Fair Play Hindi Translation

 Hindi Translation of the story "Fair Play"

Part - I

Jumman Sheikh...............its limits.

जुम्मन शेख तथा अलगू चौधरी अच्छे मित्र थे। उनकी मित्रता का बंधन इतना मजबूत था कि जब एक गाँव से बाहर जाता था तो दूसरा उसके परिवार की देखभाल करता था। दोनों का ही गाँव में बहुत सम्मान था। 

जुम्मन की एक वृद्ध चाची थी जिसकी अपनी कुछ सम्पति थी। इस भूमि को उसने इस समझौते पर जुम्मन के नाम हस्तांतरित कर दी कि वह जुम्मन के साथ रहेगी तथा वही उसकी देखरेख करेगा। यह व्यवस्था दो वर्षों तक सही चली , फिर स्थिति बदल गई। जुम्मन तथा उसके परिवारजन इस वृद्ध सम्बन्धों से तंग आ गए। जुम्मन अपनी चाची से उतना ही विमुख या उदासीन हो गया जितना कि उसकी पत्नी, जो उस वृद्धा को दैनिक भोजन देने में भी आनाकानी करने लगी। चाची यह अपमान अपने भोजन के साथ कुछ माह तक निगलती या सहती रही। पर धैर्य की भी एक सीमा होती है। 

One day...................his ears.

एक दिन वृद्धा ने जुम्मन को बोला, "बेटे, अब यह साफ़ हो गया है कि मैं तुम्हारे घर में अनचाहा बोझ बन गई हूँ। कृपा करके मुझे मासिक भत्ता दे दिया करो ताकि मैं अपनी रसोई अलग बना लिया करूँ। "

"मेरी पत्नी को ही जानकारी है कि घर संचालन किस प्रकार किया जाता है ? धैर्य रखो," जुम्मन ने बेशर्मी से उत्तर दिया। यह सुनकर चाची नाराज हो गई और उसने अपना मामला गाँव की पंचायत में ले जाने का निर्णय कर लिया। 

कई दिनों तक बूढी महिला गाँव वालो से अपना दुखड़ा रोटी रही , अपनी स्थिति उसने स्पष्ट की तथा उनके समर्थन की मांग की। कुछेक ने उसके प्रति सहानुभूति दिखाई, अन्य ने उसकी हँसी उड़ाई तथा कुछ और लोगों ने उसे सलाह दी कि अपने भतीजे एवं उसकी पत्नी से समझौता कर लो। अंत में वह अलगू चौधरी के पास गई तथा फरियाद की। "तुम तो जानती हो , चाची , जुम्मन मेरा परम मित्र है। मैं भला उसके विरुद्ध किस प्रकार जा सकता हूँ ?" अलगू बोला। "पर क्या यह उचित या सही है कि तुम चुप बैठे रहो तथा सही बात न बोलो," वृद्धा ने तर्क दिया। "पंचायत में आओ तथा सच बोल दो," उसने कहा। अलगू ने कोई उत्तर नहीं दिया, पर वृद्धा के शब्द उसके कानो में गूंजते रहे। 

Part - II

The Panchayat.................her case.

पंचायत उसी शाम एक पुराने वटवृक्ष के नीचे बुलाई गई। जुम्मन ने खड़े होकर अपनी बात कही तथा बोला, "पंच का निर्णय परमात्मा की आवाज होती है। मेरी चाची जिसे चाहे अपना सरपंच नामांकित कर ले। मैं उसके निर्णय को मान लूँगा। " "पंच  का कोई मित्र या शत्रु नहीं होता। अलगू चौधरी के नाम पर तुम्हे कोई एतराज है ?" वृद्ध महिला  ने घोषणा कर दी। 

"ठीक है ," जुम्मन ने इस अनपेक्षित सौभाग्य पर अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा। 

"चाची ,तुम जुम्मन तथा मेरी मैत्री का बात जानती हो ," अलगू बोला। "मैं वह जानती हूँ ,"  चाची ने उत्तर दिया , "पर मैं यह भी जानती हूँ कि तुम अपनी मित्रता के लिए आत्मा का हनन नहीं करोगे। पंच के दिल में परमात्मा का वास हो जाता है , और उसकी आवाज परमात्मा की आवाज होती है। " और वृद्ध महिला ने अपना केस स्पष्ट किया। 

"Jumman...................to say."

"जुम्मन ," अलगू बोला, "तुम और मैं पुराने मित्र है। तुम्हारे चाची मुझे उतनी ही प्रिय है जितने कि तुम हो। अब मैं पंच के पद पर आसीन हूँ। तुम और तुम्हारी चाची मेरी दृष्टि में एक समान है। तुम्हे अपने बचाव पक्ष में क्या कहना है ?"

"तीन वर्ष पूर्व," जुम्मन ने बात शुरू की, "मेरी चाची ने अपनी सारी सम्पदा मेरे नाम हस्तांतरित कर दी। मैंने वचन दिया कि उसे आजीवन सहारा दूंगा। मैं जो कुछ कर सकता था मैंने किया। उसकी मेरी पत्नी से एक - दो बार झड़प भी हुई पर मैं इसे रोक नहीं सकता। अब मेरी चाची मासिक भत्ता मुझसे माँग रही है। यह संभव नहीं है। मुझे बस इतना ही कहना है। "

Jumman was.......................revenge.

जुम्मन से अलगू तथा अन्य व्यक्तियों ने जिरह की। फिर अलगू ने घोषणा की, "हमने इस मामले पर ध्यानपूर्वक विचार किया है। हमारी राय में जुम्मन की अपनी चाची को मासिक भत्ता देना चाहिए, अन्यथा उसकी सम्पदा उसे लौटा दे। "

इसके पश्चात दोनों मित्रों में पूरा अलगाव हो गया। उनके बीच मैत्री का बंधन टूट गया। वास्तव में , जुम्मन तो अलगू का शत्रु बन गया तथा प्रतिशोध लेने का विचार करने लगा। 

Part - III

Days passed and...................support.

समय बीतता गया, और दुर्भाग्य से अलगू चौधरी एक मुसीबत में फँस गया। उसकी बैलों की जोड़ी में से एक मर गया तथा उसने दूसरा बैल गाँव के एक गाड़ीवान समझू साहू को बेच दिया। दोनों में सहमति यह बनी कि साहू बैल की कीमत एक माह में चूका देगा। हुआ यह कि बैल एक माह के अंदर ही मर गया। बैल की मृत्यु के कई माह पश्चात अलगू ने साहू को उस पैसे की याद दिलाई जो उसने अभी तक दिया न था। साहू लाल - पीला हो गया। "मैं तुम्हे उस अभागे जानवर की एक कौड़ी भी नहीं दूंगा। तुमने तो मुझे बर्बाद कर दिया। मेरा एक  बैल है। उसे एक माह तक इस्तेमाल करो और फिर मुझे लौटा देना। मरे हुए बैल की कोई कीमत मत मांगो ," उसने क्रोधपूर्वक कहा। अलगू ने मामला पंचायत में ले जाने का विचार किया। एक बार फिर कुछ ही माह बाद पंचायत बुलाने की तैयारी की गई तथा दोनों ही पक्ष लोगों से मिलकर समर्थन जुटाने लगे। 

The panchayat was....................justice.

पंचायत पुराने वटवृक्ष के नीचे जुडी। अलगू ने खड़े होकर कहा , "पंच के अंदर परमात्मा का वास होता है। साहू जिसे चाहे सरपंच नामजद कर दे। उसका निर्णय मुझे मान्य होगा। "

साहू को सुनहरा मौका दिखाई दिया और उसने जुम्मन का नाम प्रस्ताव कर दिया। अलगू का दिल बैठ गया तथा उसका चेहरा पीला पड़ गया। पर वह कर भी क्या सकता था ?

जैसे ही जुम्मन सरपंच बना , उसे एक पंच की जिम्मेदारी तथा पद की गरिमा का अहसास हो गया।  क्या वह उस उच्च पद पर बैठकर अब अपना बदला लेगा ? उसने खूब विचार किया। नहीं, उसे अपनी निजी भावनाओं को सत्य बोलने तथा न्याय करने के मार्ग में बाधक नहीं बनने देगा। 

Both Algu and Sahu...................between them.

अलगू तथा साहू दोनों ने अपनी बात कही। उनसे जिरह की गई तथा  इस मामले पर गंभीरता से विचार किया गया। फिर जुम्मन खड़ा हो गया तथा उसने घोषणा की, "हमारी राय यह है कि साहू को बैल की कीमत चुकानी चाहिए। जब साहू ने बैल ख़रीदा था तो जानवर में कोई दोष या रोग नहीं था। बैल का मर जाना एक दुर्भाग्य था। पर उसके लिए अलगू को दोष नहीं दिया जा सकता। " अलगू अपने भावावेश को रोक नहीं पाया। वह खड़ा होकर बार - बार ऊँची आवाज में बोला, "पंचायत की जय हो। यही न्याय है। परमात्मा ही पंच के माध्यम से बोलता है। "

शीघ्र ही जुम्मन अलगू के पास गया। उसे गले लगाया तथा बोला, "पिछली पंचायत के समय मैं तुम्हारा शत्रु बन गया था। आज मैंने महसूस किया कि पंच बनना क्या होता है।  पंच का कोई भी व्यक्ति शत्रु या मित्र नहीं होता। वह तो केवल न्याय की बात जानता है। न्याय तथा सत्य के मार्ग से मैत्री अथवा शत्रुता कारण किसी को भी भटकना नहीं चाहिए। "

अलगू ने अपने मित्र को गले लगा लिया तथा रो पड़ा। और उसके आंसुओं  ने उनके बीच ग़लतफ़हमी की सारी धूल धो दी।

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