Letter Writing Class 10 English

 Class 10 Letter Writing with Examples

Different Parts of A Letter - The Heading, The Saluation, The Body, The Ending

परीक्षा - पत्र में निम्नलिखित प्रकार के पत्र पूछे जा सकते है -

  1. Personal letters to friends and relatives
  2. Official letters
  3. Business letters

Different Parts Of A Letter

किसी पत्र के निम्नलिखित चार भाग होते है :

  1. The Heading
  2. The Salutation
  3. The Body
  4. The Ending

1. The Heading :

इसमें पत्र - प्रेषक का अपना पता तथा पत्र लिखने की तिथि को अंकित किया जाता है :

U 63, Pitam Pura,
Vishakha Enclave, Delhi.
6 January, 2022.

पत्र - प्रेषक का पता पत्र के सबसे ऊपर दाएं कोने में लिखा जाता है। इसमें पत्र - प्रेषक को अपना नाम नहीं लिखना चाहिए। 

पता के विभिन्न भागों का क्रम इस प्रकार होना चाहिए :

(1) मकान नंबर (2) गली मोहल्ले / गाँव का नाम (3) पिन कोड सहित नगर एवं राज्य का नाम। 

तिथि तथा पता लिखते समय विराम - चिन्हों का विशेष ध्यान रखिए। 

प्रत्येक पंक्ति के अंत में comma लगाया जाता है , किन्तु अंतिम पंक्ति के साथ Full stop लगाया जाता है। 

2. The Salutation :

पत्र के इस भाग में कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करके उस व्यक्ति को सम्बोधित किया जाता है जिसे पत्र लिखा जा रहा है। अति घनिष्ठ सम्बन्धियों अथवा मित्रों के लिए My dear ..........., अथवा केवल Dear ........., शब्द का प्रयोग किया जा सकता है ; जैसे -

My dear Ashok, My dear Sunita, My dear Father, अथवा Dear Vijay, Dear Misha, Dear Uncle, आदि। 

परिचित व्यक्तियों, जो अधिक घनिष्ठ न हो, के नामों से पूर्व निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है :

किसी पुरुष के नाम के साथ Mr
किसी छोटे बालक के नाम के साथ Master
किसी विवाहित स्त्री के नाम के साथ Mrs
किसी अविवाहित लड़की / स्त्री के नाम के साथ Miss
Miss अथवा Mrs के स्थान पर एक ही शब्द Ms का प्रयोग भी किया जा सकता है। 

3. The Body :

पत्र का यह मुख्य भाग होता है और इसमें पत्र की विषय - वस्तु सम्बन्धी बातें लिखी जाती है। पत्र का यह भाग लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखिए -
  • पत्र की भाषा व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होनी चाहिए और अर्थ की दृष्टि से स्पष्ट होनी चाहिए। 
  • पत्र में उत्तम - पुरुष सर्वनाम 'I' का कम से कम प्रयोग किया जाना चाहिए क्योंकि 'I' के अत्यधिक प्रयोग से अहंकार और आत्मश्लाघा का आभास होने लगता है। 
  • अपनी बात को सीधे और प्रत्यक्ष रूप से कहिए। लम्बे तथा उलझे हुए वाक्यों का प्रयोग मत कीजिए। 
  • यदि आवश्यकता हो तो पत्र को छोटे - छोटे परिच्छेदों के रूप में बांट कर लिखिए। इससे प्राप्तकर्ता को आपकी बात के सभी पक्ष अधिक आसानी से समझ आ जाएंगे। 
  • जहाँ तक हो सके , अपने पत्र में कटु शब्दों का प्रयोग मत कीजिए। आपके लेख में अशिष्टता का प्रतिबिम्ब कभी नहीं होना चाहिए। 
4. The Ending :

पत्र की समाप्ति करते समय निम्लिखित बातों का ध्यान रखिए -

(i) खून का सम्बन्ध रखने वाले व्यक्तियों के लिए निम्नलिखित प्रकार के शब्दों का प्रयोग कीजिए - Yours affectionately, Your affectionate son, आदि। 

(ii) घनिष्ठ मित्रों के लिए निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग किया जाता है - Yours sincerely, Yours ever, Yours always, Yours very sincerely, Yours most sincerely आदि। 
अति घनिष्ठ मित्रों के लिए Yours affextionately का भी प्रयोग किया जा सकता है। 

(iii) जो व्यक्ति परिचित हो , किन्तु अधिक घनिष्ठ न हो , उनके लिए निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग किया जाता है - Yours faithfully, Yours truly, Yours very truly, आदि। 

(iv) सरकारी अधिकारियों के लिए निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग किया जाता है - Yours respectfully, Yours faithfully, आदि। 

(v) एक विद्यार्थी अपने अध्यापक , मुख्याध्यापक / प्रधानाचार्य के लिए निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग कर सकता है - Yours obediently, Your most obedient pupil, आदि। 

पत्र - लेखन के सम्बन्ध में ध्यान रखने योग्य कुछ आवश्यक बातें :-

  1. परीक्षा - पत्र में प्रायः प्रेषक (sender) और प्राप्तकर्ता (addressee) का नाम और पता दिया जाता है। विद्यार्थियों को इसी नाम और पते का प्रयोग करते हुए अपना पत्र लिखना चाहिए। किसी अन्य काल्पनिक अथवा वास्तविक नाम / पते का प्रयोग करने से अंक काट लिए जाते है। 
  2. पत्र की लम्बाई उतनी ही होनी चाहिए जितनी परीक्षा - पत्र में वांछित हो। इसलिए अपनी बात को संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट ढंग से लिखिए। व्यर्थ और असंगत बातें लिख कर पत्र को लम्बा करने का यत्न कभी मत कीजिए। 
  3. पत्र के प्रत्येक भाग - heading, salutation और ending - के लिए पृथक अंक निश्चित होते है। इसलिए विद्यार्थियों को उन्हें लिखने में अति सावधानी बरतनी चाहिए , और विराम - चिन्हों का ठीक प्रयोग करना चाहिए। 
  4. पत्र लिखने के बाद इसे पुनः पढ़िए , और पहले रह गई अशुद्धियों को ठीक कर लीजिए। 
  5. आजकल पत्र - लेखन के सम्बन्ध में एक नई विधि को अपनाना शुरू कर दिया गया है , यद्यपि भाषा - विज्ञान की दृष्टि से इसका कोई आधार नहीं है। 
  6. नई विधि के अनुसार पत्र - प्रेषक का पता तथा तिथि ऊपरी दाएं कोने में लिखने की बजाए बाएं कोने में लिख दिए जाते है , और प्राप्तकर्ता का नाम , पता तथा सम्बोधन करने के शब्द , आदि भी इसी के साथ नीचे लिख दिए जाते है तथा इनके लिखने में विराम - चिन्हों का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। पत्र के अंत में पत्र - प्रेषक  अपना नाम या हस्ताक्षर भी बाईं तरफ ही डालता है। यह विधि यद्यपि कुछ अटपटी - सी प्रतीत होती है , फिर भी बहुधा लोग इसे अपनाना बेहतर मानते है। 
  7. परंपरागत पुरानी विधि के अनुसार पत्र - प्रेषक का पता तथा पत्र लिखने की तिथि दोनों ही दाईं तरफ के ऊपरी कोने में लिखे जाते है और प्राप्तकर्ता को सम्बोधित करने सम्बन्धी शब्द बाईं तरफ नीचे को हटा कर लिखे जाते है। पत्र - प्रेषक अपना नाम या हस्ताक्षर , आदि भी  पत्र के अंत में दाईं  तरफ हटा कर डालता है। तथा इन सब के लिखने में विराम - चिन्हों का विशेष ध्यान रखा जाता है। 
  8. विद्यार्थी को पत्र लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह नई या पुरानी, किसी भी विधि का प्रयोग कर सकता है। किन्तु इन दोनों को किसी भी हालत में एक - दूसरी से मिला कर न लिखें। ऐसा करने से अंक काटे जा सकते है। 
अब नीचे कुछ Letters के उदाहरण दिए गए है। आप लिंक पर क्लिक करके अध्यन कर सकते है :