NCERT Solution for Class 12 Micro Economics
1. अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ निम्नलिखित है :
- किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में, प्रत्येक समाज को यह निर्णय करना होता है कि यह किन वस्तुओं का उत्पादन करे और कितनी मात्रा में। यदि एक प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन अधिक किया जाए तो अर्थव्यवस्था में दूसरी प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन कम हो सकता है तथा विपरीत। एक अर्थव्यवस्था को यह निर्धारित करना पड़ता है कि वह खाद्य पदार्थों का उत्पादन करे या मशीनों का, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च करे या सैन्य सेवाओं के गठन पर, उपभोक्ता वस्तुएँ बनाए या पूँजीगत वस्तुएँ; निर्णायक सिद्धान्त यह है कि ऐसे संयोजन का उत्पादन करें, जिससे कुल समाप्त उपयोगिता अधिकतम हो।
- वस्तुओं का उत्पादन कैसे करें ? सभी वस्तुओं का उत्पादन कई तकनीकों द्वारा हो सकता है किसी वस्तु के उत्पादन में श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग करें या पूंजी प्रधान तकनीक का, यह निर्णय लेना होता है। इसके लिए निर्णायक सिद्धान्त यह है कि ऐसी तकनीक का प्रयोग करें, जिसका औसत उत्पादन लागत उत्पादन न्यूनतम हो।
- उत्पादन किसके लिए करें ? अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं की कितनी मात्रा किसे प्राप्त होगी अर्थव्यवस्था के उत्पादन को व्यक्ति विशेष में किस प्रकार विभाजित किया जाए। यह आय के वितरण पर निर्भर करता है। यदि आय समान रूप से विभाजित होगी, तो वस्तुएँ और सेवायें भी समान रूप से विभाजित होंगी। निर्णायक सिद्धान्त यह है कि वस्तुओं और सेवाओं को इस प्रकार वितरित करो कि बिना किसी को बतर बनाये किसी अन्य को बेहतर न बनाया जा सके।
2. अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
किसी अर्थव्यवस्था के संसाधनों का प्रयोग करके दो वस्तुओं के जिन भी संयोजनों का उत्पादन करना संभव है। वे उत्पादन सम्भावनाएँ कहलाती है।
3. सीमांत उत्पादन संभावना क्या है ?
उत्तर :
सीमान्त उत्पादन सम्भावना दो वस्तुओं के उन संयोगों को दर्शाती है , जिनका उत्पादन अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग करने पर किया जाता है। यह एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने की अवसर लागत है।
4. अर्थशास्त्र की विषय - वस्तु की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
अर्थव्यवस्था की विषय वस्तु बहुत व्यापक है। प्रो. रॉबिन्स के अनुसार , "अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो दुर्लभ संसाधनों जिनके वैकल्पिक उपयोग है के विवेकशील प्रयोग पर केंद्रित है। "
अर्थशास्त्र एक विषय वस्तु है जो दुर्लभ संसाधनों के विवेकशील प्रयोग पर इस प्रकार केंद्रित है , जिससे कि हमारा आर्थिक कल्याण अधिकतम हो। अर्थशास्त्र के विषय - वस्तु को दो भागों में बाँटा गया है :
- व्यष्टि अर्थशास्त्र - यह आर्थिक समस्याओं तथा आर्थिक मुद्दों का अध्यन व्यक्तिगत उपभोक्ता या व्यक्तिगत उत्पादक या उनके छोटे - से समूह को ध्यान में रखकर करता है।
- समष्टि अर्थशास्त्र - समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक समस्याओं और आर्थिक मुद्दों का अध्यन करता है।
| व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
|---|---|
| उपभोक्ता का सिद्धांत | राष्ट्रीय आय तथा रोजगार |
| उत्पादक व्यव्हार सिद्धांत | राजकोषीय और मौद्रिक नीतियाँ |
| कीमत निर्धारण | अपस्फीति तथा स्फीति |
| कल्याण अर्थशास्त्र | सरकारी बजट |
| विनिमय दर और भुगतान शेष |
5. केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाज़ार अर्थव्यवस्था के भेद को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
| बाज़ार अर्थव्यवस्था | केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था |
|---|---|
| इस अर्थव्यवस्था में मांग और पूर्ति की शक्तियों की स्वतंत्र अंतक्रिया का पूर्ण वर्चस्व होता है। | इस अर्थव्यवस्था में मांग और पूर्ति की शक्तियों की स्वतंत्र अंतक्रिया का अभाव होता है। |
| इसमें उत्पादन कारकों पर निजी स्वामित्त्व होता है। | इसमें उत्पादन कारकों पर सरकारी स्वामित्त्व होता है। |
| कइसमें उत्पादन लाभ के उद्देश्य से किया जाता है। | इसमें उत्पादन समाज कल्याण के उद्देश्य से किया जाता है। |
| इसमें सरकार उत्पादकों और परिवारों के निर्णय में कोई हस्तक्षेप नहीं करती। | इसमें सरकार उत्पादकों और परिवारों के निर्णय में हस्तक्षेप करती है। |
| इसमें उपभोक्ता का प्रभुत्त्व होता है। | इसमें उपभोक्ता का प्रभुत्त्व बाधित होता है। |
| अधिकारों के कारण पूँजी के संचय की अनुमति दी गई है। | यहाँ पूँजी के संचय की अनुमति नहीं दी गई है। |
6. सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अन्तर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न कार्यविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं। उदाहरणत: जब हम कहते हैं कि कीमत के बढ़ने से माँग की मात्रा कम हो जाती है और कीमत कम होने से माँग की मात्रा बढ़ जाती है तो यह सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण है।
7. आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि ये विधियाँ हमारे अनुकूल हैं भी या नहीं। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि सिगरेट और शराब की माँग कम करने के लिए उनके ऊपर कर की दरें बढ़ानी चाहिए तो यह आदर्शक विश्लेषण है।
8. व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
| व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
|---|---|
| व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था के एक अंग का अध्यन करता है। | समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्यन करता है। |
| व्यष्टि अर्थशास्त्र छोटी - छोटी अथवा व्यक्तिगत इकाइयों जैसे एक व्यक्ति , परिवार , उद्योग आदि का अध्यन करता है। | समष्टि अर्थशास्त्र इकाइयों के योग जैसे कुल राष्ट्रीय आय , कुल उपभोग , कुल उत्पादन आदि का अध्यन करता है। |
| व्यष्टि अर्थशास्त्र योग करने की क्रिया है। | समष्टि अर्थशास्त्र योग को टुकड़ों में तोड़ने की क्रिया है। |
| इसकी केंद्रीय समस्या कीमत निर्धारण है। | इसकी प्रमुख समस्या उत्पादन व रोजगार का निर्धारण है। |
| यह पूर्ण रोजगार की मान्यता पर आधारित है। | यह अपूर्ण रोजगार की मान्यता पर आधारित है। |
| इसके मुख्य उपकरण माँग और पूर्ति है। | इसका मुख्य उपकरण समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति है। |