Idioms and Proverbs in Hindi | मुहावरे और लोकोक्तियाँ

मुहावरे और लोकोक्तियाँ | कक्षा 6 | व्याकरण 


प्रश्न 1. मुहावरा किसे कहते है ?
उत्तर :
वे वाक्यांश जो अपने साधारण या सीधे - सादे कोशगत अर्थ का बोध न कराकर, उससे मिलते - जुलते अर्थ (लाक्षणिक) अथवा किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, उन्हें मुहावरा कहते है। 

प्रश्न 2. मुहावरों का प्रयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर :
अपनी कही जाने वाली बात की सुंदरता और प्रभाव बढ़ाने तथा कहने के ढंग को अधिक सुन्दर, रोचक व प्रभावशाली बनाने के लिए मुहावरों का प्रयोग किया जाता है। 

प्रश्न 3. मुहावरों की कुछ विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर :
मुहावरों की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
  • मुहावरे का शाब्दिक अर्थ नहीं, बल्कि उसका लाक्षणिक अथवा विशेष अर्थ ग्रहण किया जाता है। 
  • मुहावरों का ज्यों का त्यों अनुवाद किसी अन्य भाषा में करना आसान नहीं होता है। 
  • मुहावरा स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं होता, बल्कि इसे वाक्य का अंग बनाकर प्रयोग किया जाता है। 
  • मुहावरे के शब्दों को उसके पर्यायवाची या समानार्थक शब्द से नहीं बदला जा सकता है। जैसे - 'आँखें दिखाना' के स्थान पर 'नयन दिखाना' का प्रयोग ठीक नहीं है। 
प्रश्न 4. लोकोक्ति किसे कहते है ?
उत्तर :
सामाजिक जीवन में अनुभव के आधार पर प्रचलित उक्ति को लोकोक्ति कहते हैं। 

प्रश्न 5. लोकोक्तियों की कुछ विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर :
लोकोत्तियों की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है -
  • लोकोक्तियाँ अकेले वाक्य का निर्माण कर सकती है। 
  • लोकोक्ति आकर में बड़ी होती है। 
  • लोकोक्तियों का मन पर अमिट प्रभाव पड़ता है। 

कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरों के अर्थ और वाक्य प्रयोग 

  1. अंग - अंग टूटना : (बहुत थक जाना ) - दिन भर काम करते - करते मजदुर का अंग - अंग टूटने लगा। 
  2. अक्ल का दुश्मन : (मुर्ख ) - एक ही सवाल को चार बार समझाने पर भी जब राघव न समझ सका तो श्याम ने कहा, 'यह तो अक्ल का दुश्मन है। '
  3. अंगूठा दिखाना : (इंकार करना ) - अच्छे मित्र एक - दूसरे की जरुरत के समय पर रूपए - पैसे के लिए अंगूठा नहीं दिखते है। 
  4. अगर - मगर करना : (टाल -मटोल करना) - किसी की मदद करने के लिए अगर - मगर करना ठीक नहीं। 
  5. अंधे की लाठी : (एकमात्र सहारा) - भूकंप में परिवार के कई सदस्य मारे गए। परिवार के मुखिया के लिए उसका पौत्र ही अंधे की लाठी बना हुआ है। 
  6. आँखें दिखाना : (क्रोध प्रकट करना) - अध्यापक के आँखें दिखाते ही सभी छात्र शांत हो गए। 
  7. आँखों में धूल झोंकना : (धोखा देना) - धन दूना करने का लालच देकर ठग अनेक लोगों की आँखों में धूल झोंककर धन लेकर भाग गया। 
  8. आँच न आने देना : (नुकसान न होने देना) - जाँच के लिए बुलाये जाने पर नौकर ने मालिक से कहा कि "मैं आप पर आंच न आने दूँगा। "
  9. आगे - पीछे फिरना : (चापलूसी करना) - चुनाव निकट आते ही उमीदवार मतदाताओं के आगे - पीछे फिरने लगते है। 
  10. आँखें बिछाना : (स्वागत करना) - मेहमान के घर आने पर लोगों ने आँखें बिछा दी। 
  11. आँखें फेर लेना : (बदल जाना) - बुरा समय आते ही अपने भी आँखें फेर लेते है। 
  12. आग में घी डालना : (क्रोध को बढ़ावा देना) - पत्नी की जली - कटी बातों ने दोनों भाइयों के बीच आग में घी डालने का काम किया। 
  13. आकाश -पाताल एक करना : (बहुत परिश्रम करना) - एम.बी.बी.एस. में प्रवेश के लिए पढाई में आकाश - पाताल एक करना पडेगा। 
  14. आँखें चुराना : (सामने आने से बचना) - चोरी करते हुए पकडे जाने के बाद से वह लोगों से आँखें चुराने लगा। 
  15. आँखें खुलना : (सावधान होना) - वह पढाई पर ध्यान नहीं देता था, किन्तु फेल होने से उसकी आँखें  खुल गई। 
  16. आँखों का तारा : (अत्यंत प्यारा) - इकलौती संतान माता - पिता की आँखों का तारा होती है। 
  17. आसमान सिर पर उठाना : (बहुत शोर करना) - कक्षा से अध्यापक के जाते ही छात्रों ने आसमान सिर पर उठा लिया। 
  18.  इधर - उधर की हाँकना : (बेकार के बातें करना) - जज ने जब अपराधी से हत्या के विषय में पुछा तो वह सही बात न बताकर इधर - उधर की हांकने लगा। 
  19. ईद का चाँद होना : (बहुत दिन बाद दिखना) - एक ही शहर में रहकर भी महीनों बाद मिलने पर प्रवीण ने दीपक से कहा, "तुम तो ईद का चाँद हो गए हो। "
  20. उल्लू बनाना : (मुर्ख बनाना) - धन का लालच देकर उसने अनेक लोगों को उल्लू बनाया। 
  21. उन्नीस -बीस होना : (बहुत कम अंतर होना) - इन दोनों पुस्तकों के दाम में तो बहुत अंतर है जबकि इनके कागजों में उन्नीस - बीस का ही अंतर है। 
  22. ऊँगली उठाना : (हानि पहुंचाने की कोशिश करना) - नौकर ने अपने मालिक से कहा कि, " मेरे होते आप पर कोई ऊँगली नहीं उठा सकता है। "
  23. उल्टी गंगा बहाना : (नियम के विपरीत कार्य करना) - काम करने के समय राम सोता रहा। फिर जब उसने सोने के समय काम शुरू  किया तो मोहन ने कहा कि तुम तो उल्टी गंगा बहा रहे हो। 
  24. एक -एक ग्यारह होना : (एकता में शक्ति) - यह काम मुझसे अकेले नहीं होगा। मिलकर ही इसे पूरा किया जा सकता है क्योंकि एक और एक ग्यारह होते है। 
  25. एड़ी - चोटी का जोर लगाना - (बहुत परिश्रम करना) - आई.आई.टी. परीक्षा में सफल होने के लिए उसने एड़ी -चोटी का जोर लगा दिया। 
  26. कमर कसना : (तैयार होना) - कुश्ती के मुकाबले के लिए उसने कमर कस ली है। 
  27. कलई खुलना : (भेद खुल जाना) - सी.बी.आई. के छापे ने अफसरों के अथाह धन की कलई खोल दी। 
  28. कमर टूटना : (हिम्मत ख़त्म हो जाना) - भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की कमर तोड़ दी है। 
  29. कंगाली में आटा गीला होना : (गरीबी में और मुसीबत आ जाना) - व्यापार में उसे घाटा तो हुआ ही था, ऊपर से दुकान में चोरी भी हो गई। यह तो कंगाली में आटा गीला होने वाली बात हुई। 
  30. कान में तेल डालना : (किसी बात पर ध्यान न देना) - चुनाव में जीतते ही नेता जनता की बातों पर कान में तेल डालकर बैठ जाते है। 
  31. कान पर जूँ न रेंगना : (कुछ भी असर न होना) - माँ - बाप के लाख समझाने  पर भी दीपक के कान पर जूँ न रेंगी। 
  32. कान काटना : (बहुत  चतुर होना) - इतनी कम उम्र में ही यह बालक बड़ो - बड़ो का कान काटने लगा है। 
  33. कान भरना : (चुगली करना) - अध्यापक ने तुम्हारी बातें ध्यान से इसलिए नहीं सुनी, क्योंकि अमित ने पहले ही उनके कान भर दिए थे। 
  34. काम तमाम करना : (मार डालना) - सेना ने मुठभेड़ में अनेक डाकुओं का काम तमाम कर दिया। 
  35. खून खौलना : ( बहुत गुस्सा होना) - पुत्र के हत्यारे को देखते ही बूढ़े पिता का खून खौल उठा। 
  36. खून -पसीना एक करना : (बहुत मेहनत करना) - आतंकवाद से निपटने के लिए सेना को खून - पसीना एक करना पड़ेगा। 
  37. खून का प्यासा होना : (मारने के लिए तत्पर होना) - अपने साथी की मौत के बाद आतंकवादी खून के प्यासे हो गए। 
  38. गले लगाना : (अपनापन प्रकट करना) - हमें दीन - दुखियों की मदद करते हुए उन्हें गले लगाना चाहिए। 
  39. गुड़ गोबर करना : (काम ख़राब करना) - हम सब दावत में पकवान खा रहे थे कि तेज बारिश ने सारा गुड़ - गोबर कर दिया। 
  40. गागर में सागर भरना : (कम शब्दों में बहुत कुछ कह देना ) - कवि बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है। 
  41. घड़ों पानी पड़ना : (लज्जित होना) - पुत्र के चोरी में शामिल होने की बात सुनकर माँ -बाप पर घड़ों पानी पड़  गया।
  42. घोड़े बेचकर सोना : (बेफिक्र होकर सोना) - परीक्षा समाप्त होने पर छात्र घोड़े बेचकर सोते है। 
  43. घाव पर नमक छिड़कना : (दुखी को और दुःख देना) - भूकंप ने लोगो के मकानों को नष्ट कर दिया था। उसके बाद आई बारिश ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया। 
  44. घी के दीये जलाना : (बहुत अधिक ख़ुशी प्रकट करना) - प्रसून जोशी के जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त होने पर लोगों ने घी के दीए जलाए। 
  45. घुटने टेकना : (पराजय मान लेना) - कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठियों को सेना के सामने घुटने टेकने पड़े। 
  46. चादर से बाहर पैर पसारना : (आय से अधिक खर्च करना) - चादर से बाहर पैर पसारने वाला व्यक्ति सदैव परेशान रहता है। 
  47. चिकना घड़ा होना : (बेशर्म होना) - उसे कितना भी कुछ कह लो, उस पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। वह तो बिलकुल ही चिकना घड़ा है। 
  48. चार चाँद लगाना : (शोभा को और बढ़ा देना) - शादी के उत्सव में अभिनेता के शामिल होने से चार चाँद लग गए। 
  49. छक्के छुड़ाना : (हौंसला पस्त करना) - भारतीय सेना अनेक बार पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा चुकी है। 
  50. छप्पर फाड़कर देना : (बिना प्रयत्न उम्मीद से अधिक मिलना) - मकान बनाने के लिए नींव खोदते समय जब मजदूर को गड़ा धन मिला तो उसने कहा कि "ईश्वर ने उसे छप्पर फाड़ कर दिया है। "
  51. छुपा रुस्तम होना : (साधारण किन्तु गुणी होना) - जब मृत भिखारी के पास एक लाख से अधिक रूपए मिले तो लोगों ने कहा कि यह तो छुपा रुस्तम निकला। 
  52. जले पर नमक छिड़कना : (दुःख को और बढ़ाना) - राम परीक्षा में फेल होने पर दुखी था। उस पर मित्रों द्वारा छींटाकशी ने उसके जले पर नमक छिड़कने का काम किया जिससे वह रोने लगा। 
  53. जान में जान आना : (मन को सकून मिलना) - ऑफिस की चाबियों का खोया गुच्छा मिलने पर ही चपरासी की जान में जान आई। 
  54. झख मारना : (बेकार में समय नष्ट करना) - नौकरी के चक्कर में कब तक झख मारते रहोगे ? कोई व्यवसाय क्यों नहीं शुरू कर लेते हो ?
  55. टाँग अड़ाना : (बढ़ा उत्पन्न करना) - किसी के बनते काम में हमें टाँग नहीं अडानी चाहिए। 
  56. टेढ़ी खीर होना : (बहुत कठिन काम होना) - आतंकवादियों को छोड़ने से आतंकवाद इतना बढ़ गया है कि उसे समाप्त करना टेढ़ी खीर हो गया है। 
  57. तस से मस न होना : (अपनी जगह से जरा भी न हिलना) - जिस पत्थर को कोई मजदुर टस -से -मस न कर सके उसे इस मशीन ने तोड़कर रख दिया। 
  58. टोपी उछालना : (अपमानित करना) - दहेज़ की रकम कम देखकर वर के पिता ने कन्या के पिता की टोपी उछाल दी। 
  59. तिल का ताड़ बनाना : (जरा -सी बात को बढाकर कहना) - सास ने बहु की शिकायत बेटे से तिल का ताड़ बनाकर की। 
  60. तिल धरने की जगह न होना : (बहुत भीड़ होना) - रेल के इस डिब्बे में तो तिल धरने की भी जगह नहीं है। 
  61. ढोल की पोल खुलना : (असलियत का पता चलना) - अब तुम और बहाने बनाकर मुझे गुमराह मत करो, क्योंकि ढोल की पोल खुल चुकी है। 
  62. ढीला पड़ना : (कमजोरी दिखाना) - परीक्षा की तैयारी में यदि ढीले न पड़ते तो अवश्य उत्तीर्ण हो जाते। 
  63. तारे गिनना : (जागते रहना) - पुत्र के घर न लौटने पर माँ सारी रात तारे गिनती रही। 
  64. दाल न गलना : (काम न बनना) - पुलिस की सतर्कता से चोरों की दाल न गल सकी। 
  65. दाँत खट्टे करना : (हरा देना) - महेंद्र सिंह धोनी की शानदार बल्लेबाजी ने श्रीलंकाई टीम के दाँत खट्टे कर दिए। 
  66. दाल में कुछ काला होना : (बात में संदेह होना) - तुम दोनों को फुसफुसाते देखकर मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है। 
  67. दाँत पीसना : (क्रोध आना) - इस झगडे में मेरा हाथ नहीं है। फिर आप मुझ पर दाँत क्यों पीस रहे है ?
  68. दौड़ - धूप करना : (काफी प्रयास करना) - काफी दौड़ - धूप करने के बाद भी उसे नौकरी न मिल सकी। 
  69. नाकों चने चबाना : (बहुत परेशान होना) - नाकों चने चबाने के बाद रामू को यह नौकरी मिली है। 
  70. नमक मिर्च लगाना : (बात को बढाकर कहना) - जरा - सी बात को तुमने नमक - मिर्च लगाकर क्या कहा कि दोनों एक - दूसरे से लड़ पड़े। 
  71. नाक में दम करना : (परेशान करना) - बारिश के दिनों में मच्छर नाक में दम करके सोना मुश्किल कर देते है। 
  72. नाक कटना : (बदनामी होना) - पुत्र के बुरे कार्यों के कारण पिता की नाक कट गई। 
  73. नौ दो ग्यारह होना : (भाग जाना) - बिल्ली को देखते ही चूहा नौ दो ग्यारह हो गया। 
  74. पत्थर की लकीर होना : (अटल होना) - तुम मेरी बात पर विश्वास रखो। यह बिलकुल पत्थर की लकीर है। 
  75. पसीना -पसीना होना - (घबरा जाना) - जब तुमने चोरी नहीं की तो तुम क्यों पसीना - पसीना हुए जा रहे हो ?
  76. पेट में चूहे कूदना : (बहुत भूख लगना) - सुबह से काम करते रहते के कारण मेरे पेट में चूहे कूदने लगे है। 
  77. पानी - पानी होना : (अत्यंत लज्जित होना) - कम तौलते हुए पकडे जाने पर दुकानदार पानी - पानी हो गया।
  78. पीठ दिखाना : (भाग जाना) - लड़ाई के मैदान में वीर पीठ नहीं दिखाते है। 
  79. फुला न समाना : (बहुत खुश होना) - क्रिकेट टीम में चुने जाने की खबर सुनते ही खिलाडी फूला न समाया। 
  80. बाएँ हाथ का खेल होना : (बहुत आसान काम होना) - इस प्रश्न को हल करना मेरे लिए बाएँ हाथ का काम है। 
  81. बगलें झाँकना : (उत्तर न दे पाना) - मेरी बातें सुनकर तुम बगलें क्यों झाँकने लगे ?
  82. मक्खियाँ मारना : (बेकार रहना) - आज काम न मिलने के कारण यह मजदुर मक्खियाँ मार रहा है। 
  83. मारा -मारा फिरना : (इधर -उधर घूमना) - मिल बंद होने से बहुत से मजदूर मारे - मारे फिर रहे हैं। 
  84. मुँह की खाना - (हार जाना) - भारतीय सेना से युद्ध में पाकिस्तानी सेना को कई बार मुँह की खानी पड़ी है। 
  85. मुँह में पानी आना : (जी ललचाना) - मिठाइयाँ देखकर बच्चों के मुँह में पानी आ जाता है। 
  86. रात -दिन एक करना : (कठोर मेहनत करना) - परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए रात -दिन एक करना पड़ेगा। 
  87. लाल -पीला होना : (गुस्सा करना) - नौकर से महंगे कप टूट जाने पर मालिक लाल - पीला होने लगा। 
  88. लोहे के चने चबाना : (कठिन कार्य करना) - बिना जान -पहचान के सरकारी अस्पताल में इलाज कराना, लोहे के चने के बराबर है। 
  89. श्रीगणेश करना : (शुरुवात करना) - अगले माह ही परीक्षा है और तुमने अब तक पढाई का श्रीगणेश भी नहीं किया है। 
  90. सिर उठाना : (विरोध करना) - मंत्रिमंडल में मनचाहा पद न पाकर सत्ता पक्ष के नेता ही सिर उठाने लगे। 
  91. सिर पर कफ़न बांधना : (मौत से बिलकुल न डरना) - मातृभूमि की रक्षा के लिए जवान सिर पर कफ़न बाँध कर निकल पड़े। 
  92. हवा से बातें करना : (बहुत तेज भागना) - आजकल के लड़कों की मोटर साइकिलें हवा से बातें करती है। 
  93. हवा हो जाना : (गायब हो जाना) - अपना मतलब पूरा होते ही वह हवा हो गया। 
  94. हाथ मिलाना : (मित्रता करना) - जब हमें पास - पास रहना है तो हमें हाथ मिला ही लेना चाहिए। 
  95. हाथ दिखाना : (गुण का प्रदर्शन करना) - आज तो इरफ़ान पठान ने बल्लेबाजी में भी जमकर हाथ दिखाए। 
  96. हवा लगना : (दिमाग ख़राब होना) - उसने कॉलेज क्या जाना शुरू किया कि उसे नए फैशन की हवा लग गई। 
  97. हाथ मलना : (पछताना) - पुरे साल तो किताबें उठाकर देखी नहीं अब फेल होने पर हाथ मलने से क्या फायदा। 
  98. हाथ बंटाना : (सहयोग करना) - हमें माता -पिता के कार्यों में हाथ बंटाना चाहिए। 
  99. हाथ फैलाना : (माँगना) - अपनी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहिए। 
  100. हाथ -धोना : (खो देना) - बस में जेबकतरों से सावधान रहना, नहीं तो पैसों से हाथ धो बैठोगे। 

कुछ महत्वपूर्ण लोकोक्तियों के अर्थ और वाक्य प्रयोग 

  1. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता : (अकेला व्यक्ति बहुत बड़ा काम नहीं कर सकता) - राम अकेले आतंकवादियों से कब तक लड़ता, कोई उसका साथ देने वाला नहीं था। सच है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। 
  2. अंधों में काना राजा : (मूर्खों में कम पढ़ा -लिखा भी आदर पाता है) - आदिवासियों के मोहल्ले में सभी अनपढ़ थे। इसलिए पाँचवीं पास सरजू वहाँ अंधों में काना राजा था। 
  3. अंत भला तो सब भला : (काम का अंत ठीक हो तो सब ठीक रहता है) - सरिता पढाई पूरी करके नौकरी मिलने के बाद सारी मुसीबतें भूल गई, क्योंकि अंत भला तो सब भला। 
  4. आगे कुआँ पीछे खाई : (दोनों ओर मुसीबत होना) - सविता को घर का काम न करने पर माँ डाँटती थी और स्कूल का काम पूरा न करने पर अध्यापिका डाँटती थी। उसके लिए तो एक तरफ कुआँ और दूसरी तरफ खाई थी।
  5. आम के आम गुठलियों के दाम : (दोनों दशा में लाभ) - अच्छे ढंग से पढाई पूरी कर लेने पर समाज में मान-सम्मान बढ़ जाता है और अच्छी नौकरी की भी आशा हो जाती है। सच ही कहा है कि आम के आम गुठलियों के दाम। 
  6. एक अनार सौ बीमार : (कम वस्तु के अधिक चाहने वाले) - शिक्षा विभाग में एक सौ अध्यापकों के लिए एक लाख से भी अधिक आवेदन पत्र हुए। यह तो एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। 
  7. एक पंथ दो काज : (एक ही प्रयास में दो उद्देश्यों की पूर्ति) - अपने मित्र की बारात में आगरा जाऊँगा और ताजमहल भी देख आऊँगा। इस तरह एक पंथ दो काज हो जाएंगे। 
  8. एक ही थैली के चट्टे - बट्टे : (एक जैसे स्वभाव वाले) - ये पाँचों लड़के स्कूल से भागने का एक ही बहाना बता रहे है। लगता है कि सब एक ही थैली के चट्टे - बट्टे है। 
  9. काला अक्षर भैंस बराबर : (बिलकुल अनपढ़) - यह आदमी कभी स्कूल नहीं गया है। इसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है। 
  10. का बरखा जब कृषि सुखाने : (समय के बीत जाने के बाद किया गया प्रयत्न व्यर्थ होता है) - बचपन में तो स्कूल जाने से जी चुराते थे। अब लोगों को अच्छे पदों पर देखकर पछताते हो। सच है कि का बरखा जब कृषि सुखाने। 
  11. खोदा पहाड़ निकली चुहिया : (अत्यधिक परिश्रम का बहुत कम फल) - स्कूल में दो जगह टूशन पढ़ने के बाद भी वह मुश्किल से 33 % अंक ही ला सका। यह तो वही बात हुई कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया। 
  12. घर फूँककर तमाशा देखना : (सामर्थ्य से अधिक खर्च करना) - राम के पुत्र ने जन्मदिन पर बहुत बड़ी दावत दी। यह देखकर उसके मित्र ने कहा, इस प्रकार घर फूँककर तमाशा देखना अच्छी बात नहीं है। 
  13. चोर -चोर मौसेरे भाई : (एक जैसे बुरे स्वभाव वाले) - श्यामू तो बहुत घमंडी है और उसके साथी भी उसी जैसे हैं। सच है कि चोर -चोर मौसेरे भाई। 
  14. चौबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए : (लाभ के बजाये हानि उठाना) - सोहन ने अपनी गाँव की दुकान बेच दी और सोचा कि शहर में जाकर बड़ी दुकान खोलकर ज्यादा धन कमायेगा। नई जगह  होने के कारण वहाँ उसकी पूँजी ही डूब गयी। सच ही कहा है चौबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए। 
  15. जल में रहकर मगर से बैर : (आश्रयदाता से झगड़ा करना) - इस कार्यलय में नौकरी करनी है तो साहब की बातें मानकर रहना क्योंकि जल में रहकर मगर से बैर ठीक नहीं। 
  16. जिसकी लाठी उसकी भैंस : (ताकतवर की जीत होती है) - अपने रिश्तेदार की जान - पहचान और रुपयों के बल पर राजेश को यह नौकरी मिली है। सच है जिसकी लाठी उसकी भैंस। 
  17. डूबते को तिनके का सहारा : (मुसीबत में थोड़ी मदद भी बहुत होती है) - बम विस्फोट में माता - पिता के मारे जाने पर मोहल्ले वालों ने बच्चों की थोड़ी मदद की जिससे वे अपने पैरों पर खड़े हो गए। इस प्रकार डूबते को तिनके का सहारा मिल गया। 
  18. थोथा चना बाजे घना : (कम ज्ञान का अधिक दिखावा) - संस्कृत के शब्दों का उच्चारण ठीक से न कर पाने पर भी यह पुजारी खुद को महापंडित कहता है। सच है कि थोथा चना बाजे घना। 
  19. दूध का दूध पानी का पानी : (निष्पक्ष न्याय) - तुम दोनों एक किताब के लिए लड़ रहे हो। प्रधानाचार्य के पास चलो, वह दूध का दूध  पानी का पानी कर देंगे। 
  20. न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी : (विवाद को जड़ से ख़त्म करना) - यदि यही मोबाइल हम दोनों में झगडे का कारण है तो मैं इसे बेच देता हूँ तब न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी। 
  21. नौ नकद न तेरह उधार : (नकद लेन-देन बेहतर होता है) - दुकानदार ने कहा कि एक सप्ताह बाद सौ रूपए देने के बजाये तुम आज अस्सी रूपए ही दे दो क्योंकि नौ नकद न तेरह उधार। 
  22. पर उपदेश कुशल बहुतेरे : (दूसरों को उपदेश देना आसान होता है) - कुछ अध्यापक स्वयं तो स्कूल समय से पहुँचते नहीं है, परन्तु विद्यार्थियों को देर से आने पर सजा देते हैं। सच है पर उपदेश कुशल बहुतेरे। 
  23. मान न मान मैं तेरा मेहमान : (जबरदस्ती गले पड़ना) - मैं इस व्यक्ति को जानता भी नहीं हूँ और यह रुपए मांगने के लिए दूर का रिश्तेदार बन रहा है। यह तो मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली बात हुई। 
  24. सांप मरे ना लाठी टूटे : (काम भी बन जाए और नुकसान भी न हो) - इस दफ्तर में तो बिल भी पास हो गया और हमें रिश्वत भी नहीं देनी पड़ी। यह तो साँप मरे ना लाठी टूटे वाली बात हुई।
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