राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay on Father of the Nation - Mahatma Gandhi in Hindi

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay on Father of Nation - Mahatma Gandhi | Class 6 | हिंदी व्याकरण 

आज हम जिस स्वतंत्र भारत में रह रहे हैं, वही भारत सैकड़ों वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा था। गुलामी की दासता से मुक्ति दिलाने में अनेक वीरों तथा महापुरुषों का योगदान रहा है जिनमे महात्मा गाँधी का नाम सर्वोपरि है। गाँधी जी अहिंसा के अवतार थे। इन्होने अहिंसा और सत्य का मार्ग अपनाते हुए देश को आज़ादी दिलाई। 
गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर, सन 1869 को गुजरात में काठियावाड़ के निकट पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ। इनकी माता का नाम पुतलीबाई तथा पिता का नाम करमचंद गाँधी था। इनके पिता राजकोट के दीवान थे। ये अपने कार्य में अत्यंत निपुण थे। गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई थी। इनका विवाह कस्तूरबा गाँधी से तब हो गया था, जब ये हाई स्कूल में पढ़ रहे थे। 
मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत ये बैरिस्ट्री की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। सन 1891 में गाँधी जी बैरिस्टर बनकर स्वदेश भारत आये। प्रारम्भ में इन्होने अहमदाबाद में वकालत शुरू की। एक व्यापारी के मुक़दमे की पैरवी के लिए इनको दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। उन दिनों दक्षिण अफ्रीका में भारतियों के साथ अच्छा व्यव्हार नहीं किया जाता था। वहाँ भारतियों को अछूत समझा जाता था। दक्षिण अफ्रीका के गोरे लोग इन प्रवासी भारतियों को कुली कहकर पुकारते थे और उनके साथ अत्याचारपूर्ण व्यवहार करते थे। गाँधी जी इस अत्याचार को सहने वाले व्यक्ति न थे। इन्होने उन अत्याचारों के विरोध में आवाज उठाई और उनका बहादुरी से सामना किया। 
दक्षिण अफ्रीका से भारत आने पर गाँधी जी को यहाँ भी उन्ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। गाँधी जी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए असहयोग आंदोलन प्रारम्भ कर दिया। गाँधी जी जैसा नेता पाकर लोग जोश से भर उठे। 
गाँधी जी हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। इन्होने इसके लिए काफी प्रयास किये। विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, खादी प्रचार, स्वदेशी वस्तुएँ अपनाने पर विशेष बल दिया। इसके अलावा गाँधी जी ने जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य किया, वह है अछूतोद्वार। गाँधी जी ने अस्पृश्य समझे जाने वाले लोगों को समाज में सम्मान दिलाया और अस्पृश्यता का निवारण किया। गाँधी जी ने दांडी यात्रा, अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कार्यकर्मो से अंग्रेजी सरकार को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। सवतंत्रता के इस आंदोलन को देखते हुए गाँधी जी के आगे विवश होकर अंग्रेजों ने 15 अगस्त, सन 1947 को भारत छोड़कर देश को स्वतंत्र कर दिया। इस स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी को अनेकों बार जेल की यात्राएं भी करनी पड़ी। 
गाँधी जी सत्य, अहिंसा और मानवता के पुजारी थे। 30 जनवरी, सन 1948 के दिन दिल्ली में एक प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोलियां चलाकर इनकी हत्या कर दी। गाँधी जी भले ही हमारे बीच नहीं है, पर उनके आदर्श आज भी हमारे बीच मौजूद है। गाँधी जी के आदर्शों पर चलकर हम देश को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर कर सकते है। 
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