Class 10 Letter Writing with Examples
परीक्षा - पत्र में निम्नलिखित प्रकार के पत्र पूछे जा सकते है -
- Personal letters to friends and relatives
- Official letters
- Business letters
Different Parts Of A Letter
किसी पत्र के निम्नलिखित चार भाग होते है :
- The Heading
- The Salutation
- The Body
- The Ending
1. The Heading :
इसमें पत्र - प्रेषक का अपना पता तथा पत्र लिखने की तिथि को अंकित किया जाता है :
पत्र - प्रेषक का पता पत्र के सबसे ऊपर दाएं कोने में लिखा जाता है। इसमें पत्र - प्रेषक को अपना नाम नहीं लिखना चाहिए।
पता के विभिन्न भागों का क्रम इस प्रकार होना चाहिए :
(1) मकान नंबर (2) गली मोहल्ले / गाँव का नाम (3) पिन कोड सहित नगर एवं राज्य का नाम।
तिथि तथा पता लिखते समय विराम - चिन्हों का विशेष ध्यान रखिए।
प्रत्येक पंक्ति के अंत में comma लगाया जाता है , किन्तु अंतिम पंक्ति के साथ Full stop लगाया जाता है।
2. The Salutation :
पत्र के इस भाग में कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करके उस व्यक्ति को सम्बोधित किया जाता है जिसे पत्र लिखा जा रहा है। अति घनिष्ठ सम्बन्धियों अथवा मित्रों के लिए My dear ..........., अथवा केवल Dear ........., शब्द का प्रयोग किया जा सकता है ; जैसे -
My dear Ashok, My dear Sunita, My dear Father, अथवा Dear Vijay, Dear Misha, Dear Uncle, आदि।
परिचित व्यक्तियों, जो अधिक घनिष्ठ न हो, के नामों से पूर्व निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है :
- पत्र की भाषा व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होनी चाहिए और अर्थ की दृष्टि से स्पष्ट होनी चाहिए।
- पत्र में उत्तम - पुरुष सर्वनाम 'I' का कम से कम प्रयोग किया जाना चाहिए क्योंकि 'I' के अत्यधिक प्रयोग से अहंकार और आत्मश्लाघा का आभास होने लगता है।
- अपनी बात को सीधे और प्रत्यक्ष रूप से कहिए। लम्बे तथा उलझे हुए वाक्यों का प्रयोग मत कीजिए।
- यदि आवश्यकता हो तो पत्र को छोटे - छोटे परिच्छेदों के रूप में बांट कर लिखिए। इससे प्राप्तकर्ता को आपकी बात के सभी पक्ष अधिक आसानी से समझ आ जाएंगे।
- जहाँ तक हो सके , अपने पत्र में कटु शब्दों का प्रयोग मत कीजिए। आपके लेख में अशिष्टता का प्रतिबिम्ब कभी नहीं होना चाहिए।
पत्र - लेखन के सम्बन्ध में ध्यान रखने योग्य कुछ आवश्यक बातें :-
- परीक्षा - पत्र में प्रायः प्रेषक (sender) और प्राप्तकर्ता (addressee) का नाम और पता दिया जाता है। विद्यार्थियों को इसी नाम और पते का प्रयोग करते हुए अपना पत्र लिखना चाहिए। किसी अन्य काल्पनिक अथवा वास्तविक नाम / पते का प्रयोग करने से अंक काट लिए जाते है।
- पत्र की लम्बाई उतनी ही होनी चाहिए जितनी परीक्षा - पत्र में वांछित हो। इसलिए अपनी बात को संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट ढंग से लिखिए। व्यर्थ और असंगत बातें लिख कर पत्र को लम्बा करने का यत्न कभी मत कीजिए।
- पत्र के प्रत्येक भाग - heading, salutation और ending - के लिए पृथक अंक निश्चित होते है। इसलिए विद्यार्थियों को उन्हें लिखने में अति सावधानी बरतनी चाहिए , और विराम - चिन्हों का ठीक प्रयोग करना चाहिए।
- पत्र लिखने के बाद इसे पुनः पढ़िए , और पहले रह गई अशुद्धियों को ठीक कर लीजिए।
- आजकल पत्र - लेखन के सम्बन्ध में एक नई विधि को अपनाना शुरू कर दिया गया है , यद्यपि भाषा - विज्ञान की दृष्टि से इसका कोई आधार नहीं है।
- नई विधि के अनुसार पत्र - प्रेषक का पता तथा तिथि ऊपरी दाएं कोने में लिखने की बजाए बाएं कोने में लिख दिए जाते है , और प्राप्तकर्ता का नाम , पता तथा सम्बोधन करने के शब्द , आदि भी इसी के साथ नीचे लिख दिए जाते है तथा इनके लिखने में विराम - चिन्हों का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। पत्र के अंत में पत्र - प्रेषक अपना नाम या हस्ताक्षर भी बाईं तरफ ही डालता है। यह विधि यद्यपि कुछ अटपटी - सी प्रतीत होती है , फिर भी बहुधा लोग इसे अपनाना बेहतर मानते है।
- परंपरागत पुरानी विधि के अनुसार पत्र - प्रेषक का पता तथा पत्र लिखने की तिथि दोनों ही दाईं तरफ के ऊपरी कोने में लिखे जाते है और प्राप्तकर्ता को सम्बोधित करने सम्बन्धी शब्द बाईं तरफ नीचे को हटा कर लिखे जाते है। पत्र - प्रेषक अपना नाम या हस्ताक्षर , आदि भी पत्र के अंत में दाईं तरफ हटा कर डालता है। तथा इन सब के लिखने में विराम - चिन्हों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
- विद्यार्थी को पत्र लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह नई या पुरानी, किसी भी विधि का प्रयोग कर सकता है। किन्तु इन दोनों को किसी भी हालत में एक - दूसरी से मिला कर न लिखें। ऐसा करने से अंक काटे जा सकते है।
- Important Official Letters
- Important Personal Letters
- Important Business Letters