Paragraph Writing in Hindi (अनुच्छेद - लेखन) Definition, Tips, 5 Examples

 अनुच्छेद - लेखन एक कला है। इसमें किसी विषय पर अत्यंत संक्षेप में विचार प्रकट किये जाते हैं। अनुच्छेद का अर्थ होता है - पैराग्राफ। अनुच्छेद में दिए गए विषय का सार लिखा जाता है अतः इसमें निबंध की भाँति विस्तार नहीं होता। अच्छे अनुच्छेद में मूल विषय को ही केंद्र में रखा जाता है। अनुच्छेद - लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है -

  • अनुच्छेद प्रभावी होना चाहिए। 
  • अनुच्छेद में वाक्य छोटे - छोटे होने चाहिए। 
  • अनुच्छेद में विषय का अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए। 
  • अनुच्छेद में भाषा की शुद्धता तथा शब्दों  के चयन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 
  • अनुच्छेद में सभी वाक्य एक - दूसरे से सम्बंधित होने चाहिए। 
अनुच्छेद लेखन के कुछ उदहारण यहाँ दिए जा रहे हैं। 

1.वन - महोत्सव 

वन प्रकृति की अमूल्य सम्पदा है। आदिमानव का जन्म तथा उसकी सभ्यता - संस्कृति का विकास भी इन्ही वनों में पलकर हुआ था। खाद्य सामग्री और आवास की समस्या भी इन्होने ही सुलझायी थी। मानव की हर प्रकार से रक्षा में इन्ही का हाथ रहा है। लेकिन मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की, जिसके अनेक दुष्परिणाम भी उसे देखने पड़े। आज उसने वनो के महत्त्व को समझते हुए पुनः वृक्षारोपण की ओर ध्यान दिया है। इसके तहत वन - महोत्सव मनाया जाने लगा है। जिसमे वनों के विस्तार के उद्देश्य से सम्बंधित कार्यक्रम चलाये जाते है। वनों की वृद्धि के लिए अन्य अवसरों पर भी हजारों पेड़ लगाए जा रहे है। वन - महोत्सव के द्वारा लोगों को वनों की अंधाधुंध कटाई रोकने तथा अधिक -से -अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह अत्यंत आवश्यक भी है क्योंकि यदि हम चाहते हैं कि धरती हरी -भरी रहे , नदियाँ अमृत रूपी जलधारा बहाती रहें और मानवता फलती -फूलती रहे तो हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए। 

2. बाल - दिवस 

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर के दिन हुआ था। उन्हें बच्चों से विशेष स्नेह था। बच्चे भी उन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से पुकारते थे। नेहरू जी की इच्छा थी कि उनका जन्म -दिन बाल -दिवस के रूप में मनाया जाए। अतः 14 नवंबर का दिन बाल -दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश भर के विद्यालयों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। कई जगहों पर बाल -मेले आयोजित किए जाते है। बच्चे बड़े ही उत्साह से इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेते है। इस दिन विद्यालयों में होने वाले कार्यक्रमों के दौरान मिठाइयाँ , फल आदि बाँटे जाते है। 
सभी बच्चों को चाहिए कि वे इस दिन के महत्त्व को समझे और नेहरू जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ। बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते है। अतः यदि वे आदर्शों को अपना ले तो देश का भविष्य स्वर्णिम हो जाएगा। 

3. वर्षा 

हमारे देश में मई -जून की चिलचिलाती गर्मी के पश्चात जुलाई -अगस्त के महीने में वर्षा ऋतू का आगमन होता है। वर्षा का स्वागत किसान नाच -गाकर करते है तो स्त्रियाँ झूला झूलकर वर्षा आगमन की ख़ुशी मनाती है। वहीं बच्चे वर्षा के पानी में भीग -भीगकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करते है। वर्षा आने से चरों तरफ हरियाली छा जाती है। तालाब पानी से भर जाते हैं। नदी -नालों तथा पेड़ -पौधों में वर्षा का पानी नए जीवन का संचार करता है। गर्मी के कारन झुलसी हुई धरती पर वर्षा की बूँदें पड़ते ही मानों उसमे नई जान आ जाती है। मिटटी से एक मनमोहक सुगंध आने लगती है। वर्षा ऋतू में चरों तरफ हँसी -ख़ुशी का माहौल छा जाता है। 

4. विद्यार्थी और अनुशासन 

आज का विद्यार्थी ही कल का नेता होता है। कल उसे ही देश के शासन तथा अन्य जिम्मेदारियों को संभालना है। अतः विद्यार्थियों के लिए अनुशासन का महत्त्व सबसे अधिक होता है। स्वयं को अनुशासित रखकर ही वह देश के उज्जवल भविष्य का निर्माण कर पायेगा। इसलिए विद्यार्थी को अनुशासित होकर पढाई -लिखाई में जुट जाना चाहिए। उसे विद्यालय , घर तथा आस -पड़ोस में अनुशासन पूर्वक बर्ताव करना चाहिए। इसी के आधार पर वह सबका प्रिय बन सकता है। वहीं अनुशासन के साथ अपने शिक्षकों की बातें मानकर वह सफलता प्राप्त कर सकता है। अतः यह कहना गलत नहीं है कि अनुशासन ही विद्यार्थी जीवन की वो सीढ़ी है , जिस पर चढ़कर विद्यार्थी सफलता को प्राप्त कर सकता है। 

5. व्यायाम के लाभ 

शरीर को स्वस्थ तथा मन को प्रसन्न रखने के लिए व्यायाम एक उपयुक्त साधन है। व्यायाम से शरीर सुन्दर बनता है , चेहरे पर रौनक आती है और मस्तिष्क तेज होता है। वहीं मन में स्फूर्ति रहती है और हर कार्य करने के लिए उत्साह बना रहता है। 
व्यायाम से आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता का भी विकास होता है जिससे जीवन में सफलता का मार्ग खुलता है। व्यक्ति साहसी तथा उत्साही बन जाता है और सफलता पाने के लिए निरंतर प्रयास  करता है। व्यायाम के माध्यम से मांसपेशियाँ लचीली व स्वस्थ होती है जिससे शरीर  के सभी अंग भली -भाँति कार्य करते है। लेकिन व्यायाम भी उतना ही करना चाहिए जितना शरीर सह सके। खाना खाने के बाद कभी भी व्यायाम नहीं करना चाहिए। आवश्यकता से अधिक व्यायाम हानिकारक भी होता है। साथ ही व्यायाम नियमानुसार करना चाहिए। 

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