Unseen Passage for Class 10 in HIndi

 अपठित गद्यांश कक्षा 10 हिंदी

'अपठित गद्यांश' के अंतर्गत किसी अपठित अनुच्छेद को पढ़कर उससे सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर देने होते है। ध्यान यह रखना चाहिए कि उत्तर वही दिए जाएँ तो उस अन्नुछेद में दिए गए हों। छात्र को अपनी ओर से नई जानकारी नहीं देनी चाहिए। 

हल करने की विधि -

  • सबसे पहले आपको चाहिए कि आप अपठित गद्यांश को सावधानीपूर्वक पढ़ें। यदि कुछ शब्द या वाक्य समझ न आए , तो भी घबराने की आवश्यकता नहीं। 
  • अब आप नीचे दिए गए प्रश्नों को पढ़ें। 
  • इसके पश्चात आप प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए अन्नुछेद को फिर से पढ़ें। जिन - जिन प्रश्नों के उत्तर मिलते चले जाएँ , उन पर निशान लगाते चले जाएँ तथा उत्तरों को रेखांकित करते चले जाएँ। 
  • जिन प्रश्नों के उत्तर अस्पष्ट रह गए हों , उन्हें फिर से सावधानीपूर्वक पढ़ें। सोचने पर उनके उत्तर अवश्य मिल जाएँगे। बार - बार पढ़ने से आपकी सारी समस्याएँ हल हो जाएँगी। 

शीर्षक का चुनाव -

  1. शीर्षक मूल विषय से सम्बंधित होना चाहिए। 
  2. शीर्षक संक्षिप्त , आकर्षक तथा सार्थक होना चाहिए। 
  3. शीर्षक में अनुच्छेद से सम्बंधित सारी बातें आ जानी चाहिए। 

अब नीचे उत्तर सहित कुछ उदाहरण दिए गए है। 

परिवर्तन प्रकृति का नियम है और परिवर्तन ही अटल सत्य है। अतः पर्यावरण में भी परिवर्तन हो रहा है लेकिन वर्तमान समय में चिंता की बात यह है कि जो पर्यावरणीय परिवर्तन पहले एक शताब्दी में होते थे, अब उतने ही परिवर्तन एक दशक में होने लगे हैं। पर्यावरण परिवर्तन की इस तेजी का कारण है-विस्फोटक ढंग से बढ़ती आबादी; वैज्ञानिक एवं तकनीकी उन्नति और प्रयोग तथा सभ्यता का विकास। आइए, हम सभी मिलकर यहाँ दो प्रमुख क्षेत्रों का चिंतन करें एवं निवारण-विधि सोचें।

पहला है - ओजोन की परत में कमी और विश्व के तापमान में वृद्धि। ये दोनों क्रियाएँ परस्पर संबंधित हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम शतकों में सुपरसोनिक वायुयानों का ईजाद हुआ और वे ऊपरी आकाश में उड़ाए जाने लगे। उन वायुयानों के द्वारा निष्कासित पदार्थों में उपस्थित नाइट्रिक ऑक्साइड के द्वारा ओजोन परत का क्षय महसूस किया गया। यह ओजोन परत वायुमंडल के समताप मंडल या बाहरी घेरे में होता है।

आगे शोध द्वारा यह भी पता चला कि वायुमंडल की ओजोन परत पर क्लोरोफ्लोरो कार्बस प्रशीतक पदार्थ, नाभिकीय विस्फोटक इत्यादि का भी दुष्प्रभाव पड़ता है। ओजोन परत जीवमंडल के लिए रक्षा कवच है, जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों के विकिरण को रोकता है जो जीवमंडल के लिए घातक है।

अतः इन रासायनिक गैसों द्वारा ओजोन की परत की हो रही कमी को ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा 1978 में गुब्बारों और रॉकेटों की मदद से अध्ययन किया गया। अतः नवीनतम जानकारी के मुताबिक अंटार्कटिका क्षेत्र के ऊपर ओजोन परत में बड़ा छिद्र पाया गया है जिससे हो सकता है कि सूर्य की घातक विकिरण पृथ्वी की सतह तक पहुँच रही हो और पृथ्वी की सतह गर्म हो रही हो। भारत में भी अंटार्कटिका स्थित अपने अड्डे, दक्षिण गांगोत्री से गुब्बारों द्वारा ओजोन मापक यंत्र लगाकर शोध - कार्य में भाग लिया।

क्लोरो-फ्लोरो कार्बंस रसायन सामान्य तौर पर निष्क्रिय होते हैं, पर वायुमंडल के ऊपर जाते ही उनका विच्छेदन हो जाता है। तकनीकी उपकरणों द्वारा अध्ययन से पता चला है कि पृथ्वी की सतह से क्लोरो-फ्लोरो कार्बंस की मात्रा वायुमंडल में 15 मिलियन टन से भी अधिक है। इन कार्बस के अणुओं का वायुमंडल में मिलन अगर आज से भी बंद कर दें, फिर भी उनकी उपस्थिति वायुमंडल में आने वाले अनेक वर्षों तक बनी रहेगी। अतः क्लोरो-फ्लोरो कार्बस जैसे रसायनों के उपयोग पर हमें तुरंत प्रतिबंध लगाना होगा, ताकि भविष्य में उनके और ज्यादा अणुओं के बनने का खतरा कम हो जाए।

वैसे यह सुकून की बात है कि हर स्थान पर ओजोन परत में छेद नहीं हो सकता। आर्कटिका और अंटार्कटिका में ओजोन परत में छिद्र बनने के ज्यादा आसार हैं, क्योंकि यहाँ ध्रुवीय चक्रवात होते हैं जो क्लोरो-फ्लोरो कार्बस के अणुओं को अपनी ओर खींच लेते हैं, और ये अणु उतनी ऊँचाई पर पहुँचकर ओजोन परत की गैस से अभिक्रिया कर छिद्र बनाते हैं।

प्रश्न :

(क) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 

'पर्यावरणीय परिवर्तन' 

(ख) कोई दो कारण लिखिए जिनसे पर्यावरण तेजी से परिवर्तित हो रहा है ?

  • विस्फोटक ढंग से बढ़ती आबादी। 
  • वैज्ञानिक एवं तकनीकी