A Game of Chance Hindi Translation

 Hindi Translation of the story "A Game of Chance"

Every year..................wait for him.

 हर वर्ष ईद के अवसर पर हमारे गाँव में एक मेला लगता है। ईद तो एक दिन मनाई जाती थी पर मेला कई दिनों तक चलता था। सौदागर आस -पास तथा दूर -दराज के स्थानों से वहाँ बेचने के लिए सभी प्रकार की वस्तुएं लाते थे। आप वहां एक छोटी पिन से लेकर विशाल भैंस तक खरीद सकते थे। 

अंकल मुझे उस मेले में भैया के साथ ले गए, भैया हमारे घर पर नौकर था। मेले में विशाल भीड़ थी। अंकल हमें भीड़ के बीच से ले जा रहे थे कि उन्हें अपने कुछ मित्र मिल गए। उन्होंने कुछ समय अंकल के साथ बिताना चाहा। 

अंकल ने मुझसे पुछा क्या मैं भैया के साथ उनके लौटने तक मेला देखना चाहूंगा। मुझे ऐसा करने में ख़ुशी थी। अंकल ने मुझे सचेत किया कि मैं न तो कोई चीज खरीदूँ न ही उनकी अनुपस्थिति में दूर चला जाऊँ। मैंने वचन दिया कि मैं उनकी प्रतीक्षा करूँगा। 

Bhaiya and I..................yours.

भैया और मैं दुकान -दुकान घूमकर देखने लगे। अनेक चीजें थी जिन्हे मैं खरीदना चाहता था, पर मैंने अंकल के लौटने तक प्रतीक्षा की। फिर हम एक 'लकी शॉप' नामक दुकान पर पहुँचे। दुकानदार न तो जवान था न ही वृद्ध। वह अधेड़ आयु का था। वह न तो चुस्त -दुरुस्त था न ही सुस्त आलसी। वह हरेक को कहता था अपनी किस्मत आजमाओ। मेज पर एक से दस तक संख्या लिखी कुछ गोल गोटियाँ थी। खेलने वाले को 50 पैसे देने थे, 6 गोटियां उठाकर उनपर लिखी संख्या का योग करना था। उस संख्या वाली वस्तु उसे मिल जाती थी। 

An old man.................of cash.

एक वृद्ध व्यक्ति ने 50 पैसे दिए तथा 6 गोटियां चुन ली। उसने उनपर लिखी संख्या को जोड़ा तथा योग निकला 151 उसे 15 न. वाली चीज दे दी गई जो एक सुन्दर घडी थी। पर वृद्ध को घडी की जरूरत न थी। दुकानदार ने उसपर अनुग्रह किया तथा उसकी घडी 15 रूपए में वापस खरीद ली। वृद्ध खुश होकर चला गया। 

फिर एक बालक जो मुझसे कुछ बड़ा था, अपना भाग्य आजमाने आया। उसे के कंघा 25 पैसे मूल्य वाला मिला। दुकानदार न तो खुश दिखा न ही उदास। उसने बालक से वह कंघा 25 पैसे में वापस ले लिया। लड़के ने दो बार भाग्य आजमाया। इस बार उसे 3 रू. वाला फाउंटेन पेन मिला। फिर उसने तीसरा प्रयास किया तथा 25 रुपये मूल्य वाली हाथ घडी उसे मिल गयी। उसने पुनः दाँव लगाया और 10 रुपये से अधिक मूल्य वाला टेबल लैंप जीत गया। लड़का खुश था और वह तमाम पैसा लेकर मुस्कुराता चला गया। 

I wanted to.................disappeared.

मैं भी अपनी किस्मत आजमाना चाहता था। मैंने भैया की ओर देखा। उसने मुझे प्रोत्साहित किया। मैंने 50 पैसे दिए तथा 6 गोटियाँ उठा ली। मेरी भी किस्मत बुरी निकली। मैंने दो पेन्सिलें जीती। दुकानदार ने उन्हें मुझसे 25 पैसों में खरीद ली। मैंने पुनः दाव लगाया। इस बार मैंने स्याही की दवात जीती, वह भी बहुत सस्ती थी। दुकानदार ने वह भी 25 पैसे में वापस ले ली। मैंने तीसरा प्रयास किया। फिर भी किस्मत ने मेरा साथ नहीं दिया। 

मुझे आशा थी कि कोई बड़ा इनाम जीत लूँगा, इसलिए मैं बार - बार अपनी किस्मत आजमाता रहा, हर बार 50 पैसे देता रहा। पर हर बार मुझे तुच्छ सस्ती चीज ही मिली। अंत में मेरे पास केवल 25 पैसे बचे। पुनः दुकानदार ने दया दिखाई। वह बोला 25 पैसों से या तो मैं एक मौका और ले लूँ अथवा सारा हिसाब - किताब वहीं साफ़ कर दूँ। मैंने पुनः खेल खेला तथा अंतिम 25 पैसे भी हार गया। 

People were...................of me.

लोग मुझे ताक रहे थे। कुछ मेरी बदकिस्मती पर हँस रहे थे, पर किसी ने मेरे प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई। भैया और मैं उसी स्थान पर लौट आये जहाँ अंकल हमें छोड़कर गए थे तथा हम उनके आने की प्रतीक्षा करने लगे। 

शीघ्र ही वह आ गये। उन्होंने मुझे देखा तथा पूछा, "रशीद, तुम कुछ खिन्न दिख रहे हो। क्या बात है ?"

मैं कुछ नहीं बोला। भैया ने उन्हें सारी घटना बता दी। अंकल न तो नाराज हुए न ही उदास। वह मुस्कराये तथा उन्होंने मेरी पीठ थपथपाई। वह मुझे एक दुकान पर ले गये तथा मुझे छतरी, बिस्कुट , मिठाइयां और कुछ अन्य छोटे - छोटे उपहार खरीद दिए। फिर हम घर लौट आये। घर लौटकर अंकल ने मुझे बताया लकी दुकान के मालिक ने तुम्हे बुद्धू बना दिया। 

"No, Uncle,"........................foolishness."

"नहीं, अंकल," मैंने कहा। "यह तो मेरी किस्मत ही ख़राब थी। 

"नहीं, मेरे बच्चे,' अंकल बोले, "यह सौभाग्य तथा दुर्भाग्य की बात नहीं थी। "

"पर अंकल, मैंने तो एक वृद्ध व्यक्ति घडी पाते तथा बालक को दो तीन महँगी चीजें जीतते देखा था। "

"तुम नहीं जानते, बच्चे," अंकल बोले, "वे लोग उस दुकानदार के ही साथी थे। वे तुम्हे भी अपना भाग्य आजमायश के लिए प्रलोभन देने हेतु चाल चल  रहे थे। वे तुम्हारा पैसा हथियाना चाहते थे और उन्होंने कर भी लिया। अब उसे भूल जाओ, तथा किसी को भी अपनी बदकिस्मती अथवा मूर्खता की कहानी मत सुनाना। "

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