आर्द्रता भारत में ही समाप्त कर देती है। भारत में ये पवने जून से सितंबर तक ही सक्रिय रहती है इसी कारण भारत में अधिकतर वर्षा जून से सितम्बर तक होती है।
(iii) तमिलनाडु तट पर शीत ऋतू में वर्षा होती है।
उत्तर :
बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति के कारण तमिलनाडु के तट पर शीत ऋतू में वर्षा होती है।
(iv) पूर्वी तट के डेल्टा वाले क्षेत्र में प्रायः चक्रवात आते है।
उत्तर :
बंगाल की खाड़ी विभिन्न दबाव परिवर्तनों का केंद्र है और इसलिए हमेशा चक्रवात के विकास की संभावना है। इसके कारण, पूर्वी तट का डेल्टा क्षेत्र अक्सर चक्रवातों से प्रभावित होता है।
(v) राजस्थान , गुजरात के कुछ भाग तथा पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र है।
उत्तर :
ये हिस्से अरावली के वर्षा छाया क्षेत्र में आते हैं। इसलिए, वृष्टि छाया क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र है।
5. भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तर :
भारतीय प्रायद्वीप विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु परिस्थितियों में व्यापक भिन्नता दिखाता है। उदाहरण के लिए; सर्दियों के मौसम में, तापमान हिमालयी क्षेत्र में नकारात्मक हो जाता है। पश्चिमोत्तर भारत में, तापमान सर्दियों के दौरान शून्य डिग्री से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच हो सकता है। उसी मौसम के दौरान, चेन्नई में तापमान 25 डिग्री सेल्सियस पर रहता है। गर्मियों में भी इसी तरह की भिन्नता देखी जा सकती है, जबकि राजस्थान में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो सकता है, यह चेन्नई में 30 डिग्री सेल्सियस पर एक आरामदायक तापमान है।
6. मानसून अभिक्रिया की व्याख्या करें।
उत्तर :
उत्तरी मैदानों पर निम्न दबाव की स्थिति जून की शुरुआत तक तेज हो जाती है। यह दक्षिणी गोलार्ध से व्यापारिक हवाओं को आकर्षित करता है। ये दक्षिण-पूर्व व्यापारिक हवाएं भूमध्य रेखा को पार करती हैं और दक्षिण-पश्चिम मानसून के रूप में भारतीय प्रायद्वीप में प्रवेश करने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा में चलती हैं। ये हवाएँ उपमहाद्वीप में प्रचुर नमी लाती हैं।
7. शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर :
उत्तरी मैदानों में तापमान 10°-15°C के बीच रहता है। मौसम आमतौर पर स्पष्ट आकाश, कम तापमान और कम आर्द्रता और कमजोर चर हवाओं द्वारा चिह्नित किया जाता है। पश्चिम और उत्तर पश्चिम से चक्रवाती गड़बड़ी का प्रवाह उत्तरी मैदानों पर ठंड के मौसम की एक विशेषता है। ये निम्न दाब प्रणालियाँ भूमध्य सागर और पश्चिमी एशिया में उत्पन्न होती हैं और भारत में चली जाती हैं। वे मैदानी इलाकों में सर्दियों की बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी का कारण बनते हैं।
8. भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर :
मॉनसून बारिश में ‘टूट’ जाता है; जिसका अर्थ है कि बीच में गीले और सूखे अवधि हैं। मानसून अपनी अनिश्चितताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह देश के एक हिस्से में भारी बाढ़ का कारण बन सकता है, और दूसरे हिस्से में सूखे के लिए जिम्मेदार हो सकता है। अपने अनिश्चित व्यवहार के कारण, यह कभी-कभी भारत में खेती के कार्यक्रम को बिगाड़ देता है। इससे पूरे देश में लाखों किसान प्रभावित होते हैं।