What Happened to the Reptiles : Story Translation in Hindi

 Hindi Version Of The Lesson : What Happened to the Reptiles

  • Pambupatti is a ................. interesting story.
  • पंबुपट्टी शांत गाँव है जहाँ पर विभिन्न प्रकार के लोग रहते है। 
  • इस कहानी का वर्णन करने वाला प्रेम दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में अपने गाँव से भाग कर अकस्मात पंबुपट्टी गाँव पहुँच जाता है। 
  • उस गाँव का एक वृद्ध निवासी उसकी देखरेख करता है और उसे एक रोचक कथा सुनाता है। 
You may not .............. some miles away.

संभवतः आप इस कहानी पर विश्वास न करें। परन्तु मैं कहता हूँ कि यह सच्ची बात है क्योंकि मैं पंबुपट्टी होकर आया हूँ। यह गाँव जंगल के किनारे पर है। यह गाँव एक पहाड़ी पर है , और विशाल वन उसके नीचे हरी काई के कालीन की भाँति फैला हुआ है। गाँव में कई प्रकार के लोग रहते है - सांवले , गोरे , लम्बे , नाटे। वे कई भाषाएँ बोलते है। कुछ मांस खाते है, कुछ नहीं खाते है। कुछ लोग वन के किनारे एक मंदिर में पूजा करते है , और अन्य लोग कुछ मील दूर एक मस्जिद में। 

My name is Prem ................ one of them was mine.

मेरा नाम प्रेम है और मैं पंबुपट्टी से कई सौ मील दूर रहता हूँ। मैंने उस गाँव के बारे में सुना तो था परन्तु मैं वहां कभी गया न था। फिर पिछले वर्ष कुछ भयानक घटना हो गई। मेरे अपने गाँव के लोग पागल हो गए। बहुत - बहुत दूर , वहां वे कभी गए भी नहीं थे , कोई मंदिर या मस्जिद जला दी गई, और वे लोग पागल हो गए। वे आपस में लड़ने लगे। कुछ लोगों को रातों - रात भागना पड़ा। तड़के तीन बजे मैं अपने घर में लेटा था , अधजगा घृणा व हिंसा की आवाजें सुन रहा था। आग लग गई और बहुत से घर आग में जलकर राख हो गए। उसमे मेरा घर भी था। 

I managed to grab ............. I fainted.

मैंने बड़ी कठिनाई से कुछ कपड़े , कुछ पैसे , और छोटी - सी गणेश की मूर्ति उठाई और भाग पड़ा। मैं एक दिन व एक रात तक दौड़ता रहा , और जब बहुत थक गया और चला न जाता था तो विश्राम कर लेता था। मैं एक रेलगाड़ी में चढ़ गया , और फिर एक बस में। कोई बात नहीं , लगता था कि सभी भाग रहे है। अंत में पंबुपट्टी में पहुँच गया और एक कुएं के समीप कुछ ग्रामवासियों को इक्कठे खड़े हुए देखा और इससे पहले कि कुछ बोलता मैं मूर्छित हो गया। 

When I opened my eyes ............ came to visit me.

जब मैंने आँखें खोलीं तो मैंने सफ़ेद बाल , सफ़ेद दाढ़ी और चमकती काली आँखों वाले एक वृद्ध व्यक्ति को अपने ऊपर झुके हुए देखा। अगले कुछ दिनों तक उसने मेरी देखभाल की , मेरे मुँह में भोजन डाला और नदी से मेरे लिए मीठा शीतल जल लाया। उसने प्यार से धीरे - धीरे मेरे पाँव मले और पीड़ा दूर की। पडोसी , अपरिचित व्यक्ति , सभी मुझे मिलने आए। 

"Tell me, grandfather," ..................... strange place!"

"अच्छा दादा जी बोलो ," मैंने एक दिन उससे कहा , "मैंने इन गाँव वासियों जैसे लोग कभी नहीं देखे। मेरे गाँव में तो लोग उन लोगों से लड़ते है जो किसी अन्य ईश्वर से प्रार्थना करते है। परन्तु यहाँ तो ........ यह स्थान तो बड़ा निराला लगता है। "

"Prem", replied the old man ............ of its sores."

वृद्ध व्यक्ति बोला , "प्रेम , मैं तुम्हे पंबुपट्टी के बारे में कहानी सुनाता हूँ। तुम इस कहानी को अपने गाँव में सुनाना। हो सकता है इससे कुछ घाव  भर जाएंगे, और कुछ नासूर सूख जाएंगे। "

"Oh, Grandfather," ................. to go back there".

"ओह दादा जी ", मैं चिंतित होकर बोला , "ऐसा न कहो। जो कुछ मैंने अपने गाँव में देखा , उससे मैं लज्जा से जला जाता हूँ। मैं अपने गाँव में कभी भी लौटना नहीं चाहता। "

"But that's exactly ............... to hear his story.

"परन्तु बिलकुल यही कारण है कि तुम्हे अपने गाँव में लौटना चाहिए " उसने धीरे से कहा। मैं चुप हो गया। मैं उससे बहस न करना चाहता था , और उसकी कहानी सुनना चाहता था। 

  • Very, very long ago .................. leave the forest.
  • बहुत समय पहले पंबुपट्टी में केवल रैप्टाइल रहते थे , अन्य कोई पशु न रहता था। 
  • उनकी हर मास सभा होती थी। उनका नेता मकर सभा की अध्यक्षता करता था। 
  • अपने पद की शक्ति का दुरूपयोग करके मकर ने कछुओं और साँपों को आदेश दिया कि वे वन छोड़ कर चले जाएं। 
It happened to a long ................ what he says or does.

वह कहने लगा कि यह घटना बहुत - बहुत पहले हुई थी। यह इतने सब पहले हुई थी कि उस समय न स्कूल थे , और न अध्यापक। बच्चे अपने माता - पिता के साथ गुफाओं में रहते थे और जंगल में फल व बेर इक्कठे करने में उनकी सहायता करते थे। उस समय पंबुपट्टी के वन में न बाघ थे , न चीते और न हाथी। उस समय केवल रेंगने वाले जंतु ही रहते थे , कई प्रकार के रेंगने वाले जंतु। तुम तो जानते हो कि रेप्टाइल क्या होते है - सांप , कछुए , समुद्री कछुए , छिपकलियां। और तुम जानते हो कि रेप्टाइल के शरीर पर शल्क होते है और यह अंडे देता है। पंबुपट्टी के रेप्टाईलों की हर मास एक बड़ी सभा होती थी। सभी उसमे आते थे - सुन्दर उत्तेजित सांप , मंदगति वाले विचारमग्न कछुए , तेज चतुर छिपकलियाँ , और चिड़चिड़े मगर। चिड़चिड़े इसलिए कि वे पानी होते थे। मकर सभापति होता था , जो जंगल का सबसे बड़ा मगर था। सभी जंतु उसे बड़ा महत्त्वपूर्ण मानते थे। तुम जानते हो कि जब कोई बलवान व शक्तिशाली होता है , तो उसकी बात न मानना कितना कठिन होता है। 

Now , one day .................. was very angry.

अब , एक दिन बड़ी विचित्र घटना हो गई। एक मासिक सभा से एक सप्ताह पहले मकर ने सभी कछुओं को पत्र लिखा कि वे  इस सभा में न आएं। बड़े वृद्ध कछुए आहिस्ते को जिसकी पीठ पर काले - पीले चित्र बने थे , उसे बड़ा क्रोध आया। 

"What does this ................. the others so many !

"इसका क्या मतलब" वह जोर से बोला , "उनको यह साहस कैसे हुआ ?" परन्तु एक भी कछुए को सभा में जाने का साहस न हुआ। वे बहुत कम थे , अन्य बहुत अधिक। 

Before the meeting ...................... at the meeting place.

सभा से पहले विशाल मकर ने नदी के किनारे के पेड़ के लाल फूलों से अपने दांत रगड़े और वे चमकने लगे। सभा - स्थल में सभी उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। 

"Brothers and sisters," ........................... like the tortoises ?"

"भाइयों व बहनों , उसने कहना आरम्भ किया। सभी रेप्टाइल , यहाँ तक कि नागों ने भी , बातें करना बंद कर दिया। मकर अपना भाषण देता रहा, "मैंने निर्णय लिया है कि हमें कछुए नहीं चाहिए। मैंने उनसे कह दिया है कि वे आज न आएं। भाइयों और बहनों , क्या आप मुझे बता सकते हो कि हमें कछुए क्यों अच्छे नहीं लगते ?"

  The reptiles looked ..................... jaws even wider.

रेप्टाइल बगलें झाँकने लगे। वे बेचैन हो गए , सर्प उत्सुकता से फुंफकारने लगे , छिपकलियां अपनी पूंछें छटपटाने लगी और मगरों ने अपने जबड़े और अधिक खोल लिए। 

"But .............. courage to speak.

"परन्तु ........... " एक छोटी - सी छिपकली बोली। 

"परन्तु वरन्तु कुछ नहीं " मकर ने जोर से कहा। फिर सब चुप हो गए। 

"मेरे विचार में ..............." एक नन्हा मगर बोला। 

"सोचने की बात न करो। " मकर इतने जोर से चीखा कि ऊपर पेड़ से फल की बौछार आकर नीचे गिरी। इसके पश्चात किसी में बोलने का साहस न रहा। 

Makara cleared his ...............  would you ?"

मकर ने अपना गला साफ़ कर किया और कुछ दांत दिखाए। "अच्छा ," वह बोला , मैं बताता हूँ कि हमें कछुए क्यों पसंद नहीं है। वे बहुत मंद गति के है। बहुत मुर्ख है। वे अपना घर भी अपनी पीठ पर लाद कर रखते है। क्या किसी ने ऐसी मूर्खता की बात सुनी ? देखो छिपकलियों , आप पेड़ों में रहती हो। क्या तुम कभी पेड़ अपनी पीठ पर उठाकर चलोगी ? चलोगी क्या ?"

Small, frightened. ................ in this jungle!"

हल्की , सहमी हुई आवाजों ने इक्कठे उत्तर दिया , "नहीं , हम नहीं उठाएंगे। परन्तु ............"

"परन्तु कुछ नहीं। अब सुनो। मैंने कछुओं से कह दिया है कि उन्हें पंबुपट्टी ने निकल जाना होगा। जब वे चले जाएंगे तो हमारे पास हर वस्तु अधिक मात्रा में होगी। अधिक भोजन होगा , अधिक पानी और अधिक स्थान। मैं चाहता हूँ कि वे कल तक चले जाएं। परन्तु वे इतने मंद गति है कि मैंने उन्हें एक सप्ताह का समय दिया है। मंगलवार तक इस जंगल में एक भी कछुआ न रहेगा। "

And by the following ............ with his big claws.

और अगले मंगलवार तक वे सब जा चुके थे। पहले पहल तो जंतु उदास हुए परन्तु फिर उन्होंने यह देखा कि मकर ने जो कहा था , वह ठीक था। अब उनके लिए अधिक भोजन , अधिक पानी व अधिक स्थान था। परन्तु कुछ समय पश्चात जंगल में एक विचित्र - सी गंध फैलने लगी। यह गलने - सड़ने की गंध थी। धरती पर फल सड़ रहे थे , नदी में जंतु। ये वे वस्तुएं थीं जिन्हे कछुए खा लिया करते थे। यहाँ तक कि मकर भी अपने बड़े - बड़े पंजों से नाक दबोच कर घूमा करता था। 

A month passed by ............ had to go in a day.  

एक मास व्यतीत हो गया , और फिर वही बात दोबारा हो गई। परन्तु इस बार साँपों की बारी थी। मकर ने उनको पत्र लिखा। उन्हें भी जंगल से चले जाना था। और क्योंकि वे तीव्रगामी है और उन्हें एक ही दिन  में जाना था। 

Naga, the head of snakes ............ the snakes left.

साँपों के सरदार नाग से अधिक समय के लिए निवेदन किया , परन्तु  मकर न माना। सभा में उसने छिपकलियों , मगरों आदि को अधिक जोर से बोलकर और धमकी देकर चुप करा दिया। 

"सांप चिपचिपे होते है। " वह बोला , "और वे अजीब ध्वनियाँ निकालते है। ऐसे डरावने जंतुओं को अपने आसपास कौन रखना चाहेगा। " फिर किसी में मकर से असहमत होने का साहस नहीं हुआ और साँपों को वन छोड़कर जाना पड़ा। 

For a while .................. after all.

कुछ समय तक तो वन्य पशु प्रसन्न रहे क्योंकि उन्हें साँपों से कुछ भय तो लगता ही था। कोई न जानता था कि उनमे से कौन कब क्रोध में आ जाए और आप पर विष थूक दे। और आपको मारने के लिए तो थोड़ा - सा विष ही पर्याप्त था। 

  • The lizards were .................. home coming.
  • छिपकलियों को भी चले जाने का आदेश मिला और अब समस्त वन मकर और उसके साथियों का था। 
  • मगरों को अपने साथी रेप्टाइल के चले जाने के कारण पहले से अनदेखी समस्याओं का सामना करना पड़ा। 
  • उन्हें शीघ्र ही यह अनुभव हो गया कि उनकी ख़ुशी अपने साथी जंतुओं की ख़ुशी और उनके घर लौट आने में है। 
A few weeks passed .................... had been chewed up.

कुछ सप्ताह बीत गए और वन के पशु थके - थके और नीरस प्रतीत होने लगे। चूहे ! अब उन्हें खाने वाले सांप चले गए , तो चूहों ने सारे वन पर अधिकार जमा लिया। उनका समय मजे से व्यतीत होने लगा। वे हर जगह थे - पेड़ों और घास में , झाड़ियों में व जमीन पर। वे छिपकलियों और मगरों के अंडे खा जाते थे। उस साल शिशु न हो सकते थे। मकर के अपने घोंसले के अंडे भी चबा लिए गए। 

Then Makara had ....................... Let's get rid of them".

तब मकर को एक बढ़िया विचार सूझा। उसने मगरों की सभा बुलाई और बोला, "कितना अच्छा होगा यदि हम मगर ही समस्त वन में अकेले रहे ? और कोई नहीं , केवल हम। जरा इन छिपकलियों को तो देखो ! इनकी आदतें अजीब है , और इनमे से कुछ तो अपना रंग भी बदल लेती है। उन पर हम क्या भरोसा कर सकते है जो एक मिनट में हरा और दूसरे मिनट में लाल बन जाए। आओ हम उनसे छुटकारा पाएं। "

By now, the crocodiles ............ on their backs.

अब मगर मकर से वास्तव में भयभीत हो गए थे। इसलिए उन्होंने करतल ध्वनि की। मकर प्रसन्न हो गया। छिपकलियां वन छोड़कर चली गई। कुछ अपने बच्चों को पीठ पर लाद कर ले गई। 

But now, when ............. by the day.

परन्तु अब जबकि पंबुपट्टी में मगरों का जीवन मजेदार हो जाता , हर प्रकार की भयानक बातें होने लगी। पहली बात तो यह कि चूहे दिन प्रतिदिन निडर होने लगे। वे इतने निर्भीक हो गए कि वे मगरों की पीठ पर उछलने व कलाबाजियां खाने लगे। और मेंढक बहुत बढ़ गए। लगता था कि वे अधिक बड़े हो रहे थे और मगरों के अतिरिक्त उन्हें खाने वाला कोई न था। विशाल मेंढक नन्हे मगरों को खाने लगे। और कीट ! अब जबकि छिपकलियां जा चुकी थी , वे लाखों की संख्या में हो गए , और दिन प्रतिदिन बड़े और अधिक घिनावने बनने लगे। 

It was a terrible ............... happy forest home.

मगरों के लिए समय बहुत कठिन हो गया। उनकी समझ में न आ रहा था कि उनके सुखी वन को क्या हो गया था। 

Then one day .................. It all began with the tort-".

तब एक दिन सभा में एक हल्की - सी चींचीं का स्वर गूंजा। "हम जानते है कि हमारा वन अस्त - व्यस्त हो गया है। "

यकायक सभी चुप हो गए। उन्होंने डर कर मकर की ओर देखा। परन्तु उन्हें आश्चर्य हुआ कि वह घबराया हुआ लग रहा था। उसने एक चूहे को अपने पूँछ से हिलाकर फेंका और छोटे से मगर से पूछा , "क्यों , छोटे मियां ? यह सब कुछ कछुओं के जाने से आरम्भ हुआ। "

"Okay, Okay, ................ wait for them !

"ठीक है , ठीक है ," मकर ने कहा। "अधिक बोलने की आवश्यकता नहीं। " मकर यह मानने को तैयार न था कि उससे गलती हुई। परन्तु इससे कोई अंतर न पड़ता था।  सभी मगरों को पता था कि मकर अब बलवान व शक्तिशाली न रह गया था। न उसकी बात सदा सही थी। उन्होंने सब कुछ कछुओं , साँपों और छिपकलियों को तुरंत वापस पंबुपट्टी लौट आने के लिए सन्देश भेजे। और वह दिन कितना महत्त्वपूर्ण था जब  वे जंतु लौट आए - परिवार के परिवार , अपने छोटे बच्चों को पीठ पर उठाए या पीछे छुटे प्रयास करते हुए और अपने माता - पिता को प्रतीक्षा करने के लिए आवाजें देते हुए। 

In two months .................. familiar old self.

दो मास में वन फिर से सामान्य हो गया। चूहे लुप्त और कीट व गंध लुप्त हो गए। और संसार पहले जैसा जाना पहचाना हो गया। 

"Well, Prem", ................... they don't listen to me ?"

"अच्छा , प्रेम " वृद्ध व्यक्ति बोला , "क्या तुम सो गए हो ? क्या तुम मेरी कहानी से सपनों की दुनिया में पहुँच गए हो। "

मैंने सिर हिलाया। "नहीं , दादाजी , मैं तो तनिक सोच रहा था। संभवतः अब समय आ गया है कि मैं अपने गाँव लौट जाऊँ क्योंकि मेरे पास उन्हें सुनाने के लिए एक कहानी है। परन्तु यदि उन्होंने न सुनी तो ?"

"We can only keep ............... funny world of ours."

"हम तो केवल प्रयास करते रह सकते है , इन कहानियों को बार - बार सुनाते रहे , अधिक से अधिक लोगों को। हो सकता है कुछ लोग तुम पर हँस दें और कह दें कि तुम्हारी कहानियां सच्ची नहीं है , परन्तु किसी दिन वे इन्हे याद करेंगे और समझ लेंगे कि इस विचित्र संसार में हम सबका कोई न कोई विशेष स्थान है। "

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