The Banyan Tree Hindi Translation

 Hindi Translation of the story "The Banyan Tree"

Part - I

The fight....................grandfather's house.

सांप और नेवले की लड़ाई भारत में प्रायः देखा जाने वाला एक प्राचीन नाटक है जिसका परिणाम हमेशा लगभग एक जैसा ही होता है। ऐसा नहीं है कि सांप के विषैले घात का प्रभाव नेवले पर नहीं होता। दरअसल, नेवला सांप की अपेक्षा अधिक तेज और फुर्तीला होता है। सांप सुरक्षात्मक मुद्रा में रहते हुए तेजी से नेवले की ओर झपटता है किन्तु, फुर्तीला नेवला तेजी से सांप की पहुँच से बाहर चला जाता है तथा इससे पहले कि सांप आक्रामक मुद्रा में आये, दूसरी दिशा से उस पर आक्रमण कर देता है। इस तरह की लगातार गतिविधि सांप को शिथिल एवं निरुत्साहित कर देता है फलतः, नेवला नजदीक आकर अपनी तेज दांत उसकी गर्दन , प्रायः मेरुसंधि , में चुभो देता है फलतः ये संधि एक -दूसरे से अलग हो जाती है और सांप मर जाता है। 

आपने बरगद का पेड़ अवश्य देखा होगा। यह कहानी उस घटना पर आधारित है जिसे लेखक ने बाल्यावस्था में अपने दादाजी के घर पर एक पुराने बरगद के पेड़ पर बैठकर देखा था। 

Though the house..................below.

यद्यपि घर और मैदान मेरे दादा -दादाजी के थे , भव्य पुराना वट वृक्ष मेरा था , विशेषकर इसलिए कि दादा जी 65 वर्ष की आयु में अब उसपर चढ़ नहीं सकते थे। 

उसकी पसरी फैली शाखायें जो जमीन तक झुक गयी थी तथा उन्होंने अपनी जड़ें पुनः धरती में जमा ली थीं, तथा जिनके बीच अनेक टेढ़े -मेढ़े रास्ते बन गये थे, ये सब मुझे बहुत आनंद देते थे। उन्हीं के बीच गिलहरियों, घोंघे तथा तितलियाँ रहते थे। 

यह वृक्ष घर से अधिक प्राचीन था, दादा जी से भी बूढ़ा, इतना वृद्ध जितना कि देहरादून स्वयं। मैं उसकी शाखाओं में छिप सकता था, उसकी घनी हरी पत्तियों के पीछे तथा नीचे की दुनिया पर नजर रख सकता था। 

My first friend......................in the garden.

मेरी पहली दोस्त एक सलेटी रंग की गिलहरी थी। अपनी पीठ मेहराब की भाँति मोड़कर तथा नाक से तेज हवा निकालकर उसने जैसे पहले तो अपनी एकांतता में मेरे आगमन पर नाराजगी दिखाई। पर जब उसे पता चला कि मेरे पास न तो कोई गुलेल है न ही कोई हथियार, वह मेरा मित्र बन गई , और जब मैं उसके लिए केक और बिस्कुट लाने लगा तो उसका साहस बढ़ गया और वह मेरे हाथ से ही छोटे -छोटे भोजन के टुकड़े लेने लगी। 

शीघ्र ही वह मेरी जेबों में घुसकर जो कुछ मिला खाने लगी। वह बहुत छोटी थी, तथा उसके मित्र तथा सम्बन्धी शायद उसे मुर्ख और हठी सोचने लगे कि वह एक मनुष्य पर भरोसा कर रही थी। 

बसंत में जब बरगद छोटे लाल फलों से लद जाता था, सभी प्रकार के पक्षी उसकी शाखाओं पर आकर जम जाते थे -लाल पेट वाली बुलबुल, खुश तथा लोभी तोते, मैना तथा कौवे आपस में झगड़ते हुए। अंजीर के मौसम में वह वृक्ष बगीचे में सर्वाधिक शोरगुल वाला स्थान हो जाता था। 

Half way up...........................cobra.

वृक्ष की ऊंचाई के मध्य मैंने एक भद्दा -सा मंच बना रखा था जहाँ मैं दोपहर के बाद का समय बिताया करता था जब गर्मी अधिक नहीं होती थी। वृक्ष की टहनी पर घर से एक कुशन या गद्दी लाकर मैंने लगा ली थी और उसी पर टेक लगाकर मैं पढाई भी करता था। मेरी वट वृक्ष के पुस्तकालय में कई पुस्तकें थी। जब मेरी पढ़ने की इच्छा नहीं होती थी तो मैं पत्तियों के बीच से नीचे की दुनिया देखने लगता था। और एक शाम मुझे भारतीय वनों का एक साफ़ नजारा देखने को मिला , एक नेवले तथा नाग की लड़ाई। 

Part - II

The warm........................champions.

आने वाली ग्रीष्म ऋतू की गर्म हवाओं ने हरेक जिनमे माली भी शामिल था, घर के अंदर भेज दिया था। मुझे स्वयं भी नींद सी आ रही थी, मैं निर्णय नहीं ले पा रहा था कि क्या तालाब में जाकर रामु और भैंस के साथ तैरने का मजा लूँ। जब मैंने एक काले विशाल नाग को कँटीले पौधों के झुण्ड से बाहर निकलते देखा। उसी समय एक नेवला भी झाड़ियों के अंदर से निकल आया तथा सीधा साँप के पास गया। 

वृक्ष के नीचे खुले मैदान में तेज धुप में उनका आमना -सामना हो गया। सांप भली -भांति जानता था सलेटी रंग का नेवला जो तीन फुट लम्बा था, प्रथम दर्जे का लड़ाकू है, चालाक तथा आक्रामक। पर सांप भी एक कुशल तथा अनुभवी योद्धा था। वह तीव्र गति से बढ़कर बिजली की तेजी से वार कर सकता था, और उसके लम्बे दाँतों के पीछे थैलियों में भयंकर विष भरा था। दो योद्धाओं की लड़ाई होनी थी। 

Hissing defiance.............................of them.

अवज्ञापूर्ण या विद्रोह की फुंफकार निकालता हुआ उसकी बीच में कटी जीभ बाहर भीतर निकल रही थी, साँप ने अपने छह फुट  के शरीर का आधा भाग जमीन से ऊपर उठा लिया तथा अपना चौड़ा चित्तीदार फन उसने फैला लिया। नेवले ने अपनी घनी पूँछ भी झाड़ीदार बना ली। उसकी पीठ पर नोकदार लम्बे बाल खड़े हो गये। 

यद्यपि लड़ने वालो को वृक्ष पर मेरी उपस्थिति की जानकारी न थी , वे शीघ्र ही दो अन्य दर्शकों के आगमन से परिचित हो गये। एक थी मैना तथा दूसरा था जंगली कौवा। उन्होंने लड़ाई की  तैयारियों को देख लिया था तथा वे कंटीले पौधे पर आकर इस लड़ाई का परिणाम देखने हेतु बैठ गए।  यदि वे केवल देखकर ही संतोष कर लेते तो दोनों ही सुरक्षित रहते। 

The cobra stood...........................cobra's back.

नाग सुरक्षामत्क भाव से इधर -उधर झूमता खड़ा हो गया, वह नेवले को गलत चाल चलने के लिये जादू द्वारा आकर्षित कर रहा था। पर नेवला अपने प्रतिपक्षी की शीशे जैसी साफ़, बिना झपकती आँखों की शक्ति को जानता था , उसने उनसे आँखें नहीं मिलाई। इसके बजाय उसने अपनी दृष्टि नाग के फन के नीचे एक बिंदु पर गड़ाये रखी तथा अपना आक्रमण शुरू किया। 

वह तेजी से आगे बढ़ गया और जब नाग की पहुँच के अंदर पहुँचा तो नेवले ने एक ओर हटने का दिखावा किया। तुरंत सांप ने वार किया। उसका विशाल फन इतनी तीव्र गति से  नीचे आया कि मैंने सोचा अब नेवला नहीं बचेगा। पर नेवला साफ़ एक ओर हट गया और नाग की तेज गति के समान आगे बढ़कर उसने उसकी पीठ पर काट लिया तथा पुनः पहुँच से दूर चला गया। 

उसी समय जब नाग ने वार किया , कौवा तथा मैना उसपर झपटे , पर वे हवा में ही टकरा गये। एक -दूसरे को गाली देते हुए वे कँटीले पौधे पर वापस लौट गये। नाग की पीठ पर रक्त की कुछ बूँदें चमक रही थी। 

The cobra struck............................crow's body.

नाग ने पुनः वार किया पर निशाना चूक गया। पुनः नेवला एक ओर उछलकर हट गया, कूद कर आया और काट लिया। पुनः पक्षियों ने साँप पर धावा बोला, परस्पर टकरा गये तथा शोर करते कैक्टस की सुरक्षा में लौट गये। तीसरा दौर भी पहले की ही भांति चला पर उसमे एक नाटकीय परिवर्तन आया। कौवा तथा मैना अभी भी इस कार्रवाई में भाग लेने पर आमादा थे। वे साँप पर झपटे पर इस बार वे आपस में टकराये भी नहीं और निशाना भी चूक गये। मैना उड़कर अपने अड्डे पर पहुँच गई पर कौवे ने हवा में ऊपर उठने की कोशिश की तथा वापस आने को पलटा। उस पक्षी को ऐसा करने में जो एक सेकंड का समय लगा उसीमें  सांप ने फन घुमाया तथा पूरा जोर लगाकर वार कर दिया , उसकी नाक का भाग कौवे के शरीर से जा टकराया। 

I saw the..............................away.

मैंने पक्षी को 20 फुट तक बाग़ में झटका खाकर गिरते देखा। उसने क्षणभर को पर फड़फड़ाये पर निश्चल हो गया। मैना कैक्टस पौधे पर बैठी रही और जब सांप तथा नेवला लड़ने को वापस आये तो मैना ने बुद्धिमानीपूर्वक पुनः दखल न देने का निर्णय ले लिया। 

नाग कमजोर पड़ता जा रहा था तथा नेवला निर्भीक उसके पास तक जाने लगा, उसने अपनी पिछली टांगों पर सर ऊपर उठाया और फिर बिजली की गति से साँप को उसके थूथन से  पकड़ लिया। साँप तड़पा तथा भयंकर तरीके से उसने शरीर की उठा -पटक की, और नेवला के शरीर में स्वयं को लपेट भी लिया पर कोई लाभ नहीं हुआ। नेवला सांप को कसकर पकडे रहा जब तक कि साँप ने संघर्ष करना बंद नहीं  कर दिया। फिर नेवले ने उसके फड़कते शरीर को सुंघा, फन को मुँह में दबाया और उसे झाड़ियों में खींच ले गया। 

मैना  सावधानी से नीचे आई, फुदकती रही , झाड़ियों में झाँकी , और फिर बधाई की आवाज निकालती हुई उड़ गई।

You might be looking for :-

Previous Post Next Post