A Strange Wrestling Match - Story Translation in Hindi

 Hindi Version Of The Lesson : A Strange Wrestling Match

Part - I
  • Everybody believed ............ fight a ghost.
  • सभी लोग मानते थे कि प्रसिद्द पहलवान विजय सिंह को कोई नहीं  हरा सकता। 
  • विजय सिंह कभी - कभी शेखी बघारता था। 
  • एक बार उसने एक भूत के साथ कुश्ती करने की ठान ली। 
There was once ................. in the world.

एक बार विजय सिंह नाम का पहलवान था। वह भरी कन्धों और मांसल बाहों वाला लम्बा भीमकाय आदमी दूसरों से बहुत ऊँचा था। लोग कहते थे कि विजय सिंह जन्मजात पहलवान था , और संसार के सभी पहलवानों को पराजित कर सकता था। 

This Pahalwan .............. teach him a lesson.

इस पहलवान में केवल एक ही कमी थी जिसके कारण वह प्रायः विषम स्थिति में फंस जाता था। उसे शेखी बघारने का शौक था। एक बार कई युवकों से घिरा बाजार में बैठा था। कई गिलास दूध पीने के पश्चात उसने अचानक घोषणा की , "लोग भूतों से क्यों डरते है ? मैं तो नहीं डरता। मैं चाहता हूँ कि मेरा सामना किसी बलशाली भूत से हो जाए। मैं उसे अच्छा पाठ पढ़ाऊँगा। "

There were murmurs ............. just a fairy tale."

युवकों में से कुछ ने धीरे प्रशंसा की और कुछ ने आशंका प्रकट की। एक युवक बोला , "यदि आप भूतों के मरुस्थल में से रात को अकेले जाओ , तो आप को भूत अवश्य ही मिल जाएंगे। वे वहां स्वतंत्रता से घूमते है। उस जगह विचित्र चीखें व कराहने की ध्वनियाँ सुनाई पड़ती है। यात्री लुट जाते है और मारे जाते है। क्या आप वहां वास्तव में ही जाना चाहते है। " विजय सिंह के सशक्त दिल की धड़कन क्षण भर के लिए रुक गई। उसने शेखी क्यों बघारी थी ?

"हाँ , मैंने भूतों के मरुस्थल के बारे में सुन रखा है " वह उदासीनता से बोला। "मेरे विचार में यह केवल कल्पना है। "

"Oh no", said one .................. of course, ghosts."

"ओह , नहीं ", उसका एक प्रशंसक बोला , "यह सच है। वह स्थान जैसलमेर रोड पर यहाँ से दस मील पश्चिम दिशा में है। ऊँट के सिर जैसी एक भद्दी सी काली चट्टान उस स्थान की निशानी है। उससे परे रेत व निर्जनता के सिवाय कुछ नहीं है , बस भूत है। "

  • Vijay Singh set out ............... Natwar.
  • विजय सिंह उस भूतों की मरुभूमि में भूत को खोजने चल पड़ा। 
  • एक वृद्धा ने उसे एक छोटी पुड़िया दी जिसमे एक अंडा और नमक की डली थी। 
  • विजय सिंह को एक भूत मिला जिसने कहा कि मैं तुम्हारा मित्र नटवर हूँ। 
Almost the entire ............... sunset of the desert.

लगभग समस्त गाँव विजय सिंह को विदा कहने के लिए उमड़ पड़ा। जब वह पश्चिम की ओर चलने के लिए तैयार था , उसी समय एक बुढ़िया आगे आई और उसने एक छोटी - सी पुड़िया उसके हाथों में थमा दी और विजय सिंह मरुस्थल के छुपते लाल सूर्य की ओर चल पड़ा। 

As he walked ..................... for her eccentricities.

जैसा वह आगे चला , रात गहरा गई। चाँद उज्जवल था और राजस्थान के आकाश में तारे स्पष्ट चमक रहे थे। वह अभी अपने गंतव्य स्थान से अभी कुछ मील दूर था , कि उसे वृद्धा की पुड़िया ध्यान में आई। उसने उसे खोला , परन्तु उसमे केवल नमक की डली और एक अंडे के अतिरिक्त कुछ न था। वह बुढ़िया अपनी सनकों के लिए प्रसिद्द थी। 

As Vijay Singh stepped ............ up his enemy.

ज्यों ही विजय सिंह ने भूतों की मरुभूमि में पग धरा , उसे एक स्वर सुनाई पड़ा। "विजय सिंह , विजय सिंह , तुम मरुस्थल में रास्ता भूल जाओगे। इधर आओ। मैं तुम्हारा मित्र नटवर हूँ। " विजय सिंह एकदम समझ गया कि वह उसका मित्र नहीं बल्कि भूत है। बहादुरी से बोलने का प्रयत्न करते हुए , उसने उत्तर दिया , "प्रिय नटवर , तुम कहाँ हो ? अँधेरा है और मैं तुम्हे नहीं देख सकता। यहाँ आकर मुझे रास्ता दिखाओ। " हर अच्छे पहलवान की भांति विजय सिंह अपने शत्रु की शक्ति का अनुमान लगाना चाहता था। 

Soon the ghost .............. It didn't make sense.

तुरंत भूत उसके समीप प्रकट हो गया। विजय सिंह ने उसके चेहरे को घूर कर देखा और बोला , "तुम तो सीधे - सादे नकली भूत हो चलो , अब मुझे सारी रात चलना नहीं पड़ेगा। मैं तुमसे मिलने का इच्छुक था। " भूत ने कभी अपमान न सुना था , वह हक्का - बक्का रह गया। लोग जब उसे देखते थे प्रायः भयभीत हो जाते थे। वे मूर्छित हो जाते थे। परन्तु उसके सामने ऐसा निर्भय व्यक्ति जो यह दावा कर रहा था कि मैं भूत से मिलना चाहता था। इसमें तो कोई तुक न थी। 

"Really, I don't know .................. fight a ghost.

"वास्तव में मैं नहीं जानता कि तुम मुझसे मिलना क्यों चाहते थे ," भूत बोला। 

विजय सिंह ने नीरसता से उत्तर दिया , "इससे सिद्ध होता है कि तुम बुद्धू भूत हो। भूत और कुछ नहीं तो किसी  व्यक्ति के मन की बात तो जान लेता है। तुम्हारे जैसे बेकार भूत से तो बिना भूत ही अच्छा। वास्तविकता तो यह है कि मैं मनुष्यों से कुश्ती लड़ते - लड़ते ऊब गया हूँ। अब मैं किसी भूत से लड़ना चाहता हूँ। "

The ghost was ................... demonstration of it."

भूत स्तब्ध रह गया। अपनी भूतिया सूझ - बुझ को संगठित कर उसने विजय सिंह के साथ घृणापूर्वक आँखें मिलाई। वह बोला "सच तो यह है कि तुम मुझे ऐसे बलिष्ठ तो प्रतीत नहीं होते। "

"देखने में धोखा हो सकता है " विजय सिंह बोला। "अपनी ही बात लो। तुम कहते हो तुम नटवर हो , यद्यपि वास्तव में तुम पाजी भूत हो। यदि तुमको मेरी शक्ति पर संदेह है तो मैं इसका प्रदर्शन करके दिखाता हूँ। "

Part - II

  • Vijay Singh demonstrated ........... for the night.
  • विजय सिंह ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन उस वस्तु के टुकड़े - टुकड़े करके किया जिसे भूत पत्थर का ढेला समझता था। 
  • भूत विजय सिंह से कुश्ती करने से कतराया परन्तु उसने विजय सिंह को धोखे से पराजित करने का निश्चय किया। 
  • उसने विजय सिंह को रात भर के लिए अपना अतिथि बनने के लिए आमंत्रित किया। 

Vijay Singh picked up ................. from his pocket.

विजय सिंह ने रेत में से एक पत्थर का टुकड़ा उठाया। उसने वह पत्थर भूत को दिया, "यह लो और इसे जोर से दबाओ। इसमें तरल पदार्थ भरा है। देखो क्या मैं गलत कह रहा हूँ। " जब भूत पत्थर को पहले एक हाथ से फिर दोनों हाथों से दबाने का प्रयत्न कर रहा था , विजय सिंह ने चुपके से अंडा अपनी जेब से निकाल लिया। 

Vijay Singh snatched.................. lump of salt.

विजय सिंह ने पत्थर भूत से छीन लिया और उसे दोनों हाथों के बीच दबाया। तुरंत पीली जर्दी उसकी अँगुलियों से टपकने लगी , और अंडे के खोल के टूटने की ध्वनि से भ्रम हुआ कि पत्थर टूट रहा है। भूत इतना चकित हुआ कि उसने ध्यान ही न दिया कि कब विजय सिंह ने झुककर अपने हाथ रेत से साफ़ किए और भेद खोलने वाले पत्थर को गिरा दिया। फिर विजय सिंह ने एक दूसरा पत्थर उठाकर भूत को दिया। बिना एक शब्द बोले भूत ने वह ले लिया , उसे छूकर देखा और फिर उसे घूरने लगा। विजय ने नमक का ढेला निकालने के लिए अपना हाथ जेब में डाला। 

"This is only a stone ................ his ghosty powers.

"यह तो पत्थर है ", भूत ने दृढ़ता से कहा। "फिर भी अँधेरा होने के कारण ठीक से दिखाई नहीं देता। "

"मैंने कभी नहीं सुना कि भूत अँधेरे में नहीं देख सकता। " विजय सिंह ने टिप्पणी की। "जो पत्थर तुम्हारे हाथ में है , उसके अंदर नमक है। इसे चूर - चूर करके देखो। " भूत ने एक बार फिर पत्थर को कुचलने का प्रयास किया , परन्तु असफल रहा। उसने पत्थर विजय सिंह को पकड़ा दिया। भूत को अब अपनी भूती शक्ति पर संदेह होने लगा। 

"I can see that ................ the powdered stone.

"अब मैं समझता हूँ कि तुम मेरे योग्य प्रतिद्वंदी नहीं हो। उस दुर्बल व्यक्ति से कुश्ती करने का क्या लाभ जिसे मैं एक मिनट में धूल चटा सकता हूँ। " ऐसा कहकर विजय सिंह ने लापरवाही से नमक के ढेले को क्षण भर में चूर - चूर कर दिया और पत्थर अँधेरे में गिरा दिया। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और भूत को पत्थर के चूर्ण को चखने का आदेश दिया। 

Mesmerized with ............ leave tomorrow.

पहलवान को अतुलित शक्ति से मंत्रमुग्ध होकर , भूत ने वैसे ही किया जैसा उसे कहा गया था। उसमे भय कौंध गया। यह आदमी उसे अँधेरे में आसानी से कुश्ती में पराजित कर सकता है। परन्तु हो सकता है कि उसे अन्य ढंग से धोखा दिया जा सकता है। चापलूसी का ढंग अपना कर भूत ने उससे कहा , "मित्र विजय सिंह , आप जैसे व्यक्ति से भेंट होना सम्मान की बात है। मैं पराजय स्वीकार करता हूँ। परन्तु आप रात को कहाँ जाओगे ? मेरे घर में विश्राम करो। कल चले जाना। "

Now throughly elated , ....................... in the cave.

अब पूर्णतः प्रसन्न होकर विजय सिंह ने उत्तर दिया , "मैं तुम्हारे आतिथ्य को अस्वीकार नहीं कर सकता परन्तु कल तुम को मेरे बंदी के रूप में मेरे साथ नगर चलना होगा। मैं लोगों के समक्ष अपने विजय चिह्न को प्रदर्शित करूँगा। भूत ने सहमति से अपना मस्तिष्क झुकाया , परन्तु मन ही मन में रात के समय विजय सिंह को मार डालने की शपथ ले ली। वह उसे गुफा में अपने घर ले गया। 

  • Vijay Singh kept ...................... wealthy for life.
  • विजय सिंह रात भर जागता रहा। उसने भूत को चतुराई से उसकी  गुफा में बुद्धू बनाया। 
  • भूत को विश्वास हो गया था कि विजय सिंह अपराजय है। 
  • वह अपनी समस्त संपत्ति छोड़ कर भाग गया जिससे विजय सिंह जीवन भर के लिए धनवान बन गया। 

The ghost fed him ....................... bolsters.

भूत ने विजय सिंह को मेवे खिलाये और बहुत - सा दूध पिलाया। फिर वह उसे सोने के लिए विलासितापूर्ण बिस्तर पर ले गया जो सराहने व गोल तकियों से पूर्ण था। 

But Vijay Singh lay ................. dark corner.

परन्तु विजय सिंह जागता रहा , भूत के खर्राटे सुनता रहा। आधी रात के समय , वह अपने पलंग से खिसक गया। उसने बड़ा गोल तकिया बिस्तर के मध्य में रख दिया और उसे चादर से ढक दिया जिससे बिलकुल ऐसा लगे जैसे कोई आदमी सोया हुआ हो। ऐसा करने के पश्चात वह एक अँधेरे कोने में चौकस होकर दुबक कर बैठ गया। 

Sure enough, ....................... killed his enemy.

निस्संदेह , दिन निकलने से थोड़ा पहले , भूत हाथ में मजबूत गदा लेकर पलंग के समीप था। उसने गदा से वहां आघात किया जिसे वह विजय सिंह का सिर समझता था। एक भी सिस्की न सुन कर , वह मुस्कराया। वह प्रसन्न था कि उसने अपनी शत्रु की हत्या कर दी है। 

However, just ..................... and sat up.

फिर भी पूर्णतः सुनिश्चित करने के लिए उसने बड़े तकिये पर छः बार और वार किए। अपने कार्य में संतुष्ट होकर , वह अपने पलंग पर लौट आया, और सिर ढांप कर फिर से सो गया। इसी बीच , विजय सिंह चुपचाप फिर से अपने बिस्तर में लौट आया। कुछ देर रुक कर , वह घृणा से कराहया , चादर उतार फेंकी , और उठ बैठा। 

Disturbed by the noise ................... ill-gotten wealth.

शोर से नींद खुलने पर , भूत ने अपने बिस्तर के कपड़ों के नीचे से झांक कर देखा कि वह बलिष्ठ पुरुष उबासियां लेते हुए अपनी बाहें अपने सिर के ऊपर फैला रहा था। क्षण भर के लिए तो भूत का शरीर सदमे से अकड़ गया। " भूत मित्र , तुम्हारी गुफा में कीट है " विजय सिंह शिकायत भरे स्वर बोला। "मैं आनंद से ऐसी मधुर नींद में था जैसा मैं कई वर्ष से न सोया था। और लो मुझे तंग करने आ गया यह कीट। मैंने स्पष्ट रूप से उसके पंखों को सात बार फड़फड़ाते गिना। निःसंदेह इसने मुझे काटा तो नहीं , परन्तु इससे परेशानी तो होती है। " भूत के पसीने छूट गए। उन सात वारों से किसी भी दूसरे आदमी का कचूमर बन जाता। "ऐसे शक्तिशाली पहलवान के समीप कोई सुरक्षा नहीं हो सकती ", उसने सोचा और अपनी लूट - खसूट से एकत्रित संपत्ति को छोड़कर अपनी गुफा से भाग गया। 

It took several camels ................ hand in marriage.

जो धन विजय सिंह ने प्राप्त किया था उसे अपने गाँव में ले जाने के लिए विजय सिंह ने कई ऊंट लिए। उसने उस धन का बहुत बड़ा भाग असली मालिकों को लौटा दिया। वह विशेषकर बुढ़िया के पास गया और जो अमूल्य उपहार उसने दिया था उसके लिए धन्यवाद कहा और विवाह में उसकी पौती का हाथ मांग लिया। 

Thenceforth .................... Haunted Desert.

इसके पश्चात विजय सिंह डींग मारते समय बड़ा सावधान रहता था। कहते है कि भूतों ने मरुस्थल में फिर किसी यात्री को परेशान नहीं किया। 

You might be looking for :-

Previous Post Next Post