NCERT Solution : Class 9 Economics Ch 2
अभ्यास , पृष्ठ संख्या 27
1. 'संसाधन के रूप में लोग' से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
'संसाधन के रूप में लोग' से अभिप्राय वर्तमान कौशल और क्षमताओं के सन्दर्भ में किसी देश के कार्यरत लोगों के वर्णन करने की एक विधि से है। दूसरे उत्पादन संसाधनों की भाँति जनसँख्या भी एक संसाधन है जिसे मानव संसाधन कहते है।
2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है ?
उत्तर :
भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का उपयोग कर मानव संसाधन उत्पादन में मदद करता है। अन्य संसाधन अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते। यही कारण है कि मानव संसाधन को अन्य संसाधनों से बेहतर माना जाता है।
3. मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की निम्नलिखित भूमिका है :
- शिक्षा अच्छी नौकरी व अच्छे वेतन के रूप में फल देती है।
- शिक्षा आर्थिक व सामाजिक विकास का एक मुख्य तत्त्व है।
- शिक्षा श्रमिकों की कार्य कुशलता को बढाती है।
- शिक्षा विज्ञान की तकनीकी के विकास में सहायक सिद्ध होती है।
- शिक्षा सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता को बढाती है।
- शिक्षा राष्ट्रीय आय को बढाती है , सांस्कृतिक समृद्धि को बढाती है तथा प्रशासन की कार्य - क्षमता को बढाती है।
- शिक्षा व्यक्तियों की आर्थिक विकास की प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी द्वारा आर्थिक विकास दर को बढाती है।
उत्तर :
मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छा स्वास्थ्य श्रमिकों की निपुणता को बढ़ाता है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को प्राप्त करने और बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के कल्याण को मापने का अपरिहार्य आधार है।
5. किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
एक व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे उसकी क्षमता का एहसास करने में मदद करता है और उसे बीमारी से लड़ने की क्षमता भी देता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति संगठन और राष्ट्र के लिए एक दायित्व है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य सीधे उसके कार्यक्षमता से जुड़ा होता है। अस्वस्थ्य व्यक्ति की तुलना में , एक स्वस्थ्य व्यक्ति अधिक कुशलता से और अधिक उत्पादकता के साथ काम कर सकता है।
6. प्राथमिक , द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती है ?
उत्तर :
प्राथमिक , द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में निम्नलिखित तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएं संचालित की जाती है :
- कृषि , वानिकी , पशुपालन , मतस्य पालन , मुर्गी पालन व खनन प्राथमिक क्षेत्रक क्रियाएँ है।
- उत्खनन व विनिर्माण द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा संचालित मुख्य क्रियाएँ है।
- व्यापार , परिवहन , संचार , बैंकिंग , शिक्षा , स्वास्थ्य , बीमा सेवाएँ आदि तृतीयक क्षेत्रक द्वारा संचालित क्रियाएँ है।
उत्तर :
आर्थिक क्रियाएँ | गैर - आर्थिक क्रियाएँ |
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आर्थिक क्रियाएं व्यक्तिगत आय को बढाती है। | गैर - आर्थिक क्रियाएँ व्यक्तिगत आय को घटाती है। |
आर्थिक क्रियाएँ अर्थव्यवस्था में वस्तुओं व सेवाओं का प्रवाह करती है। | गैर - आर्थिक क्रियाएँ अर्थव्यवस्था में वस्तुओं व सेवाओं का प्रवाह रोकती है। |
यदि आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि होती है तो समझना चाहिए कि अर्थव्यवस्था समृद्ध हो रही है। | गैर - आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि अर्थव्यवस्था के पतन को दर्शाती है। |
आर्थिक क्रियाएँ राष्ट्रीय आय को बढ़ाने में योगदान देती है। | गैर - आर्थिक क्रियाएँ राष्ट्रीय आय को घटाने में योगदान देती है। |
उत्तर :
शिक्षा और कौशल बाजार में किसी भी व्यक्ति की कमाई के प्रमुख निर्धारक है। लैंगिक भेदभाव के कारण , महिलाओं को आमतौर पर शिक्षा और राष्ट्रीय आय के योग्य योगदानकर्ता बनने के लिए आवश्यक कौशल से वंचित रखा जाता है। परिणामस्वरूप , अधिकांश महिलाओं के पास अल्प शिक्षा और कम कौशल है। यह एक कारण है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है। साथ ही बहुत - सी महिलाएँ अपने घरेलु कारणों की वजह से कार्य करने को तैयार नहीं होती है। कार्यस्थल पर महिलाओं को उचित सुरक्षा प्राप्त नहीं होती। ऐसा समझा जाता है कि वे शारीरिक रूप से निर्बल होती है।
9. 'बेरोजगारी' शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे ?
उत्तर :
बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है , जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के इच्छुक लोग रोज़गार नहीं पा सकें। बेरोजगारी केवल उस श्रम बल जनसँख्या में विद्यमान रह सकती है जिनकी उम्र 15 वर्ष से 59 वर्ष के बीच होती है।
10. प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है ?
उत्तर :
प्रच्छन्न बेरोज़गारी | मौसमी बेरोजगारी |
---|---|
प्रच्छन्न बेरोज़गारी के अंतर्गत वह श्रमिक आते है जो श्रमिकों की संख्या में बढ़ोतरी करते है परन्तु उत्पादन में कोई योगदान नहीं देते। उन्हें काम से हटा देने पर भी उत्पादन में कोई कमी नहीं आती। | मौसमी बेरोज़गारी वह है जिससे श्रमिकों को वर्ष के कुछ खास महीनों में कार्य प्राप्त होता है। |
यह प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है। | यह ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में पाई जाती है। |
यह प्रायः कृषि क्षेत्र में पाई जाती है। | यह प्रायः कृषि आधारित उद्योगों में पाई जाती है। |
11. शिक्षित बेरोज़गारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है ?
उत्तर :
शिक्षित बेरोज़गारी वह स्थिति है , जिसमे मैट्रिक , स्नातक और स्नातकोत्तर उपाधि के साथ कई युवाओं को उपयुक्त नौकरी नहीं मिल पाती है। भारत में एक बड़ी आबादी है और हर साल बड़ी संख्या में लोग स्कूलों और कॉलेजों से स्नातक होते है। शिक्षित बेरोज़गारी भारत के लिए एक विशेष समस्या है। कुछ विशेष श्रेणियों में जनशक्ति की अधिकता के साथ ही कुछ अन्य श्रेणियों में जनशक्ति की कमी विद्यमान है। तकनीकी शिक्षा प्राप्त लोगों में भी बेरोज़गारी विद्यमान है। शिक्षित बेरोज़गारी से जनशक्ति संसाधन की बर्बादी होती है। जो लोग अर्थव्यवस्था की संपत्ति होते है बेरोज़गारी के कारण वह दायित्त्व बन जाते है।
12. आपके विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोज़गार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है ?
उत्तर :
भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए भारत प्राथमिक क्षेत्र जिसके अंतर्गत कृषि , वानिकी , पशुपालन , मतस्य पालन , मुर्गी पालन और खनन आते है। भारत कृषि व विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है।
13. क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजग़ारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते है ?
उत्तर :
शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजग़ारों की समस्या दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाया जा सकता है :
- शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर देना चाहिए।
- शिक्षा - प्रणाली में प्राथमिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए उपायों का अध्यन जोड़ना चाहिए।
- जैव - प्रौद्यिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी का अध्यन भी शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण होना चाहिए।
- श्रमिकों की निपुणता के विकास पर जोर देना चाहिए।
- इन शिक्षित बेरोजग़ारों की समस्या को दूर करने के लिए इन बेरोजग़ारों को कृषि की आधुनिक विधियों का ज्ञान दिया जाना चाहिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
15. किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते है - भूमि , श्रम , भौतिक पूँजी और मानव पूँजी ? क्यों ?
उत्तर :
मानव पूँजी ही सबसे अच्छी पूँजी है क्योंकि इसी पूँजी के द्वारा दूसरे संसाधन जैसे भूमि , श्रम व भौतिक पूँजी उपयोगी बनते है। मानव पूँजी का निवेश ही अन्य साधनों का उचित उपभोग करवाता है। जापान का विकसित देश होना मानव पूँजी के निवेश से ही संभव हुआ है।