NCERT Solution : पाठ - 14 वन के मार्ग में | हिंदी वसंत कक्षा 6
प्रश्न - अभ्यास
सवैया से
1. नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हुई ?
उत्तर :
नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता के माथे पर पसीना छलक आया। उनके मधुर होंठ सूख गए। उन्हें बहुत अधिक थकान हो गई और वह आराम करने की बात कहने लगी।
2. 'अब और कितनी दूर चलना है , पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा ' - किसने किससे पूछा और क्यों ?
उत्तर :
'अब और कितनी दूर चलना है , पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा ' - ये बात सीताजी ने श्रीराम से पूछी। क्योंकि वह महलों में रहने वाली सुकुमारी थी। वन के कठिन मार्ग पर कुछ समय चलने से ही वह थक गई थी। उनके होंठ सुख गए और माथे पर पसीना छलक आया था।
3. राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की ?
उत्तर :
राम ने जब देखा कि सीता थक चुकी है , तो वह देर तक बैठकर पैरों से काँटे निकालने का अभिनय करते रहे। जिससे सीता को कुछ देर आराम करने का मौका मिल जाए और उनकी थकन कम हो जाए।
4. दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर :
प्रथम सवैये में कवि ने राम - सीता के वन जाने तथा मार्ग में होने वाली कठिनाइयों का वर्णन किया है। दूसरे सवैये में कवि ने सीता की थकान से पीड़ित होकर उन्हें आराम देने के लिए राम के द्वारा देर तक पैरों से काँटे निकालने का वर्णन किया है।
5. पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में करो।
उत्तर :
वन का मार्ग ऊँचा - नीचे तथा पथरीला था। मार्ग में बड़े - बड़े पेड़ तथा झाड़ियाँ थी। तेज धूप के कारण मार्ग की धूल गर्म हो गई थी , जिस पर चलना अत्यंत कठिन था। अतः वन का मार्ग अनेक कठिनाइयों से भरा था।
अनुमान और कल्पना
- गर्मी के दिनों में कच्ची सड़क की तप्ती धूल में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते है। ऐसी स्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ी राहत मिलती है। ठीक वैसे ही जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाए और भूख लगने पर भोजन। तुम्हे भी किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी। तुम सोचकर लिखो कि आवश्यकता पूरी होने के पहले तक तुम्हारे मन की दशा कैसी थी ?
उत्तर :
किसी वस्तु की आवश्यकता पूरी होने से पहले मन उसके बेचैन तथा व्याकुल रहता है। हम बार - बार उस वस्तु के विषय में ही सोचते है तथा उसे पाने के लिए अनेक प्रयास करते है।
भाषा की बात
1. लखि - देखकर धरि - रखकर
पोंछि - पोंछकर जानि - जानकर
• ऊपर लिखे शब्दों और उनके अर्थों को ध्यान से देखो। हिंदी में जिस उद्देश्य के लिए हम क्रिया में 'कर' जोड़ते है, उसी के लिए अवधी में क्रिया में ि (इ) को जोड़ा जाता है, जैसे - अवधी में बैठ + ि = बैठि और हिंदी में बैठ + कर = बैठकर। तुम्हारी भाषा या बोली में क्या होता है ? अपनी भाषा के ऐसे छह शब्द लिखो। उन्हें ध्यान से देखो और कक्षा में बताओ।
उत्तर :
हमारी भाषा या बोली में भी हिंदी से थोड़ा - बहुत अंतर होता है। हमारी भाषा पंजाबी में 'दी , दा ' जोड़कर तथा हिंदी में 'ती , ता ' जोड़कर अर्थ बताने वाले कुछ शब्द निम्नलिखित है -
हिंदी शब्द | पंजाबी शब्द |
---|---|
करती | करदी |
खाती | खांदी |
जाती | जांदी |
पीता | पींदा |
आता | आंदा |
बताता | दसदा |
2. "मिट्टी का गहरा अंधकार, डूबा है उसमे एक बीज। "
उसमें एक बीज डूबा है।
• जब हम किसी बात को कविता में कहते है तो वाक्य के शब्दों के क्रम में बदलाव आता है , जैसे - "छाँह घरीक ह्वै ठाढ़े" को गद्य में ऐसे लिखा जा सकता है "छाया में एक घड़ी खड़ा होकर"। उदाहरण के आधार पर नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को गद्य के शब्दक्रम में लिखो।
- पुर तें निकसी रघुबीर - बधू ,
- पुट सूखि गए मधुराधर वै। ।
- बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।
- पर्नकुटी करिहौं कीट ह्वै ?
उत्तर :
कविता की पंक्तियाँ | गद्य रूप में लिखी पंक्तियाँ |
---|---|
पुर तें निकसी रघुबीर - बधू | सीता जी नगर ने निकली। |
पुट सूखि गए मधुराधर वै।। | उनके दोनों मधुर होंठ सूख गए। |
बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े | देर तक बैठकर कांटे निकालना। |
पर्नकुटी करिहौं कीट ह्वै ? | पत्तों की कुटिया कहाँ बनाएँगे। |