वीरेन डंगवाल : पाठ - 7, हिंदी (स्पर्श) कक्षा 10 - NCERT Solution

 NCERT Solution for Class 10 Hindi

Viren Dangwal : NCERT Solution for Class 10 Hindi Sparsh
Viren Dangwal

प्रश्न - अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

1. विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल क्यों होती है ? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर :

विरासत में मिली चीजें हमें हमारे पूर्वजों की , पूर्व अनुभवों की और पुरानी परंपराओं की याद दिलाती हैं। नई पीढ़ी उनके बारे में जाने , उनके अनुभवों से कुछ सीखे और उनकी बनाई हुई श्रेष्ठ परंपराओं का पालन करे - इसी उद्देश्य से विरासत में मिली चीजों को सँवार - सँभाल कर रखा जाता है। 

2. इस कविता में आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है ?

उत्तर :

इस कविता में हमें तोप के बारे में यह जानकारी मिलती है कि 1857 के स्वतंत्रता - संघर्ष में ये तोपें चली थी। तब ईस्ट इंडिया कंपनी के गोरे शासकों ने भारतीय क्रांतिकारियों को दबाने के लिए इनका उपयोग किया था। इन तोपों ने न जाने कितने सारे शूरवीरों को मार डाला था। परन्तु भारतीय वीर माने नहीं। कुछ वर्षों के लिए आंदोलन ठंडा जरूर पड़ गया। किन्तु एक दिन पूरा देश उठ खड़ा हुआ। उन्होंने अहिंसात्मक आंदोलन से अंग्रेजों को देश से बाहर निकाल दिया। तब उनकी तोपों को मौन होना पड़ा। 

3. कंपनी बाग़ में रखी तोप क्या सीख देती है ?

उत्तर :

कंपनी बाग़ में रखी तोप यह  सन्देश देती है कि राक्षसी शक्ति , तोप - गोले , बम - बारूद चाहे कितने भी विनाशकारी हों , वे मानव के विरोध के सामने टिक नहीं सकते। आख़िरकार मनुष्य की जाग्रत शक्ति विजय होती है। 

यह तोप हमें यह भी बताती है कि जिस ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में कंपनी बाग़ बनाए थे , उन्होंने तोपें भी चलाई थी। अतः विदेशी कंपनियों के ललचाऊ आकर्षणों से सावधान रहना। उनके इरादे बहुत खतरनाक हो सकते है।

4. कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर कौन - से होंगे ?

उत्तर :

भारत की स्वतंत्रता के दो सबसे बड़े त्योहार हैं - 15 अगस्त और 26 जनवरी। पंद्रह अगस्त को भारत स्वाधीन हुआ था। हमने अंग्रेजों को देश से बाहर निकाल दिया था। 26 जनवरी को देश में भारतीय संविधान लागू हुआ था। इन्हीं दोनों अवसरों पर तोप और कंपनी बाग़ को चमकाया जाता होगा। 

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -

1. अब तो बहरहाल 
     छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो 
     तो उसके ऊपर बैठकर 
     चिड़ियाँ ही अक्सर करती है गपशप। 

उत्तर :

1857 के स्वतंत्रता - संघर्ष को दबाने के लिए जिस तोप ने जबरदस्त गोले चलाए थे। जिसने बहुत सारे शूरवीरों की धज्जियाँ उड़ा डाली थीं , उसका मुँह भी आखिरकार एक दिन बंद हो गया। उसकी राक्षसी शक्ति मौन हो गई। हमारे विद्रोह ने उन्हें परास्त कर दिया। अब तो उस तोप को खिलौने के रूप में प्रयोग किया जाता है। यहाँ तक कि बच्चे उस पर घुड़सवारी का मजा लूटते है। चिड़ियाँ उस पर बैठकर गपशप करती है। आशय यह है कि तोपों का भय क्षणिक होता है। 

2. वे बताती है कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप 
     एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद। 

उत्तर :

1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में काम आई तोप कितनी भी भयंकर रही हो , किन्तु आज उसका मुँह बंद हो चुका है। भारतीय शूरवीरों ने आज़ादी का आंदोलन चलाकर तोप को झुकने के लिए मजबूर कर दिया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि जबरदस्ती बल - प्रयोग करना कभी कारगर नहीं होता। अतः हथियारों का प्रयोग बंद होना चाहिए। 

3. उड़ा दिए थे मैंने 
    अच्छे - अच्छे सूरमाओं के धज्जे। 

उत्तर :

1857 के स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए जो तोप चली थी , उसने भारत के बड़े - बड़े शूरवीरों की धज्जियाँ उड़ा दी थी। कितने ही क्रांतिकारियों को क्रूरतापूर्वक मार डाला था। 

भाषा अध्यन 

1. कवि ने इस कविता में शब्दों का सटीक और बेहतरीन प्रयोग किया है। इसकी एक पंक्ति देखिए 'धर रखी गई है यह 1857 की तोप। ' 'धर' शब्द देशज है और कवि ने इसका कई अर्थों में प्रयोग किया है। 'रखना' , 'धरोहर' और 'संचय' के रूप में। 

उत्तर :

छात्र ध्यानपूर्वक अध्यन करें। 

2. 'तोप' शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपांतरण कीजिए। 

उत्तर :

कंपनी बाग़ के मुहाने पर 1857 की तोप को धरोहर के रूप में रखा गया है। जिस प्रकार विरासत में मिले कंपनी बाग़ को सँभालकर रखा जाता है , उसी प्रकार इस तोप को भी  साल में दो - बार चमकाया जाता है। सुबह - शाम घूमने आने वाले सैलानी इसे देखते है। यह तोप उन्हें बताती है कि 1857 के स्वतंत्रता - संग्राम में मैं बड़ी जबरदस्त थी। मैंने कितने ही शूरवीरों की धज्जियाँ उड़ा दी थी। 

परन्तु आज स्थिति भिन्न है। आज तो इस पर बैठकर छोटे लड़के घुड़सवारी का आनंद लूटते है। या फिर चिड़ियाँ इस पर बैठकर गपशप करती है। कभी - कभी गोरैये शरारत करते हुए इसके मुँह में घुस जाते है। मानो वे बताते है कि तोप चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो , एक दिन उसका मुँह बंद होकर रहता है। 

Previous Post Next Post