An Indian-American Woman in Space : Kalpana Chawla Hindi Translation

 Hindi Translation of the story "An Indian-American Woman in Space : Kalpana Chawla"

Kalpana Chawla.........................carry on.

कल्पना चावला ने बताया था कि बचपन में जब वह करनाल में थी, उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अंतरिक्ष की सीमायें नाप लेगी। यही बहुत बड़ी बात थी कि उसके माता -पिता ने उसे टैगोर स्कूल से स्नातक बनने के पश्चात इंजीनियरिंग कॉलेज जाने की अनुमति दे दी। 

यान उड़ान विद्या में बी.एस.सी. करने के बाद अपने पिता के भारी विरोध के बावजूद वह एम.एस.सी. करने संयुक्त राज्य अमरीका चली गयी। बाद में उसने अंतरिक्ष यान विद्या में डॉक्टरेट प्राप्त कर ली। चावला पहली भारतीय अमरीकी महिला अंतरिक्ष यात्री थी जिसने केप कनावेरल, फ्लोरिडा में अंतरिक्ष यान के लिये बने मंच से उड़ान भरी तथा उसने अंतरिक्ष में एक सफल अभियान में भी भाग लिया। भारत में उसके परिवार ने केनेडी अंतरिक्ष केंद्र के कर्मचारियों के साथ ख़ुशी व्यक्त की जब उन्होंने कोलंबिया को ऊपर उठते देखा। 

चावला का जन्म हरियाणा के करनाल नगर में हुआ था, पर उसने अमरीका की नागरिकता प्राप्त कर ली तथा उड़ान शिक्षक हेरीसन से विवाह कर लिया। अंतरिक्ष यात्री के अलावा चावला के पास एक तथा अनेक इंजन वाले वायुयानों को उड़ाने का लाइसेंस था। वह एक इंजन वाले समुद्रयानो तथा ग्लाइडरों को उड़ाने के लिए भी अधिकृत थी। वह प्रामाणिक उड़ान प्रशिक्षक भी थी। यान चालन के लिए अधिकृत होने के पश्चात चावला ने एक दूसरी चुनौती स्वीकार करने का मन बना लिया। उसने नासा के अंतरिक्ष यान कार्यक्रम में शामिल होने हेतु आवेदन पत्र भेजा। उसे पहले तो नासा में शोधकर्ता वैज्ञानिक के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। 1994 में उसका चयन एक अंतरिक्ष यात्री के प्रशिक्षण के लिए कर लिया गया। जब उससे पूछा गया कि अपने क्षेत्र में महिला होने पर उसका अनुभव कैसा है, तो उसने उत्तर दिया, "मैं जब शिक्षारत थी, मैंने कभी भी यह नहीं सोचा कि मैं एक महिला हूँ, अथवा मैं एक छोटे से कस्बे से आई हूँ अथवा मैं विदेशी मूल की हूँ। मेरे अपने सपने किसी भी अन्य व्यक्ति जैसे थे और मैंने उन्हें साकार करने का प्रयास किया। और मेरे आस -पास के लोगों ने सौभाग्य से सदा ही मुझे प्रोत्साहन दिया तथा कहा, 'यदि तुम यही करना चाहती हो तो शौक से करो। "

Kalpana's first...............................awe-inspiring.

पहले अंतरिक्ष अभियान के दौरान चावला यान कोलंबिया में 15 दिन 16 घंटे तथा 34 मिनट रही। इस दौरान उसने पृथ्वी की 252 बार परिक्रमा की, एक करोड़ पैंतालीस लाख किमी की यात्रा की। उसके सहयात्रियों में एक जापानी तथा एक यूक्रेनी अंतरिक्ष यात्री थे। सभी ने प्रयोग किये जैसे पौधों पर पराग छिड़क कर यह अध्यन किया कि अंतरिक्ष में खाद्य सामग्री का विकास कैसे होता है, तथा अधिक फ़ौलादी धातु बनाने एवं अधिक गतिवान कंप्यूटर चिप्स बनाने सम्बन्धी परीक्षण किये और इन सब पर खर्च आया 5 करोड़ 60 लाख डॉलर। 

शनिवार की रात को जब कोलंबिया यान के दुर्घटनाग्रस्त होने का समाचार मिला तो लोगों को गहरी ठेस लगी और उन्होंने विश्वास नहीं किया। करनाल नगर ने वह रात जागकर गुजारी, हजारों घरों में लोग इस आशा के साथ टीवी के सामने चिपककर बैठे रहे कि कल्पना और उस यान के अन्य अधिकारी शायद किसी प्रकार जीवित बच गए हो। एक पत्रकार ने लिखा - "कल्पना एक वीरांगना थी। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए बहुत योग्यता की जरूरत होती है। व्यक्ति को सभी चीजों के बारे में ढेर सारी जानकारी होनी चाहिए, जीव विज्ञान से लेकर भौतिक शास्त्र तथा यान इंजीनियरिंग तक की। "

आज के विशिष्टीकरण के युग में आपको ज्ञानकोश जैसा ज्ञान होना चाहिए तभी आप अंतरिक्ष यात्री बन सकते है। चावला की उपलब्धि महान है, आदरयुक्त भय या आश्चर्य पैदा करने वाली है। 

For millions.........................their dreams.

लाखों युवा भारतीयों के लिए कल्पना चावला की कहानी, जिसका जन्म एक छोटे से कस्बे में हुआ था और जिसने आकाश की ऊंचाई नाप ली, एक प्रेरणा स्त्रोत हो गयी है। अंतरिक्ष यान कोलंबिया से भेजे गये एक सन्देश में कल्पना ने चंडीगढ़ स्थित अपने कॉलेज के छात्रों से कहा, "सपने से सफलता का रास्ता अवश्य बना हुआ है। परमात्मा करे तुम्हारे मन में वह सपना या वैसी कल्पना जग जाए जो उस मार्ग को खोजने में तुम्हारी मदद करे, तथा तुम्हारे अंदर वह साहस पैदा हो जाए कि तुम उस सफलता को प्राप्त कर लो। मैं तुम्हारे लिए एक यशस्वी, महान यात्रा की कामना करती हूँ।"  निश्चित रूप से अनेक युवा ऐसे होंगे जो उस यात्रा पर अपना सपना पूरा करने हेतु निकल पड़ेंगे। 

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