A Diiferent Kind of School Hindi Translation

 Hindi Translation of the Story "A Different Kind of School"

I had heard..................simple.

मैंने मिस बीम के विद्यालय के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। पिछले सप्ताह की मुझे वहां जाने का अवसर मिला। जब मैंने प्रवेश किया तो एक 12 वर्ष की बच्ची को देखा। उसकी आँखों पर पट्टी बँधी थी तथा उसे एक छोटा बालक फूलों की क्यारियों के बीच से ले जा रहा था, वह बालक चार वर्ष छोटा रहा होगा।  बच्ची ठहर गई तथा ऐसा लगा मानो वह बालक से पूछ रही थी कि आगंतुक कौन है। बालक उसे मेरा हुलिया बता रहा था। फिर वे आगे बढ़ गए। 

मिस बीम वैसी ही निकली जैसी मैंने कल्पना की थी अथवा उम्मीद की थी - अधेड़ आयु की, रोबदाव वाली पर सहृदय तथा संवेदनशील। उनके केश सफ़ेद हो चले थे, और वे कुछ भारी बदन की थी जो घर की याद से पीड़ित बच्चों को कुछ राहत दे सकती थी जो घर की याद से पीड़ित बच्चों को कुछ राहत दे सकती थी। मैंने उनसे कुछ प्रश्न उसकी शिक्षण प्रणाली के बारे में पूछे जो बहुत सरल थे। 

"No more...................will you?"

"मैं बच्चों को उतना ही सिखाती हूँ जो उन्हें काम करना या प्रश्न हल करना सीखा दे - सरल स्पेलिंग, जोड़, घटा या बाकी, गुणा, भाग तथा लेखन विद्या। शेष वे सीख लेते है जब उन्हें पढ़ कर सुनाया जाता है तथा उन्हें रोचक बातें बताई जाती है, उस दौरान उन्हें शांत स्थिर बैठना होता है, तथा हाथों को भी निश्चल रखना होता है। इसके अलावा कोई अन्य पाठ उन्हें नहीं सिखाया जाता। "

"इस स्कूल का लक्ष्य उन्हें नये -नये विचार सिखाना इतना अधिक महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि उन्हें विचारपूर्ण बनाना -अन्य लोगों के प्रति दयालु बनाना तथा गंभीर उत्तरदायित्वपूर्ण नागरिक बनाना। क्या आप खिड़की से बाहर एक मिनट देखने का कष्ट करेंगे ?"

I went to.....................cripple.

मैं खिड़की तक गया जहाँ से विशाल बगीचा तथा पीछे एक खेल का मैदान दिखाई देता था। 

"आप क्या देख रहे है ?" मिस बीम ने पूछा। 

"मैं कुछ अति सुन्दर लॉन या मैदान देख रहा हूँ ," मैं बोला, "और बहुत से हँसमुख बच्चों को भी। यद्यपि मुझे यह देखकर कष्ट होता है कि सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ तथा चुस्त नहीं है। जब मैंने प्रवेश किया था तो मैंने एक बेचारी बच्ची को देखा जिसे कोई घुमा रहा था। उसकी आँखों में शायद कुछ खराबी थी। अब मुझे दो अन्य बच्चे उसी पीड़ा के शिकार दिख रहे है और एक लड़की है जो बैसाखी लिए है और अन्य बच्चों को खेलते देख रही है। 

वह जैसे बुरी तरह से लंगड़ी हो गई है। "

Miss Beam laughed.................helpers.

मिस बीम हँस दी। "ओह , यह बात नहीं !" वह बोलीं। "वह लड़की वास्तव में लंगड़ी नहीं है। आज उसका लंगड़ी होने का दिन है। अन्य बच्चों में कोई भी दृष्टिहीन नहीं है। यह तो उनके अंधे होने का खेल का दिन है। "

मुझे आश्चर्यचकित देखकर मिस बीम पुनः हँस दी। 

"यह हमारी शिक्षा प्रणाली का एक आवश्यक भाग है। हम उन बच्चों को विपदा में सहभागी होना सिखाते है ताकि वे विपदा को सही समझ सकें। 

हर सत्र में हर बच्चे को एक दिन अंधे बनना, एक दिन लंगड़ा बनना, एक दिन बहरा बनना, एक दिन घायल बनना तथा एक दिन गूंगा बनना होता है। 

अँधा बनने वाले दिन उनकी आँखों पर पूरी तरह से पट्टी बाँध दी जाती है तथा उन्हें शपथ दिला दी जाती है कि वे पट्टी के नीचे से झांकेंगे नहीं। पट्टी पिछली रात बाँध दी जाती है ताकि जब वे उठें तो दृष्टिहीन उठें। इसका अर्थ यह है कि उन्हें हर काम के लिए सहायता की जरूरत पड़ती है। अन्य बच्चों को यह काम सौंपा जाता है कि वे उन पट्टी बाँधे बच्चों की मदद करें तथा उन्हें घुमाएं -फिराये। वे सभी इस प्रकार से बहुत -कुछ सीख लेते है - दृष्टिहीन भी और उसका मददगार भी। "

"There's no misery...............about it.

"ऐसा खेल खेलने में कोई कष्ट नहीं होता," मिस बीम बोलती रहीं। "हर बच्चा बहुत सहृदय होता है, और यह तो वास्तव में एक खेल ही है। दिन बीतने से पूर्व सर्वाधिक लापरवाह बच्चा भी महसूस कर लेता है कि विपदा या दुर्भाग्य कैसा है। "

"अँधा बनने का दिन सचमुच बुरा,  पर कुछ बच्चे मुझे बताते है कि गूंगा बनने वाला दिन सबसे अधिक कठिन होता है। हम बच्चों के मुँह पर तो पट्टी नहीं बांध सकते, इसलिए उन्हें वास्तव में अपनी इच्छा शक्ति का इस्तेमाल करना होता है। बाग़ में चलिए और स्वयं देखिये कि बच्चे कैसा महसूस करते है। "

Miss Beam led me...............I asked.

मिस बीम मुझे एक दृष्टिहीन बनी बच्ची के पास ले गई। "ये सज्जन तुमसे बात करना चाहते है," मिस बीम इतना बोलकर चली गयी। 

"क्या तुम कभी चोरी से झाँकने की कोशिश नहीं करती ?" मैंने लड़की से पूछा। 

"ओह, कभी नहीं। " वह बोली। "ऐसा करना तो बेईमानी होगी। पर मुझे यह नहीं पता था कि दृष्टिहीन बनना कितना कष्टप्रद होता है। आप कुछ भी देख नहीं सकते। आपको हर क्षण ऐसा लगता है कि आप किसी चीज से टकराने वाले है। 

बैठ जाने से बहुत राहत मिलती है। "

"क्या तुम्हारी मदद करने वाले तुम्हारे प्रति सहृदय होते है ?" मैंने पूछा। 

"fairly............................we now?"

"काफी कुछ होते है। पर उतने नहीं जितना मैं अपनी बारी आने पर रहूँगी। जो बच्चे पहले कभी दृष्टिहीन बन चुके होते है, वे सर्वश्रेष्ठ सहायक सिद्ध  होते है। न देख पाना बहुत बुरा होता है। मैं चाहूंगी कि आप भी बनकर देखे। "

"क्या मैं तुम्हे कहीं घुमाने  चलूँ ?" मैंने पूछा। 

"ओह, अवश्य," वह बोली। "चलिए हम कुछ टहल ले। पर आपको मुझे चीजों के बारे में जानकारी देते रहना होगा। आज का दिन बीत जाने पर मुझे ख़ुशी मिलेगी। अन्य बुरे दिन इतने बुरे नहीं हो सकते जितना दृष्टिहीन बनना। यदि एक पाँव बाँध दिया जाता है और हमें बैसाखी के सहारे कूदते हुए चलना पड़ता है तो वह तो मेरे अनुमान से रोचक खेल होगा। यदि एक बाँह बाँध दी जाती है तो यह कुछ अधिक कष्टकर होता है क्योंकि आप बिना मदद के खाना नहीं खा सकते, और कई काम नहीं कर सकते। एक दिन बहरा बनना मुझे बुरा नहीं लगेगा -बहुत बुरा तो नहीं लगेगा। पर दृष्टिहीन बनना बहुत डरावना अनुभव होता है। मेरा सिर सदा पीड़ा करता है मात्र इस चिंता से कि मैं चोट खाने वाली हूँ। हम लोग अब कहाँ आ पहुँचे है ?"

"In the playground.................she said ?

"खेल के मैदान में," मैंने बताया। "हम अब घर की ओर  चल रहे है। मिस बीम बगीचे में एक लम्बी लड़की के साथ टहल रही है। "

"उस लड़की ने क्या पहन रखा है ?" मेरी छोटी मित्र ने पूछा। 

"एक नीले रंग का सूती स्कर्ट तथा गुलाबी ब्लाउज। "

"मेरे विचार से यह मिली है। " वह बोली "उसके केश का रंग कैसा है ?"

"बहुत हल्का," मैंने बताया। 

"तो फिर वह मिली ही है। वह हमारी हैड गर्ल है। "

"एक वृद्ध व्यक्ति गुलाबों को बाँध  रहा है," मैं बोला। 

"हाँ, वह पीटर है। वह हमारा माली है। उसकी आयु सैकड़ा वर्ष की है। "

"और यह आयी है एक घुंघराले लाल केश वाली लड़की। वह बैसाखी के सहारे चल रही है। "

"वह अनीता है," लड़की बोली। 

And so we...................after all.

और इस प्रकार हम चलते रहे। धीरे -धीरे मुझे पता चला कि मैं स्वयं को जितना विचारपूर्ण समझता था उससे दस गुना अधिक हो गया हूँ। मैंने यह भी महसूस किया कि यदि मुझे व्यक्तियों या चीजों की जानकारी किसी को देनी होती है , तो वे चीजें मेरे लिए और अधिक रोचक बन जाती है। जब मैंने अंत में विदा ली तो मैंने मिस बीम को बोला कि मुझे यहाँ से जाने पर दुःख हो रहा है। "आह !" उन्होंने उत्तर दिया, "तो फिर मेरी इस शिक्षा पद्धति में कुछ विशेष बात तो है। "

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