NCERT Solution for Class 8 History अध्याय 3 - ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

NCERT Solution for Class 8 History Chapter 3

फिर से याद करें 

1. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ 

  • रैयत  - ग्राम समूह 
  • महाल  - किसान 
  • निज  - रैयतों  की जमीन पर खेती 
  • रैयती  - बाग़ान मालिकों की अपनी जमीन पर खेती 
उत्तर :
  • रैयत - किसान 
  • महाल - ग्राम समूह 
  • निज - बाग़ान मालिकों की अपनी जमीन पर खेती 
  • रैयती - रैयतों की जमीन पर खेती 
2. रिक्त स्थान भरें :

(क) यूरोप में वोड उत्पादकों को ................ से अपनी आमदनी में गिरावट का ख़तरा दिखाई देता था। 
(ख) अठारहवीं सदी के आखिर में ब्रिटेन में नील की माँग ............... के कारण बढ़ने लगी। 
(ग) .............. की खोज से नील की अन्तर्राष्ट्रीय मांग पर बुरा असर पड़ा। 
(घ ) चंपारण आंदोलन .................. के खिलाफ था। 
उत्तर :
(क) नील 
(ख) औद्योगीकरण 
(ग) कृत्रम रंग 
(घ) नील बाग़ान मालिकों 

आइए विचार करें 

3. स्थायी बंदोबस्त के मुख्य पहलुओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर :
स्थायी बंदोबस्त के मुख्य पहलुओं का वर्णन निम्नलिखित है :
  • राजाओं और तालुकादारो को जमींदारों के रूप में मान्यता दी गई। 
  • किसानों से लगान वसूलने और कंपनी राजस्व चुकाने का जिम्मा सौंपा गया। 
  • उनकी ओर से चुकाई जाने वाली राशि स्थायी रूप से तय कर दी गई थी। 
  • ज़मीन में निवेश करना और खेती के लिए अंग्रेजों ने कानून बनाया। 
4. महालवारी व्यवस्था स्थायी बंदोबस्त के मुक़ाबले कैसे अलग थी ?
उत्तर :
राजस्व इक्कठा करने और उसे कंपनी को अदा करने का जिम्मा जमींदार की बजाय गाँव के मुखिया को सौंप दिया। इस व्यवस्था को महालवारी बंदोबस्त का नाम दिया गया। 

5. राजस्व निर्धारण की नयी मुनरो व्यवस्था के कारण पैदा हुई दो समस्याएँ बताइए। 
उत्तर :
राजस्व निर्धारण की नयी मुनरो व्यवस्था के कारण पैदा हुई दो समस्याएँ निम्नलिखित है :
  • रैयतों से यह आशा की गई थी कि वे भूमि सुधार का प्रयास करेंगे किन्तु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। 
  • राजस्व अधिकारियों ने भू - राजस्व की दर काफी ऊँची रखी थी, रैयत इतना अधिक भू - राजस्व देने की स्थिति में नहीं थे। 
6. रैयत  नील की खेती से क्यों कतरा रहे थे ?
उत्तर :
रैयत नील की खेती से इसलिए कतरा रहे थे क्योंकि 
  • उन्हें नील की खेती के लिए अग्रिम कर्ज दिया जाता था। 
  • फसल कटने पर उन्हें बहुत कम कीमतों पर फसलों को बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। 
  • उन्हें अपनी जमीन के एक निश्चित हिस्से पर ही खेती करनी पड़ती थी। अतः दूसरी फसल के लिए उनके पास जमीन का एक छोटा सा ही हिस्सा बचता था। 
  • नील की खेती के लिए अतिरिक्त समय और मेहनत की आवश्यकता होती थी। 
7. किन परिस्थितियों में बंगाल में नील का उत्पादन धराशायी हो गया ?
उत्तर :
निम्नलिखित परिस्थितियों में बंगाल  में नील का उत्पादन धराशायी हो गया। 
  • बंगाल में नील उत्पादक किसानों को कर्ज दिया गया था। 
  • रैयतों को उनकी फसल की जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम होती थी। 
  • नील की फसल जमीन की उर्वरता को कम कर देती है।  

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