लोकगीत : पाठ 14 हिंदी वसंत कक्षा 6 | Extra Question with Answers

 Extra Question - Answer : लोकगीत

Extra Questions with Answers Lokgeet Ch 14 Class 6 Hindi Vasant

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. लोकगीत शास्त्रीय संगीत से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर :

लोकगीत अपनी लोच , ताज़गी और लोकप्रियता के कारण शास्त्रीय संगीत से भिन्न है। 

प्रश्न 2. लोकगीतों की सफलता का क्या कारण है ?

उत्तर :

लोकगीतों की सरल व आसानी से समझ आने वाली भाषा ही इनकी लोकप्रियता का कारण है। 

प्रश्न 3. होली के अवसर पर ब्रज में कौन - सा लोकगीत गाया जाता है ?

उत्तर :

होली के अवसर पर ब्रज में रसिया गाया जाता है। जिसे दल के दल पुरुष व स्त्रियाँ मिलकर गाते है। 

प्रश्न 4. विद्यापति के गीत किस बोली में गाये जाते है ?

उत्तर :

विद्यापति के गीत पूरब की बोलियों में गाये जाते है। 

प्रश्न 5. गुजरात के दलीय गायन का नाम लिखिए ?

उत्तर :

गुजरात के दलीय गायन का नाम गरबा है। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. लोकगीतों की कोई छः विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर :

लोकगीतों की छः विशेषताएँ निम्नलिखित है :

  1. लोकगीत सीधे जनता के संगीत है। 
  2. ये घर , गाँव और नगर की जनता के संगीत है। 
  3. इनके लिए साधना की जरुरत नहीं होती। 
  4. ये त्योहारों और विशेष अवसरों पर गाये जाते है। 
  5. इनके रचने वाले भी अधिकतर गाँव के ही लोग है। 
  6. ये गीत साधारण ढोलक , आम करताल और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते है। 
प्रश्न 2. आदिवासियों के लोकगीतों का संगीत किन प्रदेशों में तथा किस प्रकार फैला हुआ है ?

उत्तर :

आदिवासियों के लोकगीतों का संगीत मध्य प्रदेश , दक्कन , छोटा नागपुर , आदि स्थलों पर फैला हुआ है। आदिवासियों के संगीत भरे गीत बड़े - बड़े दलों में गाये जाते है। बीस - तीस आदमियों और औरतों के दल एक साथ या एक - दूसरे के जवाब में इन्हें गाते है। 

प्रश्न 3. विभिन्न प्रदेशों में गाये जाने वाले लोकगीतों के नाम लिखिए। 

उत्तर :

मिर्जापुर में चैता , कजरी , बारहमासा आदि। 

बंगाल में बाउल , भतियाली आदि। 

पंजाब में हीर राँझा , सोहनी महिवाल आदि। 

राजस्थान में ढोला मारु आदि। 

प्रश्न 4. आल्हा के लोकप्रिय लोकगीतों पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर :

आल्हा के गीत अधिकतर बुंदेलखंडी में गाये जाते है। इनका आरम्भ चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है। उन्होंने आल्हा - ऊदल की वीरता का बखान अपने महाकाव्य में किया। उसके छंदों को दूसरे देहाती कवियों ने जनबोली में उतारा। इन्हे गाने वाले गाँव - गाँव ढोलक लिए गाते - फिरते है। इनमे उन गीतों का भी स्थान है जिन्हे नट रस्सियों पर चलते हुए गाते है।  

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