NCERT Solution for Class 8 Hindi भारत की खोज

 NCERT Solution : कक्षा 8 , हिंदी - भारत की खोज 

प्रश्न - अभ्यास 

1. 'आखिर यह भारत है क्या ? अतीत  में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था ? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया ? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है ? विशाल जनसँख्या का बसेरा होने के आलावा क्या आज उसके पास ऐसा बचा है जिसे जानदार कहा जा सके ?'

ये प्रश्न अध्याय दो के शरुआती हिस्से से लिए गए है ? अब तक आप पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्नो के क्या उत्तर हो सकते है ? जो कुछ आपने पढ़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए। 

उत्तर :

भारत एक प्राचीन देश है। सदियों से यह विश्व का श्रेष्ठ गुरु रहा है। यह एक ऐसी संस्कृति का पुंज है जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है। इतिहास के लम्बे दौर में यह अलग - थलग नहीं रहा तथा विश्व के अन्य देशों के संपर्क में रहा। इसमें अमीर - गरीब , उच्च - निम्न , पढ़े - लिखे , अनपढ़ सभी प्रकार के लोग है। यह देश विभिन्न आक्रमणों तथा विद्रोहों के बाद भी निरंतर बना रहा तथा विकास करता रहा। 

अतीत में भारत दूसरी संस्कृतियों का स्वागत करके उन्हें आत्मसात कर लेता था। यह बाहर से आने वाली विभिन्न जाति समूहों को यहाँ स्थान देता था। उनकी विशेषताओं को अपने में धारण करता था अपने गुण उन्हें प्रदान करता था। इसकी प्रमुख विशेषता थी कि ये बाहरी संस्कृतियों को अपने में आसानी से समाहित कर लेता था। 

भारत ने लगातार होने वाले आक्रमणों तथा विद्रोहों के कारण अपनी शक्ति खो दिया। लम्बे समय तक की पराधीनता के कारण भी इसकी शक्ति का हांस हुआ। लेकिन भारत ने इस शक्ति को पूरी तरह नहीं खोया। बल्कि यह भविष्य में विकास के उद्देश्य से पुनः अपनी शक्ति को एकत्रित कर रहा है। 

विशाल जनसँख्या का बसेरा होने के अलावा भारत में कई ऐसी विशेषाएँ है जिन्हे जानदार कहा जा सकता है। जैसे - भारत की प्राचीन संस्कृति , रीति - रिवाज़ , मान्यताएँ , विभिन्न धर्म , जातियाँ , महापुरुषों के उच्च विचार , आपसी सहयोग , एकता , विविधताओं में एकता , अखंडता , विकास के लिए निरंतर प्रयास , धर्मनिरपेक्षता तथा लोकतंत्र पर आधारित शासन प्रणाली। 

 2.  आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था ?

उत्तर :

भारत की शक्ति के स्त्रोतों और उसके पतन के कारणों की खोज लम्बी है। पर उसके पतन के हाल के कारण पर्याप्त स्पष्ट है। भारत तकनीक की दौड़ में पिछड़ गया और यूरोप जो तमाम बातों में एक जमाने में पिछड़ा हुआ था , तकनीकी प्रगति के मामले में आगे निकल गया। इस तकनीकी विकास के पीछे विज्ञान की चेतना थी तथा उत्साह की मानसिकता थी जिसकी भारत में कमी थी। वही नई तकनीकों ने पश्चिमी यूरोप के देशों को सैनिक बल दिया और उनके लिए अपना विस्तार करके पूरब पर अधिकार करना आसान हो गया। 

3. नेहरू जी ने कहा कि - "मेरे ख्याल से , हम सबके मन में अपनी मातृभूमि की अलग - अलग तस्वीरें है और कोई दो आदमी बिलकुल एक जैसा नहीं सोच सकते। " अब आप बताइये कि -

(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तस्वीर है ?

(ख) अपने साथियों में चर्चा करके पता करो कि उनकी मातृभूमि की तस्वीर कैसी है और आपकी उनकी तस्वीर (मातृभूमि की छवि) में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ है ?

उत्तर :

(क) हमारे मन में मातृभूमि की बहुत ही सुन्दर छवि है। हम यहाँ के मैदानों और उन पर बसे अनगिनत छोटे - बड़े गाँवों के बारे में तस्वीर बनाते है। साथ ही हम यहाँ की वर्षा ऋतू की मनभावन बरसात , ग्रीष्म ऋतू में झुलसती धरती , यहाँ बहने वाली विशाल नदियों , यहाँ पड़ने वाली भीषण सर्दी , भारत के उत्तरी - दक्षिणी - पूर्वी तथा पश्चिमी छोरों , बर्फ से ढके हिमालय पर्वत , बसंत ऋतू के अद्भुत सौंदर्य , कश्मीर के रूप में धरती के स्वर्ग , रंग - बिरंगे फूलों से भरे बागों तथा कलकल बहते झरनों की तस्वीर भी अपने मन में बनाते है। 

(ख) हमारे अधिकांश साथियों की मातृभूमि की तस्वीर हमारी तस्वीर जैसी ही है। जहाँ हम भारत के विभिन्न भागों , ऋतुओं और परिवर्तनों के बारे में सोचते है। वही हमारे अधिकांश साथी भी ऐसा ही सोचते है। हमारी तस्वीरों में यही समानता है। वही हमारे कुछ साथी भारत के विकास के विषय में भी तस्वीर बनाते है जो हमारी तस्वीर से भिन्न है। 

4. जवाहरलाल नेहरू ने कहा , "यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर - बेला में ही हमें एक नन्हे बच्चे की तरह नहीं , बल्कि रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है। " उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस सन्दर्भ में कहा है ?

उत्तर :

नेहरू जी ने कहा कि यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर - बेला में ही हमें एक नन्हें बच्चे की तरह नहीं , बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है क्योंकि वह जीवन के तौर - तरीकों से अपरिचित नहीं है। उसने कलाओं और जीवन की सुख - सुविधाओं में उल्लेखनीय तकनीकी प्रगति कर ली है। उसने केवल सुन्दर वस्तुओं का सृजन ही नहीं किया बल्कि आधुनिक सभ्यता के उपयोगी तथा ज्यादा ठेठ चिन्हों , अच्छे हमामों और नालियों के तंत्र का निर्माण भी किया है। 

यह बात सिंधु घाटी की सभ्यता के वर्णन के सन्दर्भ में कही गई है। 

5. सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के बारे में अनेक विद्वानों के कई मत है। आपके अनुसार इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा , तर्क सहित लिखिए। 

उत्तर :

सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के बारे में अनेक विद्वानों ने कई मत दिए है। कुछ लोगों का कहना है कि उसका अंत अकस्मात किसी ऐसी दुर्घटना से हो गया , जिसकी कोई व्याख्या नहीं मिलती। सिंधु नदी अपनी भयंकर बाढ़ों के लिए प्रसिद्द है , जो नगरों और गाँवों को बहा ले जाती है। यह भी संभव है कि मौसम के परिवर्तन से धीरे - धीरे ज़मीन सूखती गई हो और खेतों पर रेगिस्तान छा गया हो। 

हमारे अनुसार शायद इस सभ्यता का अंत बाहरी आक्रमणों के कारण हुआ होगा क्योंकि यह सभ्यता शांतिप्रिय थी तथा युद्ध में विश्वास नहीं रखती थी। इसका प्रमाण यही है कि यहाँ किसी प्रकार के हथियार नहीं मिले है। वही इस समय आर्यों ने भारत में प्रवेश कर लिया था। वे अपने को यहाँ स्थापित करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने हमले भी किए होंगे तथा युद्ध का मार्ग भी अपनाया होगा। 

6. उपनिषदों में बार - बार कहा गया है कि - "शरीर स्वस्थ्य हो , मन स्वच्छ हो और तन - मन दोनों अनुशासन में रहें। " आप अपने दैनिक क्रिया - कलापों में इसे कितना लागु कर पाते है ? लिखिए। 

उत्तर :

उपनिषदों में बराबर इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि प्रगति करने के लिए जरुरी है कि शरीर स्वच्छ हो , मन स्वच्छ हो और तन मन दोनों अनुशासन में रहे। ज्ञानार्जन या किसी भी तरह की उपलब्धि के लिए संयम , नियम और आत्मत्याग जरूरी है। इसलिए हमें अनुशासन में रहना चाहिए। हम अपने दैनिक क्रिया - कलापों में इसे पूरी तरह लागू कर सकते है। हम अपने अधिकांश काम अनुशासित ढंग से करते है। साथ ही अपने तन मन को स्वच्छ रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करते है। प्रतिदिन सुबह की सैर करते है। रात को जल्दी सो जाते है और सुबह जल्दी उठ जाते है। 

7. नेहरू जी ने कहा कि - "इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए। " आपके अनुसार इतिहास लेखन में क्या - क्या शामिल किया जाना चाहिए है ? एक सूची बनाइए और उस पर कक्षा में अपने साथियों और अध्यापकों से चर्चा कीजिए। 

उत्तर :

हमारे अनुसार इतिहास लेखन में अभिलेखों , शिलालेखों , कलाकृतियों , और इमारतों के अवशेषों , सिक्कों , साहित्य की सामग्री , विदेशी यात्रियों के सफ़रनामों आदि को शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही परंपरागत वृतांतों , पौराणिक गाथाओं और कहानियों को भी आधार बनाया जा सकता है। वही सांस्कृतिक पृष्ठ्भूमि का भी ध्यान रखना चाहिए। इतिहास लेखन करते समय बीती घटनाओं , चरित्रों तथा महापुरुषों का विवेचन भी अनिवार्य है। वही वर्णन में तथ्यों का पूर्ण समावेश होना चाहिए। 

छात्र कक्षा में चर्चा करें। 

8. "हमें आरम्भ में ही एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत दिखाई पड़ती है जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है। "

आज की भारतीय संस्कृति की ऐसी कौन - कौन सी बातें / चीजें है जो हज़ारों साल पहले से चली आ रही है ? आपस में चर्चा करके पता लगाइए। 

उत्तर :

हमें आरम्भ में ही ऐसी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत दिखाई पड़ती है जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है। आज की संस्कृति की ऐसी कई बातें / चीजें है तो हज़ारों साल पहले से चली आ रही है। जैसे - साहित्य और दर्शन, कला और नाटक , संगीत , पुरानी मान्यताएँ तथा रीति - रिवाज़ , अध्यात्म सम्बन्धी मान्यताएँ , नीति सम्बन्धी विचार , त्यौहार , धर्म , आस्थाएँ , वेद , पुराण , उपनिषद , महाकाव्य , वृतांत मूर्तियाँ आदि। 

9. आपने पिछले साल (सातवीं कक्षा में) बाल महाभारत कथा  पढ़ी। भारत की खोज  में भी महाभारत  के सार को सूत्रबद्ध करने का प्रयास किया गया है - "दूसरों के साथ ऐसा आचरण नहीं करो जो तुम्हे खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो। " आप अपने साथियों से कैसे व्यव्हार की अपेक्षा करते है और स्वयं उनके प्रति कैसा व्यव्हार करते है ? चर्चा कीजिए। 

उत्तर :

भारत की खोज में महाभारत के सार को सूत्रबद्ध करने का प्रयास किया गया है कि , "दूसरों के साथ ऐसा आचरण नहीं करो जो तुम्हे खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो। " इसमें लोक - मंगल पर जो बल दिया गया है , वह ध्यान देने योग्य है। हम अपने साथियों से अच्छे व्यव्हार की अपेक्षा करते है। हम चाहते है कि हमारे सभी साथी सहयोग तथा एकता का भाव बनाकर रहे। वे हर स्थिति में एक - दूसरे का साथ दे तथा हमारे सच्चे और हितैषी मित्र बनकर रहे। हम स्वयं भी अपने साथियों के साथ ऐसा ही व्यव्हार करते है। हम अपने सभी साथियों के साथ ऐसा ही व्यव्हार करते है। हम अपने सभी साथियों का साथ हर परिस्थिति में देते है। वे हमें जो भी काम करने को कहते है , हम बिना किसी ना - नुकर के कर देते है। हम कभी भी अपने साथियों का दिल नहीं दुखाते है। 

10. प्राचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार द्वारा ज़मीन और उत्पादन पर 'कर' (tax) लगाया जाता रहा है। आजकल हम किन - किन वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते है , सूची बनाइए। 

उत्तर :

प्राचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार द्वारा जमीन और उत्पादन पर 'कर' लगाया जाता है। आजकल हम ज़मीन और उत्पादन के साथ - साथ कई अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं पर कर देते है। जैसे - आमदनी पर कर , उत्पादन पर कर , बिक्री पर कर , राजस्व पर कर , आयात - निर्यात पर कर , उपज कर , निवास स्थान पर कर , व्यापार सम्बन्धी कर , कई प्रकार की सेवाओं पर कर आदि। 

11. (क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रभाव के दो उदाहरण बताइए। 

(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन - कौन से प्रभाव देखे जा सकते है ? अपने साथियों के साथ मिलकर एक सूची बनाइए। 

(संकेत  - खान - पान , पहनावा , फ़िल्में , हिंदी , कंप्यूटर , टेलीमार्केटिंग आदि। )

उत्तर :

(क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कई प्रभाव पड़े। विदेशों से भारत में आने वाले यात्री यहाँ से भारत की संस्कृति की विशेषताओं को अपने साथ ले गए। जैसे - विदेशों में भारतीय जीवन में मिलने वाली खाने - पीने की कई चीजें मिलने लगी। साथ ही भारतीय कपड़ों का भी विदेशों में प्रचलन बढ़ा। 

(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कई प्रभाव देखे जा सकते है। जैसे आज विदेशों में भारत के विभिन्न पकवान तथा खान - पान की चीजें मिलती है। भारत में पहने जाने वाले कपड़ों  की भी विदेशों में काफी माँग है। वही आज भारत की हिंदी तथा अन्य भाषाओँ की फिल्में भी विदेशों में काफी चलती है। भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी ने भी विदेशों में काफी प्रभाव डाला है तथा कंप्यूटर के क्षेत्र में भी इसका विकास हुआ है। भारतीय बाजार ने भी विदेशों में अपना प्रभाव बढ़ाया है। इसके अतिरिक्त भारतीय संस्कृति के कई अन्य पहलू जैसे धर्म, दर्शन, नीति - शिक्षा आदि भी विदेशों में महत्त्वपूर्ण स्थान बना रहे है। 

12. पृष्ठ संख्या 34 पर कहा गया है कि जातकों में सौदागरों की समुद्री यात्राओं / यातायात के हवाले भरे हुए है। विश्व / भारत के मानचित्र में उन स्थानों / रास्तों को खोजिए जिनकी चर्चा इस पृष्ठ पर की गई है। 

उत्तर :

NCERT Solution for Class 8 hindi Bharat Ki Khoj

13. कौटिल्य के अर्थशास्त्र  में अनेक विषयों की चर्चा है , जैसे , "व्यापार और वाणिज्य , कानून और न्यायालय , नगर - व्यवस्था , सामाजिक रीति - रिवाज , विवाह और तलाक , स्त्रियों के अधिकार , कर और लगान , कृषि , खानों और कारखानों को चलाना , दस्तकारी , मंडियां , बागवानी , उद्योग धंधे , सिंचाई और जलमार्ग , जहाज़ और जहाज़रानी , निगमें , जन - गणना , मतस्य उद्योग , कसाई खाने , पासपोर्ट और जेल - सब शामिल है। इसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गई है और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी। " वर्तमान में इन विषयों की क्या स्थिति है ? अपनी पसंद के किन्ही दो - तीन विषयों पर लिखिए। 

उत्तर :

वर्तमान समय में इन सभी विषयों तथा क्षेत्रों में काफी सुधार हो गए है। आज हम शिक्षा और समझ के आधार पर पुरानी स्थितियों से काफी दूर हो गए है। इनमे से कुछ महत्त्वपूर्ण विषय निम्नलिखित है -

सामाजिक रीति - रिवाज़ - भारतीय समाज विभिन्न धर्मों , जातियों और मतों वाला है। भारत में हिन्दू , सिख , बौद्ध , जैन , ईसाई , फ़ारसी , मुसलमान आदि विभिन्न मतों और धर्मो को मानने वाले लोग रहते है। यहाँ अनगिनत जातियां और संप्रदाय है। लेकिन विश्व का जो देश कभी सर्वोपरि था , आज वह अनेक सामाजिक रूढ़ियों और अंधविश्वासों से ग्रस्त है। 

भारतीय समाज में विभिन्न रीति - रिवाज़ तथा मान्यताएँ विद्यमान है। यहाँ की सबसे प्रमुख समस्या जातिवाद है , जिससे आपसी टकराहट उत्पन्न हो रही है। भारत की दूसरी प्रमुख सामाजिक समस्या नारी की दुर्दशा से सम्बंधित है। जो सामाजिक रीति - रिवाजों तथा मान्यताओं की उपज है। बाल विवाह , पर्दा प्रथा , अनमेल विवाह , रूढ़िवादिता , बहु विवाह के कारण नारी की स्थिति चिंताजनक बन गई है। पुरानी रीतियों के कारण बाल विवाह , पर्दा प्रथा और तलाक प्रथा में जकड़ी मुस्लिम स्त्रियां तो शिक्षा से भी वंचित है। आज का भारतीय समाज स्वार्थ , भ्रष्टाचार और हिंसा की नींव पर खड़ा है , जिसका कारण काफी हद तक हमारे रीति - रिवाज ही है। सामाजिक रीति - रिवाजों की बुराइयों के कारण ही भारतीय समाज खोखला हो रहा है। इन सामाजिक बुराइयों और समाज में व्याप्त समस्याओं को युवा वर्ग तथा समाज - सुधारक मिलकर ही दूर कर सकते है। 

उद्योग धंधे - भारत एक विशाल जनसँख्या वाला देश है। यद्यपि यहाँ प्रकृति ने प्रचुर साधन उपलब्ध कराए है। लेकिन पूँजी की कमी और तकनीकी ज्ञान के आभाव में पर्याप्त उन्नति नहीं हो सकी है। यदि बड़े उद्योगों की स्थापना के लिए पूँजी का आभाव हो तो लघु और कुटीर उद्योग - धंधे चलाना लाभकारी है। 

लघु उद्योगों से हमारा आशय ऐसे उद्योगों से है जिनमे दस लाख रूपए तक की स्थायी पूँजी का निवेश होता है। ये उद्योग कस्बों तथा शहरों में स्थित होते है। कुटीर उद्योग प्रायः गाँवों में स्थापित किए जाते है। वस्तुओं को स्थानीय सामग्री का प्रयोग करके बनाया जाता है और फिर स्थानीय बाज़ार में बेचा जाता है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु और कुटीर उद्योगों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनके माध्यम से अधिक श्रम - शक्ति को रोज़गार उपलब्ध कराया जा सकता है। इनकी स्थापना दूर - दूर के गाँवों तथा कस्बों में की जा सकती है। लघु और कुटीर उद्योग से राष्ट्रीय उत्पादन का एक बड़ा भाग प्राप्त होता है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। 

आज लघु उद्योगों के समक्ष पर्याप्त कच्चे माल की नियमित और उचित मूल्य पर उपलब्धता की समस्या है। अतः सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए जिससे इन उद्योग - धंधों का विकास हो सके। 

कृषि - कृषि भारतीय जनजीवन का आधार रही है। इसलिए कहा जाता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत में प्राचीन काल से ही कृषि की परंपरा रही है। भारतीय कृषक विश्व में विख्यात है। 

कृषि के माध्यम से भारत की एक बड़ी जनसंख्या का पेट पलता है। देश के काफी हिस्से में कृषि की जाती है। इसके अलावा कृषि के माध्यम से ही भारत की समस्त जनसंख्या को खाने - पीने के पदार्थ मिलते है। भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय आय में भी कृषि का काफी महत्त्व है। कृषि के क्षेत्र में आई हरित क्रांति के बाद से भारत ने काफी विकास किया है। 

आज हमें कृषि के क्षेत्र में काफी विकास दिखाई देता है। कृषि पुराने औजारों के स्थान पर नई - नई मशीनो के माध्यम से की जाने लगी है। लेकिन इन सबके बावजूद कृषि के समक्ष कई समस्याएँ भी है। फिर भी भारतीय कृषि निरंतर उन्नत हो रही है। 

14. आज़ादी से पहले किसानों की समस्याएँ निम्नलिखित थी - "गरीबी , कर्ज , निहित स्वार्थ , जमींदार , महाजन , भारी लगान और कर , पुलिस के अत्याचार " आपके विचार से आजकल किसानों की समस्याएँ कौन - कौन सी है ?

उत्तर :

आज़ादी से पहले किसानों की कई समस्याएँ थी। जैसे गरीबी , कर्ज , निहित स्वार्थ , जमींदार , महाजन , भारी लगान और कर , पुलिस के अत्याचार आदि। आजकल के किसानों के आगे जहाँ गरीबी , कर्ज , भारी लगान , पुलिस के अत्याचार आदि समस्याएँ हैं। वही उनके सामने सिंचाई की उचित व्यवस्था , उन्नत किस्म के बीजों तथा खाद की कमी , अत्याधुनिक कृषि उपकरणों तथा मशीनों की कमी , मौसम की मार , बाज़ार की परिवर्तनशील स्थिति , उत्पादन में गिरावट , पर्याप्त कीमत न मिलना जैसी समस्याएँ भी है। 

15. "सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज नहीं होते , उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए। " ऐसे कौन - कौन से सार्वजनिक कार्य है जिन्हे आप बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते है ?

उत्तर :

सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज नहीं होते। उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे कई सार्वजनिक कार्य है जिन्हे हम बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते है। जैसे -

  • अपने शहर , कॉलोनी या आसपास की सुरक्षा का ध्यान रखना। 
  • अपने आसपास की सफाई का ध्यान रखना। 
  • कानून तथा व्यवस्था का पालन करना। 
  • प्याऊ , मंदिरों तथा पार्क आदि की देखभाल करना। 
  • सड़कों , व गलियों के निर्माण तथा रख - रखाव में योगदान देना। 
  • अपने क्षेत्र में पेड़ों की कटाई रोकना तथा नए पेड़ लगाना। 
  • त्योहारों के अवसर पर मेलों तथा उत्सवों का आयोजन करना। 
16. महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए 'हर स्थान पर हर समय' हमेशा उपलब्ध है। हमारे समय के शासक / लोक - सेवक इस कसौटी पर कितना खड़ा उतरते है ? तर्क सहित लिखिए। 

उत्तर :

  महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए 'हर स्थान पर हर समय' हमेशा उपलब्ध है। वह ऐसा करते भी थे। इसमें उनके कर्मचारी तथा मंत्री बराबर योगदान देते थे। 

हमारे समय के शासक तथा लोक - सेवक इस कसौटी पर बिलकुल भी खड़े नहीं उतरते है। वे चुनावों के समय वोट माँगने जनता के पास आते है तथा जनता से तरह - तरह के वादे करते है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे जनता को पूरी तरह भूल जाते है। यदि उन्हें जनता किसी कार्य के लिए निवेदन करती है तो वे उन्हें कुछ भी कहकर टाल देते है। जिस जनता ने उन्हें जिताया होता है उसी के लिए उनके पास समय नहीं होता है। लेकिन कुछ नेता इसके विपरीत भी है। वे जनता के सच्चे साथी तथा मित्र के समान रहते है। 

17. 'औरतों के परदे में अलग - थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रूकावट आई।' कैसे ?

उत्तर :

औरतों के परदे में अलग - थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रूकावट आई क्योंकि इस कारण औरत को शिक्षा से वंचित रहना पड़ा। वह समाज से अलग - थलग रही। औरत के पढ़े - लिखे न होने का प्रभाव उसके पति , बच्चों , परिवार तथा सम्पूर्ण समाज पर पड़ा। वही परदे में रहने के कारण वह सामाजिक जीवन में पूर्ण रूप से सम्मिलित नहीं हो पाई। समाज में नारी और पुरुष का समान स्थान है। लेकिन औरत के परदे में रहने के कारण उसे यह स्थान न मिल सका। जिससे सामाजिक जीवन के विकास में रूकावट आई। 

18. मध्यकाल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक - एक रचना अपनी पसंद लिखिए। 

(क) अमीर खुसरो    (ख) कबीर    (ग) गुरु नानक    (घ) रहीम 

उत्तर :

(क) अमीर खुसरो - अनगिनत पहेलियाँ तथा मुकरियाँ। 

(ख) कबीर - कबीर की साखियाँ और पद। 

(ग) गुरु नानक - गुरु ग्रन्थ साहिब। 

(घ) रहीम - रहीम के दोहे। 

19. बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे -

(क) अभिधा    (ख) लक्षणा    (ग) व्यंजना 

बताइए , नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है ? यह भी बताइए कि आपको कैसा लगता है ?

"यदि ब्रिटैन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लम्बे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती , जिससे हम इतने अनजान थे , तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और और अधिक समृद्ध होता ... बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती। "

उत्तर :

नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से व्यंजना का उदाहरण है। हमें ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि यहाँ नेहरू जी भारत के विकास न कर पाने का वर्णन कर रहे है। 

20. "नयी ताकतों ने सिर उठाया और वे हमें ग्रामीण जनता की ओर ले गई। पहली बार एक नया और दूसरे ढंग का भारत उन युवा बुद्धिजीवियों के सामने आया ..."

आपके विचार से आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बातें किस 'नयी ताकत' की ओर इशारा कर रही है ? वह कौन व्यक्ति था और उसने ऐसा क्या किया जिसने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया ?

उत्तर :

हमारे विचार से आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बात नई ताकत के रूप में 'ग्रामीण समुदाय' की ओर इशारा कर रही है। वह व्यक्ति जवाहरलाल नेहरू थे। उन्होंने ग्रामीण जनता को उनके अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग किया। साथ ही उन्हें देश की आज़ादी के महत्त्व से अवगत कराया जिसने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया। 

21. 'भारत माता की जय' - आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है ? अपने उत्तर का कारण भी बताइए। 

उत्तर :

'भारत माता की जय' - नारे में भारत माता की जय की बात कही जाती है क्योंकि भारतवासी अपनी जन्मभूमि से बहुत प्यार करते है और हमेशा उसकी जय ही चाहते है। 

22. (क) भारत पर प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा। 

(ख) आपके विचार से भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से किस तरह अलग है ?

उत्तर :

(क) भारत में प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे , जो इस प्रकार है -

  • आर्यों द्वारा आक्रमण 
  • तुर्की शासनों के आक्रमण 
  • अफगानी शासकों के आक्रमण 
  • मंगोलों का आक्रमण 
  • मुग़ल शासकों का आक्रमण 
  • ब्रिटिश शासन 
(ख) भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना इससे पहले  के आक्रमणों से काफी अलग थी। इससे पहले हुए आक्रमणों में आक्रमणकारी यहाँ से धन आदि लूटकर वापस चले गए थे। लेकिन अंग्रेज भारत में व्यापार करने के बहाने से आए और यहीं बस गए। उन्होंने धीरे - धीरे सम्पूर्ण भारत पर कब्ज़ा कर लिया। साथ ही भारत के विकास के लिए भी महत्त्वपूर्ण कार्य किए। 

23. (क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी। क्यों ?

(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेजी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा - बहुत काम करना पड़ा। क्यों ?

उत्तर :

(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी क्योंकि अंग्रेजी सरकार भारत में लम्बे समय तक शासन करना चाहती थी। वहीं यदि भारत में शिक्षा प्रसार हो जाता तो भारतीय पढ़ - लिखकर आज़ादी की मांग करने लगते जिससे ब्रिटिश शासन को खतरा हो सकता था। साथ ही शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय लोग शासन व्यवस्था में भी हस्तक्षेप करने लगते। 

(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेजी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा - बहुत सोचना पड़ा क्योंकि उन्हें नीचे के पदों पर कार्य करने के लिए कुछ भारतीयों की आवश्यकता थी। साथ ही उन्हें यह डर भी था कि शिक्षा को पूरी तरह नज़रअंदाज करने से भारतीय विद्रोह न कर दें। 

24. ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि - "नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था। " क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है ? कैसे ?

उत्तर :

ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि - "नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था। हाँ , अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है , उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। विश्व बाज़ार में होने वाले उतार - चढ़ावों का भारत के बाज़ार पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जैसे विश्व में तेल आदि की कीमतें बढ़ने पर भारत में भी तेल की कीमतों में वृद्धि होती है। 

25. गांधीजी के दक्षिण  अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में से किस तरह का बदलाव आया , पता कीजिए -

(क) कांग्रेस संगठन में। 

(ख) लोगों में - विद्यार्थियों, स्त्रियों , उद्योगपतियों आदि में। 

(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में। 

(घ) साहित्य , संस्कृति , अखबार आदि में। 

उत्तर :

गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में अनेक तरह के बदलाव आए। जैसे -

(क) कांग्रेस संगठन में - गांधीजी के आने से कांग्रेस संगठन पहले की अपेक्षा अधिक सक्रीय हो गया। अब इसमें मजदुर , किसान आदि भी शामिल थे। जिस कारण यह संगठन पूरे भारत का संगठन बन गया और एक नए जोश के साथ कार्य करने लगा। 

(ख) लोगों में - गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर लोगों में भी व्यापक बदलाव हुए। विद्यार्थी पहले की अपेक्षा और अधिक उत्साह के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। स्त्रियां भी आज़ादी की लड़ाई में पूर्ण रूप से शामिल हो गई। वही उद्योगपतियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में बराबर योगदान दिया तथा भारत के विकास के लिए प्रयास करने लगे। 

(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में - गांधीजी के आने से आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में भी काफी बदलाव आया। अब आज़ादी की लड़ाई शांतिपूर्ण तथा अहिंसा के माध्यम से की जाने लगी। अपनी समस्याओं को बातचीत तथा निवेदन के द्वारा सुलझाया जाने लगा। 

(घ) साहित्य , संस्कृति , अखबार आदि में - गांधीजी के लौटने पर साहित्य , संस्कृति तथा अखबार आदि में भी काफी बदलाव हुए। साहित्य का मुख्य विषय स्वतंत्रता बन गया। संस्कृति में भी कई नई बातों का समावेश हुआ। वही अखबारों में भी आज़ादी की लड़ाई से सम्बंधित लेख तथा विचार छपने लगे। 

26. "अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का देश है। " आपके विचार से भारत में किस - किस तरह के अन्तर्विरोध है ? कक्षा में समूह बनाकर चर्चा कीजिए। 

(संकेत  अमीरी गरीबी , आधुनिकता - मध्ययुगीनता , सुविधा - सम्पन , सुविधा - विहीन आदि )

उत्तर :

अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का  देश है। हमारे विचार से भारत में अनेक तरह के अंतर्विरोध है। जैसे - भारत में कुछ बहुत धनवान है , तो कुछ लोग निर्धन है। यहाँ आधुनिकता  भी है और मध्ययुगीनता भी। यहाँ शासक है तो शासित भी है। ब्रिटिश है तो भारतीय भी है। सुविधाओं के भंडार हैं तो असुविधाएँ भी है। अलग - अलग जातियाँ है , तो उनमे अखंड एकता भी है। यहाँ विभिन्न धर्म है लेकिन उनका स्तर एक ही है। 

27. पृष्ठ संख्या 122 पर नेहरू जी ने कहा है कि - "हम भविष्य की उस 'एक दुनिया' तरफ बढ़ रहे है जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव जाती की अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी। " आपके अनुसार उस 'एक दुनिया' में क्या - क्या अच्छा है और कैसे - कैसे खतरे हो सकते है ?

उत्तर :

नेहरू जी ने कहा है कि हम भविष्य की उस एक दुनिया की तरफ बढ़ रहे है जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव जाति की अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी। हमारे विचार में से उस एक दुनिया में जहाँ हमें समझदारी , ज्ञान , मित्रता और सहयोग मिलेगा , वहीं हमें धोखा तथा कपट भी मिल सकता है। विकास की दौड़ में हम पिछड़ भी सकते है। विकास के साथ - साथ पतन के खतरे भी बने रहेंगे। लेकिन उस दुनिया में हम दूसरों की कृपा और सहारे के मोहताज नहीं होंगे। इस तरह हम सच्चे भारतीय और एशियाई ही नहीं होंगे , बल्कि अच्छे अंतर्राष्ट्रीयवादी और विश्व नागरिक होंगे। 

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