सीबीएसई बोर्ड कक्षा 10 वीं के एग्जाम रिजल्ट अगले माह 20 जून तक जारी होने वाले है। बोर्ड ने कोरोना के चलते परीक्षा स्थगित कर दी थी और अब नई मार्किंग स्कीम के तहत छात्रों के स्कोर बोर्ड तैयार किये जाएंगे। बोर्ड ने मार्किंग पालिसी और अससेमेंट प्रोसीजर अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी की है। मार्किंग स्कीम में स्कोरबोर्ड के मार्क्स का ब्रेक - डाउन बताया गया है कि कितने नंबर किस आधार पर मिलेंगे।
कुल 100 अंकों को 20 नंबर और 80 नंबर में विभाजित किया गया है। स्कूलों द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के लिए किये गए इंटरनल मार्किंग के आधार पर 20 नंबर होंगे। बाकी 80 नम्बरों के लिए छात्र को पुरे वर्ष के दौरान स्कूल द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के आधार पर मिले नंबर जोड़े जाएंगे। 80 नम्बरों का ब्रेक - अप इस प्रकार होगा : पीरियोडिक /यूनिट टेस्ट - 10 नंबर हाफ इयरली /मिड -टर्म टेस्ट -30 नंबर प्री -बोर्ड एग्जाम - 40 नंबर जारी की गयी मार्किंग पालिसी छात्रों द्वारा चुने गए 5 मुख्य सब्जेक्ट्स के स्कोर की गणना के लिए है। यदि किसी छात्र ने 6 या अधिक विषयों के लिए रजिस्ट्रेशन किया था, तो 6 वें सब्जेक्ट के लिए स्कोर की गणना अधिकतम प्राप्त नम्बरों में से सर्वश्रेष्ठ 3 सब्जेक्ट्स के औसत नम्बरों के आधार पर की जायेगी।
यदि स्कूल ने ज्यादा परीक्षाएँ आयोजित की है, तो बोर्ड ने स्कूल पर ही स्कोर चुनने की जिम्मेदारी छोड़ दी है। स्कूल चाहे तो सभी परीक्षाओं के औसत या दोनों में से बेहतर स्कोर को रिजल्ट में जोड़ सकते है। उदाहरण के लिए यदि किसी स्कूल ने तीन प्री -बोर्ड परीक्षाऐं आयोजित की है, तो स्कूल तीनों का औसत, या जिसमे सबसे ज्यादा नंबर हो उसका स्कोर, रिजल्ट में जोड़ सकते है। इसकी पूरी स्वतंत्रता स्कूल को है।
इंटरनल मार्किंग में समस्या यह है कि सभी स्कूलों की परीक्षा का कठिनाई का स्तर अलग - अलग है। इसके लिए बोर्ड नॉर्मलिज़ेशन पॉलिसी का इस्तेमाल करेगा। बोर्ड ने मार्किंग कमेटी को अलग - अलग पैरामीटर को ध्यान में रखते हुए छात्रों का स्टैंडर्ड स्कोर तैयार किया है। इसमें कई चीजें शामिल होंगी -
- उस स्कूल का बीते 3 वर्षों का बोर्ड एग्जाम रिजल्ट का रिकॉर्ड।
- तीन वर्ष का रिकॉर्ड न होने पर 2 वर्ष या कम से कम 1 वर्ष का रिकॉर्ड देखा जाएगा।
- स्कूल द्वारा दिए गए सब्जेक्ट वाईस मार्क्स और ओवरआल मार्क्स की गणना की जायेगी।