कवि - परिचय (केदारनाथ अग्रवाल)
आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि केदारनाथ अग्रवाल का जन्म 1911 सन में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हुआ था। इन्होने इलाहाबाद से बी.ए. तथा आगरा से कानून की पढाई की।
इन्हें नियमित कविता लिखने की प्रेरणा 'हरिऔध' तथा 'रसाल' जैसे कवियों की संगति तथा प्रभाव से प्राप्त हुई। 'नींद के बादल', 'युग की गंगा', 'लोक तथा आलोक' इनके काव्य - संग्रह है।
केदारनाथ अग्रवाल ने प्रगतिवाद को बढ़ावा दिया। इन्होंने मुक्त छंद और गीति छंद का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है।
कविता - परिचय (वह चिड़िया जो)
प्रस्तुत कविता एक नीले पंखों वाली सुन्दर चिड़िया के विषय में है। यह चिड़िया जुंडी के दानों को रूचि से खाती है। यह मधुर स्वर में गाती हुई जंगल में इधर - उधर उड़ती रहती है। यह नदी के जल से अपनी प्यास बुझाती है। इसके नीले पंख अत्यंत सुन्दर है। इसे अनाज के दानों, जंगल , बाग़ - बगीचे और नदी से बहुत प्यार है। यह छोटी , संतोषी लेकिन गर्वीली चिड़िया है।
काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या तथा अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
1. वह चिड़िया ......................... बहुत प्यार है।
शब्दार्थ :
- रूचि - इच्छा , पसंद।
- संतोषी - संतोष रखने वाली।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य - पुस्तक वसंत भाग - 1 की 'वह चिड़िया जो' नामक कविता से ली गई है। इसके रचयिता श्री केदारनाथ अग्रवाल है।
कवि ने इन पंक्तियों में नीले पंखों वाली चिड़िया के अन्न के दानों से प्यार तथा संतोषी स्वभाव के बारे में बताया है।
व्याख्या - कवि कहता है कि वह चिड़िया जिसके पंख नीले है, वह अपनी चोंच से जुंडी (ज्वार) के दूध से भरे दाने रूचि से खाती है। उसे इन दूध - युक्त दानों का स्वाद बहुत पसंद है। वह चिड़िया छोटी और संतोष करने वाली है। उसे अनाज के दाने अत्यंत प्रिय है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर :
कवि - केदारनाथ अग्रवाल , कविता - वह चिड़िया जो।
प्रश्न 2. कवि चिड़िया के किन गुणों को दर्शाता है ?
उत्तर :
कवि कहता है कि चिड़िया के पंख नीले रंग के है। वह छोटी है और संतोष करने वाली है।
प्रश्न 3 . चिड़िया रूचि से क्या खाती है ?
उत्तर :
चिड़िया रूचि से ज्वार के दूध भरे दाने खाती है , उसे अनाज अत्यंत प्रिय है।
प्रश्न 4. 'रूचि' तथा 'संतोषी' शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर :
रूचि - इच्छा , पसंद , संतोषी - संतोष रखने वाली।
2. वह चिड़िया .............. बहुत प्यार है।
शब्दार्थ :
- कंठ - गला
- खातिर - के लिए , हेतु।
- रस उँडेल कर गाना - बहुत मीठी आवाज में गाना
- विजन - एकांत।
प्रसंग - कवि इन पंक्तियों में चिड़िया द्वारा मुक्त कंठ से मधुर स्वर में गाने तथा आकाश में मुक्त रूप से उड़ने का वर्णन कर रहा है।
व्याख्या - कवि कहता है कि वह चिड़िया मुक्त कंठ से बहुत ही मधुर स्वर में गाती है , जिससे जंगल में रहने वाले लोगों को ख़ुशी मिलती है। वह छोटी - सी मुँह बोली चिड़िया है , जिसके नीले पंख अत्यंत सुन्दर है। वह आसमान में मधुर गीत गाते हुए स्वतंत्र रूप से उड़ती है। उसे एकांत से प्यार है , अर्थात उसे स्वतंत्रता से बहुत लगाव है।
अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर :
कवि - केदारनाथ अग्रवाल , कविता - वह चिड़िया जो।
प्रश्न 2. चिड़िया के गाने का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
चिड़िया के मधुर स्वर में गाने से जंगल में रहने वाले लोगों को ख़ुशी मिलती है।
प्रश्न 3. चिड़िया को क्या प्रिय है ?
उत्तर :
चिड़िया को मधुर स्वर में गीत गाते हुए स्वतंत्र रूप से उड़ना प्रिय है।
प्रश्न 4. प्रस्तुत पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों में चिड़िया द्वारा मुक्त कंठ से मधुर स्वर में गाने का वर्णन किया गया है। साथ ही बताया गया है कि चिड़िया को एकांत तथा स्वतंत्रता से बहुत लगाव है।
प्रश्न 5. 'रस उँडेल कर गाना' तथा 'विजन' शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर :
रस उँडेल कर गाना - बहुत मीठी आवाज में गाना, विजन - एकांत।
3. वह चिड़िया .................. बहुत प्यार है।
शब्दार्थ :
- चढ़ी - नदी - वह नदी जिसमें किनारों तक लबालब पानी भरा हो।
- टटोल कर - खोजकर।
- दिल टटोलना - क्षमता का अनुमान लगाना।
- गरबीली - गर्व से युक्त , गर्व करने वाली।
प्रसंग - कवि इन पंक्तियों में छोटी गर्वीली चिड़िया द्वारा नदी का जल पीने अर्थात स्वतंत्रता से खाने - पीने का वर्णन कर रहा है।
व्याख्या - कवि कहता है कि चिड़िया अपनी चोंच से उस नदी का पानी लाती है , जिसमे जल किनारों तक लबालब भरा है। उस अथाह जल राशि में जल का मोती ले आती है , अर्थात जल मोती जैसा अमूल्य है क्योंकि उससे चिड़िया अपनी प्यास बुझती है। चिड़िया नदी में अथाह जलराशि का अनुमान भी लगाती है। वह छोटी तथा गर्व करने वाली चिड़िया है , क्योंकि उसके नीले पंख अत्यंत सुन्दर है। चिड़िया को नदी से बहुत प्यार है , अर्थात वह बहती नदी का पानी स्वतंत्रतापूर्वक पीना चाहती है।
अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर :
कवि - केदारनाथ अग्रवाल , कविता - वह चिड़िया जो।
प्रश्न 2. चिड़िया अपनी चोंच से किस नदी का पानी लाती है ?
उत्तर :
चिड़िया अपनी चोंच से उस नदी का पानी लाती है जिसमे जल किनारों तक लबालब भरा है।
प्रश्न 3. 'चढ़ी नदी का दिल टटोलकर, जल का मोती ले जाती है' का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
स्वतंत्रत होने के कारण चिड़िया वन, उपवन , पर्वत , नदी आदि स्थानों पर कहीं भी जा सकती है। वह लबालब भरी नदी की अथाह जलराशि का अनुमान लगाती है और उस जलराशि में से जल का मोती लाती है। अर्थात उस पानी से चिड़िया अपनी प्यास बुझाती है , इसलिए पानी मोती के समान अमूल्य है।
प्रश्न 4. 'टटोलकर' तथा 'गरबीली' शब्दों का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
टटोलकर - खोजकर , गरबीली - गर्व से युक्त।