पद्य खंड : बिहारी
प्रश्न - अभ्यास
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
1. छाया भी कब छाया ढूँढने लगती है ?
उत्तर :
जेठ की दोपहरी में जब सूरज बिलकुल सिर के ऊपर आ जाता है तो छायाएँ सिकुड़कर वस्तुओं के नीचे दुबक जाती है। छाया भी मानो छाया के लिए तरसने लगती है। इसलिए वह घने जंगलों को अपना घर बनाकर उसी में प्रवेश कर जाती है और दोपहर में बाहर नहीं निकलती।
2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है 'कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात' - स्पष्ट कीजिये।
उत्तर :
बिहारी की नायिका को विश्वास है कि प्रेम दोनों ओर से है। जैसा प्रेम उसके मन में है , वैसा ही प्रेम प्रेमी के हृदय में भी है। इसलिए वह प्रेमी से कहती है वह अपने हृदय की धड़कनों से जान ले कि नायिका के मन में उसके प्रति इतनी ही चाह है।
3. सच्चे मन में राम बसते है - दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बिहारी कहते है - राम अर्थात प्रभु उन लोगों के मन में बसते है जिनकी भक्ति सच्ची होती है। जपमाला , छापा , तिलक आदि बाहरी दिखावा करने वालों को कुछ प्राप्त नहीं होता।
4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती है ?
उत्तर :
गोपियाँ बतरस के लालच में कृष्ण की बाँसुरी छिपा लेती है। वे नटखट कृष्ण से प्रेम - भरे बातें करना चाहती है। इस उद्देश्य से वे जानबूझकर कृष्ण की बाँसुरी छिपा लेती है , ताकि इसी बहाने वे उनसे बातें करें।
5. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है , इसका वर्णन किस प्रकार किया है ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
बिहारी ने बताया है कि सभी की उपस्थिति में भी मन की बात आँखों के इशारे से की जा सकती है। नायक ने सब सदस्यों के बीच में नायिका को आँखों से इशारा किया है कि चलें , प्रेम करें। नायिका ने इशारे से मना किया। नायक उसकी मना करने की अदा पर रीझ गया। नायिका नायक की रीझ देखकर खीज उठी। इसके बाद दोनों के नेत्र मिले। दोनों की आँखों में प्रेम की स्वीकृति का भाव था। स्वीकृति पाकर नायक प्रसन्न हो उठा। नायिका की आँखों में लज्जा आ गई।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -
1. मनौ नीलमनि - सैल पर आतपु परयौ प्रभात।
उत्तर :
कृष्ण के नीले शरीर पर पीले वस्त्र ऐसे सज रहे है मानो नीलमणि पर्वत पर प्रातःकालीन धूप खिल उठी हो। यह सम्भावना और कल्पना रंग - रूप और चमक की समानता के कारण बहुत सुन्दर बन पड़ी है।
2. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ - दाघ निदाध।
उत्तर :
ग्रीष्म ऋतू की भीषण गर्मी ने जंगल को मानो तपोवन जैसा पवित्र बना दिया है। अब यहाँ हिंसा नहीं रही। आपसी सौहार्द और मित्रता का भाव सबमे पनप गया। शेर और हिरण , सांप और मोर जैसे कट्टर शत्रु भी समान रूप से बिना एक - दूसरे पर आक्रमण किए गर्मी सहन कर रहे है।
उत्तर :
बिहारी कहते है - जप करने की माला हाथ में लेकर जप करने से , सारे शरीर पर चन्दन का छाप लगाने से अथवा माथे पर तिलक लगाने से एक भी काम नहीं निकलता। आशय यह है कि ये सब बाहरी दिखावे है। इनसे प्रभु - प्राप्ति नहीं हो सकती। केवल अधूरी भक्ति वाले अपरिपक्व लोग ही इन व्यर्थ के कर्मकांडों में लगे रहते है। जबकि ये है व्यर्थ के नृत्य। राम तो सच्ची भक्ति देखकर ही प्रसन्न होते है।
योग्यता विस्तार
अध्यपक की मदद से बिहारी विषयक इस दोहे को समझने का प्रयास करें। इस दोहे से बिहारी की भाषा संबंधी किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर :
इस दोहे से बिहारी की संक्षिप्तता , सारगर्भिता और गागर में सागर भरने की विशेषता का बोध होता है। बिहारी बड़ी से बड़ी बात को दोहे के थोड़े - से शब्दों में कह देने में कुशल है। आश्चर्य की बात यह है कि कई दोहों में एक नहीं आठ - आठ वाक्य है और सभी सधे हुए है। एक दोहा देखिए -
इस दोहे में नायिका - नायक की इतनी लम्बी वार्ता भरे - पूरे परिवार में हो जाती है। यह काला बिहारी की सबसे बड़ी विशेषता है।
बिहारी की दूसरी बड़ी विशेषता है - अलंकार - प्रयोग। वे उपमा , उत्प्रेक्षा , रूपक , उदाहरण , दृष्टांत , अनुप्रास , श्लेष आदि अलंकारों का प्रयोग करने में कुशल है।
परियोजना कार्य
1. बिहारी कवि के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिये और परियोजना पुस्तिका में लगाइए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।